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सच उगलवाने के लिए पुलिस के ”थर्ड डिग्री टॉर्चर” पर गृह मंत्री अमित शाह ने दिया बड़ा बयान, जानिए क्या कहा

नयी दिल्ली: पुलिस सिस्टम में अपराधियों से पूछताछ करने के लिए ये थर्ड डिग्री का युग नहीं है. अब समय आ गया है कि पुलिस अधिकारी आपराधिक मामलों की छानबीन में वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करें. ये बातें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही. केंद्रीय गृहमंत्री बीजेपी […]

नयी दिल्ली: पुलिस सिस्टम में अपराधियों से पूछताछ करने के लिए ये थर्ड डिग्री का युग नहीं है. अब समय आ गया है कि पुलिस अधिकारी आपराधिक मामलों की छानबीन में वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करें. ये बातें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही.

केंद्रीय गृहमंत्री बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दिल्ली में आयोजित ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि पुलिस व्यवस्था में बृहद बदलाव की आवश्यक्ता है ताकि अपराध पर लगाम लगाने के लिए बेहतर व्यवस्था बनाई जा सके. उन्होंने कहा कि हमें इंट्रोगेशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली थर्ड डिग्री टॉर्चर के तरीकों को त्यागना होगा. अमित शाह ने कहा कि जरूरत है कि पूछताछ के लिए वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग किया जाए.

अमित शाह ने ये भी कहा कि अपराध और आपराधिक मानसिकता के तरीकों का अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय मोडस ऑपरेंटी ब्यूरो की स्थापना के बाबत मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की है. जल्द ही इस दिशा में कोई निर्णायक कदम उठाया जाएगा.

अपराध पर लगाम की क्षमता पर उठते सवाल

बता दें कि भारतीय पुलिस व्यवस्था को लेकर अक्सर सवाल उठाये जाते रहे हैं. चाहे वो आधारभूत संरचना (भवन, वाहन, साजो-सामान, हथियार) का मामला हो, पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण का मामला हो, कार्यप्रणाली हो अथवा अपराध पर लगाम लगाने की उनकी क्षमता का मामला हो. अक्सर पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते रहे हैं. हवालातों में पूछताछ के दौरान शारीरिक प्रताड़ना की शिकायत आम हो चली है. कई बार तो पुलिस हिरासत में लोगों की मौत तक के मामले सामने आए हैं. हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र की अंत्येष्टि के दौरान सलामी देते हुए बिहार पुलिस के जवानों की बंदूक से गोली नहीं चली.

पुलिस की विश्वसनीयता बहाल की चुनौती

समय-समय पर राज्यों तथा केंद्र सरकार की तरफ से पुलिस व्यवस्था में सुधार के लिए कदम उठाया गया है लेकिन समाज में बढ़ती आपराधिक प्रवृत्ति, अपराध के नये-नये तरीकों से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए जाने जरूरी हैं. पिछले कुछ समय से भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं बताती हैं कि अपराध नियंत्रण के संबंध में लोगों का पुलिस पर से विश्वास उठ गया है. ऐसी हालत में सोचना जरूरी हो गया है कि इसकी विश्वसनीयता कैसे बहाल की जाए.

जाहिर है कि केंद्रीय गृहमंत्री का ये बयान समाज में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने, नक्सलवाद पर नकेल कसने, उग्रवाद से लड़ने तथा आपराधिक प्रवृत्तियों के प्रति समझ विकसित करने के लिए पुलिस की काबिलियित को लेकर काफी महत्वरपूर्ण है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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