मुंबई : दिग्गज ब्रिटिश पत्रकार और बीबीसी इंडिया के पूर्व संवाददाता सर विलियम मार्क टुली ने गुरुवार को कहा कि भारतीय तंत्र में कई असंतुलन इस ‘गलतफहमी’ की वजह से है कि संसद संप्रभु है और वह जो चाहे बिना रोकटोक कर सकती है.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र संस्थानों की वजह से काम करता है और इसलिए सरकार में उनकी भूमिका पर जोर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, …यह बात महत्वपूर्ण रूप से याद रखने योग्य है कि लोगों के प्रतिनिधियों द्वारा व्यक्त की गई उनकी संप्रभुता पूर्ण रूप से ठोस संप्रभुता नहीं है.
संसद को पूर्ण शासक नहीं कहा जा सकता. टुली ने यहां सेंट जेवियर कॉलेज के एक वार्षिक कार्यक्रम में कहा, भारत में कई असंतुलन इस गलतफहमी से आते हैं कि संसद संप्रभु है इसलिए संसद जो चाहे बेरोकटोक कर सकती है.
इसके साथ ही लोगों के प्रतिनिधियों के तौर पर संसद सदस्य जो चाहें वो कर सकते हैं. उन्होंने कहा, हर किसी का पाला ऐसे राजनेताओं से पड़ा होगा, जो कहते हों, तुम नहीं जानते हो मैं कौन हूं? जबकि यह स्वायत्तता सीमित है या सीमित होनी चाहिए और उन्हें यह पता होना चाहिए कि उनकी सीमाएं क्या हैं.