कावलाप्परा/ पुथुमाला (केरल) : कभी हरियाली से घिरे कावलाप्परा और पुथुमाला गांव आठ अगस्त को आए भूस्खलन के बाद मिट्टी के टीलों में तब्दील हो गए हैं. उखड़े हुए रबर और सुपारी के पेड़ बर्बादी का मंजर बयां कर रहे हैं.
भूस्खलन में दोनों गांवों में कई लोग जिंदा दफन हो गए और प्रशासन मलबे में दबे लोगों को निकालने का प्रयास कर रहा है. मलप्पुरम और वायनाड जिलों के नजदीक स्थित ये गांव भारी बारिश से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.
अब यहां बस्ती के कोई निशान नहीं है. घर मिट्टी के मलबे में दबे हैं और सड़क गायब है. इस आपदा में जो खुश किस्मती से बच गए वे अपने परिजनों और पड़ोसियों की तलाश कर रहे हैं. रविवार को बारिश में कमी आने के बाद विभिन्न एजेंसियों की ओर से बचाव अभियान में तेजी आई.
#Kerala: Incessant rainfall in Malappuram causes landslide at Kavalappara; National Disaster Response Force, Fire and Rescue Department and Forest Department officials engaged in search and rescue operation. pic.twitter.com/CMlm8Pkyf5
— ANI (@ANI) August 11, 2019
मलप्पुरम जिले स्थित नीलांबुर के नजदीक कावलाप्परा चार दिनों पहले 10 एकड़ में फलता-फूलता गांव था , पर अब 12 फीट ऊंचे मलबे के नीचे दबा है. यहां पर 35 घरों में करीब 65 लोग रहते थे. अधिकारियों ने बताया कि मलबे से शनिवार को नौ और रविवार को दो शव निकाले गए.
लापता लोगों के परिजन बचाव-राहत कार्य में मदद कर रहे है. वहीं, वायनाड जिले के कालापेट्टा मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पुथुमाला की भी यही स्थिति है. राजस्व अधकारियों ने बताया कि सेना, एनडीआरएफ और अग्निशमन विभाग के 250 कर्मचारियों ने रविवार सुबह खोज अभियान शुरू किया.
आठ लोगों के लापता होने की पुष्टि हुई है, जबकि 10 शव मलबे से निकाले गए हैं. मिट्टी गीली होने की वजह से राहत बचाव अभियान में मुश्किल आ रही है.