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स्मृतिशेष : 25 की उम्र में सुषमा स्वराज बन गयी थीं मंत्री, 3 बार विधायक, 7 बार रहीं सांसद, कई क्षेत्रों में रहीं पहली महिला

पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के नाम कई कीर्तिमान हैं, जिसे अब देश याद करेगा. 1977 में जब वह 25 साल की थीं, तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं. उन्होंने 1977 से 1979 तक सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे आठ मंत्रालय संभाला. इसके […]

पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के नाम कई कीर्तिमान हैं, जिसे अब देश याद करेगा. 1977 में जब वह 25 साल की थीं, तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं.
उन्होंने 1977 से 1979 तक सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे आठ मंत्रालय संभाला. इसके बाद 27 साल की उम्र में 1979 में वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी थीं. स्वराज के नाम ही राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव प्राप्त था. इसके अलावा, सुषमा पहली महिला मुख्यमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष की पहली महिला नेता थीं.
इंदिरा गांधी के बाद सुषमा दूसरी ऐसी महिला थीं, जिन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला था. बीते चार दशकों में वे 11 चुनाव लड़ीं, जिसमें तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं. सुषमा सात बार सांसद रह चुकी थीं.
पंजाब के अंबाला छावनी में जन्मी सुषमा ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वह सक्रिय राजनीति से जुड़ीं.
वह भारतीय संसद की प्रथम और एकमात्र ऐसी महिला सदस्या थीं, जिन्हें आउटस्टैंडिंग पार्लिमैंटेरियन सम्मान मिला. उनके पिता आरएसएस के प्रमुख सदस्य थे. 1973 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की, जबकि उनका राजनीतिक कैरियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ शुरू हुआ था.
1998 में बनीं दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
अक्तूबर, 1998 में सुषमा स्वराज ने केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. बाद में जब विधानसभा चुनावों में पार्टी हार गयी, तो वे राष्ट्रीय राजनीति में लौट आयीं. 1999 में उन्होंने आम चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी संसदीय क्षेत्र, कर्नाटक से चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गयी.
कई क्षेत्रों में रहीं पहली महिला
सुषमा स्वराज किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता, भाजपा की पहली महिला मुख्यमंत्री, पहली केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, महासचिव, प्रवक्ता और नेता प्रतिपक्ष रही हैं. वह भारतीय संसद में अकेली महिला सांसद हैं, जिन्हें असाधारण सांसद का पुरस्कार मिला है. साथ ही वह भाजपा की एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत, दोनों से चुनाव लड़ा है.
डायबिटीज के कारण किडनी खराब हो गयी थी, हुआ था ट्रांसप्लांट
सुषमा स्वाराज को किडनी की बीमारी थी. 2016 में किडनी खराब होने के कारण उन्हें डायलिसिस पर रखा गया था. लेकिन ट्रीटमेंट के बाद उनकी हालत में सुधार आ गया.
इलाज के बाद से ही वह राजनीति में थोड़ा कम सक्रिय हो गयी थीं. दिसंबर 2016 में सुषमा का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था. इसके अलावा वह डायबिटीज की पुरानी बीमारी से भी जूझ रही थीं. सुषमा करीब 20 साल से भी ज्यादा समय से डायबिटीज की पीड़ित थीं. डायबिटीज होने के बाद ही उनकी किडनी खराब हुई थी.
– बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बताया कि बुधवार की सुबह 11 बजे तक उनका पार्थिव शरीर उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जायेगा.
– दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक कार्यकर्ताओं और लोगों के अंतिम दर्शन के लिए सुषमा जी के पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय में रखा जायेगा.
– बुधवार की दोपहर 3 बजे उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी.
– लोधी रोड के शवदाह गृह में होगा अंतिम संस्कार.
राजनीतिक जीवन
सुषमा स्वराज ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एबीवीपी के साथ शुरू की. वे अपने छात्र जीवन से ही प्रखर वक्ता थीं. 1977 में उन्हें मात्र 25 वर्ष की उम्र में राज्य का कैबिनेट मंत्री बनाया गया और 27 वर्ष की उम्र में वे राज्य में भाजपा जनता पार्टी की प्रमुख बन गयीं.
1977 में चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में कैबिनेट मंत्री बनीं
1990 में सांसद बनीं और 1990-96 के दौरान राज्यसभा में रहीं
1996 में वे 11वीं लोकसभा के लिए चुनी गयीं . वाजपेयी की तेरह दिनी सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री रहीं.
1998 में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया . दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं.
1999 में सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से चुनाव लड़ी
2000 में वह राज्यसभा में पहुंचीं. उन्हें पुन: सूचना प्रसारण मंत्री बना दिया गया
2009 में वे मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गयीं. राज्यसभा में प्रतिपक्ष की उपनेता बनीं.
2014 में मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ीं और मोदी सरकार में विदेश मंत्री बनीं.
2019 लोकसभा चुनाव से पहले ही खराब स्वास्थ्य के कारण चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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