आरके नीरद
भारतीय संसद के 68 साल के इतिहास में अब तक केवल दो बार महिला लोकसभा अध्यक्ष हुईं. पहली बार यूपीए सरकार के समय 2009 में मीरा कुमार और दूसरी बार एनडीए सरकार के समय 2014 में सुमित्रा महाजन को लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया. सुमित्रा महाजन वर्तमान समय में भी लोकसभा अध्यक्ष हैं.
इनसे पूर्व 14 बार (1952 से 2004 तक) लोकसभा के चुनाव हुए और इतनी ही बार लोकसभा के गठन के साथ इसके अध्यक्ष चुने गये. 1952 में जीवी मावलंकर से 2004 में साेमनाथ चटर्जी तक हर बार पुरुष सांसद को ही लोकसभा की अध्यक्षता का अवसर मिला. तब भी, जब इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री (1967, 1971 और 1080) थीं, लोकसभा अध्यक्ष एन संजीव रेड्डी, जीएस ढिल्लो और बलराम जाखड़ ही हुए. मीरा कुमार कांग्रेस का दलित चेहरा थीं. वह पहले राजनयिक थीं. फिर राजनेता बनीं.
उन्होंने 1980 के दशक के मध्य में चुनावी राजनीति में प्रवेश किया था. करीब 19 साल बाद उन्हें कांग्रेस की सरकार ने लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर पेश किया और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वह प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष बनीं. 2014 के चुनाव में कांग्रेस की विदाई हो गयी और भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार बनी. इसने सुमित्रा महाजन को अध्यक्ष के तौर पर पेश किया और लोकसभा ने इसे स्वीकार कर लिया.
मीरा कुमार
मीरा कुमार के पिता बाबू जगजीवन राम प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता थे. मीरा कुमार 1973 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुनी गयी थीं और स्पेन, ब्रिटेन और मॉरीशस में उच्चायुक्त रहने के बाद वह राजनीति में आ गयीं. 1985 में वह पहली बार बिजनौर से संसद में चुन गयीं. 1996 और 1998 में भी वह सांसद चुनी गयीं. 2004 का लोकसभा चुनाव उन्होंने बिहार के सासाराम से जीता था. तब उन्हें केंद्र में सामाजिक न्याय मंत्री बनाया गया था.
सुमित्रा महाजन
सुमित्रा महाजन इंदौर से भाजपा सांसद हैं. वह इंदौर से 1989 से 2014 तक लगातार आठ बार सांसद निर्वाचित हुई हैं. वह आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला सांसद हैं. इंदौर में वह ‘सुमित्रा ताई’ यानी सुमित्रा दीदी के नाम से लोकप्रिय हैं. 1989 में पहली बार सांसद बनने से पहले वह इंदौर विधानसभा चुनाव लगातार तीन बार हार चुकी थीं. सांसद बनने के बाद पहली बार 2002 से 2004 तक वह केंद्र सरकार में मंत्री रहीं.
तीन महिला उपसभापतियों ने 26 साल किया उच्च सदन का संचालन
राज्यसभा के अब तक 12 उपसभापति हुए हैं. इनमें तीन महिला रहीं. राज्यसभा ने 1962 में अपना उपसभापति वायलेट अल्वा को चुनाव. वह 1969 तक इस पद पर रहीं. उसके बाद भारतीय संसद के उच्च सदन में महिला उपसभापति चुने जाने का अवसर डाॅ नजमा ए हेपतुल्ला को मिला.
वह पहली बार 1988 में इस पद पर चुनी गयीं. करीब एक वर्ष तक इस पद पर रहीं. तीसरी महिला उपसभापति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल बनीं और 1986 से 1988 तक इस पद पर रहीं. उनके बाद हेपतुल्ला को दोबारा 1988 में यह अवसर मिला व लगातार 16 सालों तक उन्होंने उच्च सदन का बतौर उपसभापति संचालन किया.
