नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भारतीय वायु सेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे की न्यायालय की निगरानी में जांच के लिए दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय अपना आदेश बाद में सुनायेगा.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की तीन सदस्यीय पीठ ने इन याचिकाओं पर विभिन्न पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनी. न्यायालय में दायर याचिकाओं में राफेल लड़ाकू विमान सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इसमें प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. ये याचिकाएं अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा और आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने दायर की हैं. इनके अलावा भाजपा के दो नेताओं तथा पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने संयुक्त याचिका दायर की है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और सरकार के साथ-साथ वायुसेना अधिकारियों से भी विस्तार से उनका पक्ष सुना. हालांकि, राफेल की कीमत को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब पीठ ने कहा कि राफेल विमानों के दाम पर चर्चा केवल तभी हो सकती है जब इस सौदे के तथ्य जनता के सामने आने दिये जायें. पीठ ने कहा, हमें यह निर्णय लेना होगा कि क्या कीमतों के तथ्यों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए या नहीं. पीठ ने कहा कि तथ्यों को सार्वजनिक किये बगैर इसकी कीमतों पर किसी भी तरह की बहस का सवाल नहीं है.
सरकार की तरफ से अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए राफेल की तत्काल जरूरत है. अटाॅर्नी जनरल ने कहा कि करगिल की लड़ाई में हमने कई जवानों को खोया. उन्होंने कहा कि अगर उस दौरान हमारे पास राफेल एयरक्राफ्ट होते तो नुकसान कम हुआ होता. इस पर वायुसेना ने भी वेणुगोपाल की दलीलों से सहमति जतायी. अटाॅर्नी जनरल ने बताया कि दसाल्ट ने सरकार को ऑफसेट पार्टनरों की जानकारी नहीं दी है. उन्होंने कहा कि ऑफसेट पार्टनरों को दसाल्ट ने चुना, सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में यह स्वीकार किया कि फ्रांस की सरकार ने 36 विमानों की कोई गारंटी नहीं दी है, लेकिन प्रधानमंत्री ने लेटर ऑफ कम्फर्ट जरूर दिया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा वायुसेना अधिकारियों को तलब किये जाने के बाद एक एयर मार्शल और चार वाइस एयरमार्शल कोर्ट पहुंचे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में भारतीय वायुसेना का पक्ष भी सुने जाने की जरूरत है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अटाॅर्नी जनरल वेणुगोपाल से पूछा कि क्या कोर्ट में एयरफोर्स का भी कोई ऑफिसर मौजूद है, जो इससे जुड़े मामलों पर जवाब दे सके? क्योंकि हम सब एयरफोर्स से जुड़े मामले पर ही चर्चा कर रहे हैं, इस मुद्दे पर हम एयरफोर्स से भी कुछ सवाल पूछना चाहते हैं. इसके बाद वायुसेना के अधिकारी कोर्ट में पेश हुए. रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव भी कोर्ट में पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट में रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव से 2015 के ऑफसेट नियमों के बारे में पूछा. अतिरिक्त सचिव ने कोर्ट को ऑफसेट नियमों की जानकारी दी और कहा कि वर्तमान में मुख्य कॉन्ट्रैक्ट के साथ ही ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट भी होता है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 2015 में ऑफसेट नियमों में बदलाव क्यों किया गया. इसमें देशहित क्या है? अगर ऑफसेट पार्टनर प्रोडक्शन नहीं करते तो क्या किया जायेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल की कीमत को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं से कहा कि सरकार ने राफेल की कीमतों पर सीलबंद लिफाफे में जो जानकारी सौंपी है, उस पर चर्चा तभी होगी, जब कोर्ट खुद उसे सार्वजनिक करेगा. सुनवाई के दौरान अटाॅर्नी जनरल ने कहा, यह मामला इतना गोपनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया सीलबंद लिफाफा मैंने भी नहीं देखा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल की कीमत के बारे में याचिकाकर्ताओं को अभी कोई जानकारी न दी जाये जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इजाजत न दे. तब तक इस पर चर्चा भी नहीं होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान याचिककर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण के लिए उस समय असहज सी स्थिति पैदा हो गयी, जब चीफ जस्टिस गोगोई ने एक नोट में दिये तथ्यों को लेकर उन्हें टोक दिया. प्रशांत भूषण सरकार से राफेल की कीमतों का खुलासा करने की मांग कर रहे थे. प्रशांत भूषण की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तल्ख अंदाज में कहा कि जितना इस केस के लिए जरूरी है, वह उतना ही बोलें.
प्रशांत भूषण ने कहा कि कीमत के मामले पर कोई भी गोपीय मुद्दा नहीं हो सकता, क्योंकि सरकार ने खुद संसद में इसके दाम बताये हैं. प्रशांत भूषण का कहना है कि राफेल की कीमत पुरानी डील के मुकाबले 40 प्रतिशत महंगी हुई है. इस दौरान जब प्रशांत भूषण ने एक दस्तावेज पढ़ना शुरू किया, तो सरकार का पक्ष रख रहे अटाॅर्नी जनरल वेणुगोपाल ने उन्हें रोकते हुए कहा कि यह गोपनीय दस्तावेज है. इस दाझैरान अटाॅर्नी जनरल ने कोर्ट से प्रशांत भूषण की इस जानकारी का सूत्र बताने की मांग की. इस दौरान प्रशांत भूषण ने राफेल की कीमतों की गोपनीयता पर भी सवाल उठाया. भूषण ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए डील के क्लॉज में बदलाव किये गये हैं.