नयी दिल्ली : वर्ष 2019 में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव यदि एकसाथ कराया गया तो चुनाव आयोग को करीब 24 लाख ईवीएम की जरूरत पड़ेगी जो कि केवल संसदीय चुनाव कराने के लिए जरूरी मशीनों की संख्या से दोगुनी है. चुनाव आयोग के अधिकारियों ने एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर विधि आयोग के साथ गत 16 मई को हुई अपनी चर्चा में कहा था कि उन्हें करीब 12 लाख अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और उतनी ही वीवीपैट मशीनें खरीदने के लिए करीब 4500 करोड़ रूपये की जरूरत होगी.
इस चर्चा के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि यह अनुमान उपकरण खरीदने के लिए वर्तमान कीमत पर आधारित है. एकसाथ चुनाव कराये गये तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग कक्षों में ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के दो अलग-अलग सेट रखने होंगे.
एक अधिकारी ने समझाया, ‘देशभर में करीब 10 लाख मतदान केंद्र हैं. चूंकि ईवीएम और वीवीपैट मशीनें प्रत्येक मतदान केंद्र में रखी जाती हैं. इसके अलावा 20 प्रतिशत मशीनें रिजर्व में रखी जाती हैं. यह संख्या करीब दो लाख होती है. इसलिए 2019 में लोकसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को 12 लाख ईवीएम और उतनी ही संख्या में वीवीपैट मशीनों की जरूरत होगी.’
उन्होंने कहा कि यदि 2019 में एकसाथ चुनाव कराया जाता है तो चुनाव आयोग को दोगुनी संख्या में ईवीएम चाहिए जो कि 24 लाख होगी. अधिकारी ने कहा कि फिलहाल हर मतदान केंद्र पर पांच मतदान कर्मी तैनात होते हैं. चुनाव आयोग का मानना है कि एकसाथ चुनाव कराने के लिए प्रति मतदान केंद्र सात कर्मियों की जरूरत होगी. सूत्रों ने कहा कि यदि 2024 में चुनाव एक बार फिर एकसाथ कराये गये तो चुनाव आयोग को कुछ पुरानी ईवीएम बदलने के लिए 1700 करोड़ रूपये की जरूरत पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का उत्पादन करती हैं. 2019 में यदि एकसाथ चुनाव हुआ तो उन्हें समय पर जरूरी संख्या में उपकरणों मुहैया कराने के लिए तेजी से काम करना होगा.