पालमपुर,मंडी, सोलन, हिमाचल प्रदेश: कारगिल के शहीद विक्रम बत्रा के परिवार ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी द्वारा बार बार उनके नाम और नारे ‘ये दिल मांगे मोर’ को इस्तेमाल किए जाने पर एतराज जताया है.
बत्रा के गृहनगर पालमपुर, मंडी और सोलन में अपनी रैलियों में मोदी ने लोगों से जुडने का प्रयास करते हुए दिवंगत कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम और उनके नारे ‘ये दिल मांगे मोर’ का इस्तेमाल किया.कारगिल युद्ध में शहीद होने से पहले कैप्टन बत्रा ने विज्ञापन नारा ‘ये दिल मांगे मोर’ कहा था.
लेकिन इस नारे के उपयोग ने बत्रा के माता-पिता जी एल बत्रा और कमल कांत बत्रा को नाराज कर दिया है और उन्होंने कहा कि उनके (बेटे के) नाम पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए.बत्रा के पिता जी एल बत्रा ने कहा, ‘‘मेरी पत्नी कमल कांत बत्रा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में आम आदमी के टिकट पर चुनाव लड रही हैं लेकिन हमने कभी अपने बेटे के नाम का इस्तेमाल नहीं किया.’’
शहीदों और पूर्व सैनिकों के प्रति मोदी की चिंता का जिक्र करते हुए जी एल बत्रा ने कहा, ‘‘यदि मोदी को वाकई विक्रम और अन्य शहीदों की चिंता है, उनके प्रति ऋणी महसूस करते हैं, उन्हें भाजपा उम्मीदवार अनुराग ठाकुर को वापस ले लेना चाहिए.’’ भावुक कमलकांत बत्रा ने सफाई दी कि वे लोग चुनाव लडने के लिए टिकट की मांग करते हुए भाजपा के पास नहीं गए.
उन्होंने कहा, ‘‘आम आदमी पार्टी ने हमें चुनाव मैदान में उतारकर सम्मानित किया.लेकिन हमने चुनाव में कभी विक्रम के नाम और नारे का इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि वह पूरे देश से जुडा है और आश्चर्य होता है कि कैसे नरेंद्र मोदी ने उसके नाम का इस्तेमाल किया.’’ हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने सफाई दी कि मोदी ने केंद्र में स्थिर सरकार के गठन के लिए और सीटें जीतने के संदर्भ में इस नारे का उपयोग किया.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मन में शहीदों के लिए काफी सम्मान है. मोदीजी ने भी अपने भाषणों में शहीदों के परिवारों की खराब स्थिति का जिक्र किया.’’ मोदी ने कहा, ‘‘हिमाचल प्रदेश के एक बेटे कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपना बलिदान दिया और उन्होंने कहा था, ‘‘ ये दिल मांगे मोर’.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं भी कहता हूं कि ‘ये दिल मांगे मोर’.हम हिमाचल प्रदेश की सभी चार सीटों और देश में 300 कमल खिलाना चाहते हैं… ये दिल मांगे मोर.’’