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VIDEO: ये तो अभी झांकी है! ब्रह्मोस जैसा हथियार चीन और पाकिस्तान के पास भी नहीं, जानें दुनिया की हैरानी की वजह

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नयी दिल्ली : वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30एमकेआइ से दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को दागने का पहली बार सफल परीक्षण कर भारत ने बुधवार को नया इतिहास रच दिया. बंगाल की खाड़ी में इसने निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा. अब भारत के पास जमीन, समुद्र और हवा से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल दागने की क्षमता है. ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर से अधिक है. इस मिसाइल की गति 2.8 मैक है.

मतलब यह ध्वनि की रफ्तार से 2.8 गुना तेज गति से लक्ष्य को भेद सकती है. इस परीक्षण से वायुसेना की लंबी दूरी की मारक क्षमता में इजाफा हुआ है. हवा से जमीन पर मार करनेवाले ब्रह्मोस का दुश्मन देश की सीमा में स्थापित आतंकी ठिकानों पर हमला बोलने के लिए भी इस्तेमाल होता है. अब भारत अंडरग्राउंड बने परमाणु बंकरों को नष्ट कर सकेगा. युद्धपोत तक इसकी जद में होंगे. मालूम हो कि इस साल अप्रैल में पहली बार नेवी ने ब्रह्मोस को वॉरशिप से जमीन पर दागा था. इस मिसाइल का वजन 2.5 टन के करीब है.

सुखोई-30 ब्रह्मोस के साथ 1500 किलोमीटर की उड़ान भर सकता है. यह सुखोई पर तैनात किया जाने वाला सबसे भारी हथियार है. हालांकि इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सुखोई में कुछ तकनीकी बदलाव भी किये. ब्रह्मोस डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम का संयुक्त उपक्रम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि सुखोई- 30 एमकेआइ से ब्रह्मास क्रूज मिसाइल के सफल प्रथम परीक्षण से प्रसन्नता हुई. वहीं, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ और ब्रह्मोस को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया कि भारत का विश्व रिकॉर्ड. टीम ब्रह्मोस व डीआरडीओ को शुभकामनाएं.

तीन दिन में बनेगा रॉकेट

बेहद कम लागत में मंगल मिशन पर यान को भेजने के बाद अब इसरो किफायती पोलर सेटलाइट लॉन्च व्हीकल तैयार करने की कोशिशों में जुट गया है. इसरो ऐसा छोटा रॉकेट बनाना चाहता है कि मात्र तीन दिन में तैयार हो जाये. फिलहाल किसी सामान्य साइज के पीएसएलवी रॉकेट को तैयार करने में 30 से 40 दिन का वक्त लगता है.

चीन के पास भी नहीं
जानकारों की मानें तो एयर लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल की तकनीक पाकिस्तान के पास नहीं है और यहां तक कि मौजूदा समय में चीन के पास भी नहीं है. हालांकि कुल मिसाइल क्षमता को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर चीन चाहे तो ऐसी तकनीक विकसित कर सकता है.

दुनिया की हैरानी की वजह

गति में अमेरिकी सेना की टॉमहॉक मिसाइल से चार गुना तेज

युद्धपोत व जमीन से दागने पर 200 किलो वारॅहेड्स ले जाने में सक्षम

विमान से दागे जाने पर 300 किलो वॉरहेड ले जाने में सक्षम

मेनुवरेबल तकनीक से लैस. लक्ष्य का रास्ता बदलने पर मिसाइल भी बदल लेगी रास्ता

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