नयी दिल्ली : अगले साल मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव के ठीक पहले चित्रकूट विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत के कर्इ मायने निकाले जा रहे हैं. कहा यह जा रहा है कि इस उपचुनाव में मिली जीत का लाभ कांग्रेस को अगले महीने गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों में मिल सकता है. वहीं, कहा यह भी जा रहा है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले इस उपचुनाव में भाजपा को मिली हार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है. इस उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए शिवराज सिंह आैर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पूरी ताकत झाेंक दी थी.
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वहीं, दूसरी आेर इसके राजनीतिक मायने यह भी निकाले जा रहे हैं कि चित्रकूट के इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की रिकॉर्ड 14135 वोटों से जीत भाजपा के लिए चिंता का सबब बन सकती है. शिवराज सिंह के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ ने भी इस सीट पर जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रखी थी. भाजपा की यह हार कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह जीत कांग्रेस कैडर के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर लेने जैसी ही है.
इस उपचुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी चित्रकूट का कई बार दौरा किया. योगी के इस दौरे को सियासी पंडित एक तीर से दो निशाना साधना मान रहे थे. पहला तो यहां होने वाला उपचुनाव था. दूसरा, योगी का चित्रकूट दौरा अयोध्या के ठीक बाद था. योगी ने चित्रकूट के कामदगिरी मंदिर की पांच किलोमीटर की परिक्रमा में भी हिस्सा लिया था.
योगी ने छोटी दिवाली पर अयोध्या में तो रविवार को चित्रकूट में दीपोत्सव किया और मंदाकिनी किनारे महाआरती भी की. माना जा रहा कि हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ते हुए योगी भगवान राम से जुड़ी धार्मिक नगरी अयोध्या के बाद चित्रकूट का दौरा कर 2019 की तैयारी कर रहे हैं. यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या भी चित्रकूट में प्रचार कर चुके थे.
इससे पहले पंजाब की लोकसभा सीट गुरदासपुर पर भी कांग्रेस ने परचम लहराया था. विनोद खन्ना की मौत के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुनील जाखड़ ने भाजपा प्रत्याशी स्वर्ण सलारिया को तकरीबन एक लाख 93 हजार मतों के भारी-भरकम अंतर से जीत हासिल की थी. इस जीत के मायने इसलिए भी बढ़ जाते हैं क्योंकि गुरदासपुर सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है. विधानसभा चुनाव में भाजपा को पंजाब में पहले ही करारी हार का सामना करना पड़ा था.
इतना ही नहीं, केरल की वेंगारा विधानसभा सीट भी उपचुनाव में भाजपा के हाथ से फिसल गयी. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की घटक इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के उम्मीदवार केएनए खादर ने इस सीट पर जीत दर्ज की. भाजपा प्रत्याशी जनचंद्रन यहां चौथे स्थान पर पहुंच गये थे. खादर ने CPI(M) के पीपी बशीर को 23,310 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी.
इसके अलावा दिल्ली के बवाना विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था. यहां आप उम्मीदवार राम चंद्र ने भाजपा प्रत्याशी वेद प्रकाश को 24 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी. कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे.
किसान, किसानी और खेती को अपनी प्राथमिकता बताने वाले शिवराज सिंह किसानों के साथ न्याय नहीं कर सके. मंदसौर में अपना वाजिब हक मांग रहे किसानों पर फायरिंग से उनकी खूब किरकिरी हुई. शिवराज ने प्रदर्शन में हिंसा भड़काने का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा था. जलते प्रदेश में शांति बहाली के लिए उन्होंने शांति व्रत भी रखा, लेकिन निहत्थे किसानों पर फायरिंग का उन्हें चुनाव में नुकसान हो सकता है.