नयी दिल्ली : माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के तीन माह बाद जीएसटी परिषद ने शुक्रवार को छोटे एवं मझोले उद्यमों को कर के भुगतान और रिटर्न दाखिल करने के मामले में बड़ी राहत दी है. निर्यातकों के लिए नियमों को आसान बनाया गया है तथा कलम, पेंसिल, बिना ब्रांडवाले नमकीन और आयुर्वेदिक दवाओं सहित दो दर्जन से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती की गयी है. सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करनेवाली कंपनियों को हर महीने के बजाय अब तिमाही रिटर्न भरनी होगी. डेढ करोड़ रुपये तक कारोबार करनेवाली कंपनियां जीएसटी में पंजीकृत कुल करदाता आधार का 90 प्रतिशत है, लेकिन इनसे कुल कर का 5 से 6 प्रतिशत ही प्राप्त होता है. जीएसटी परिषद ने कंपोजिशन योजना अपनाने वाली कंपनियों के लिये भी कारोबार की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ा कर एक करोड रुपये कर दी. इस योजना के तहत एसएमइ को कड़ी औपचारिकताओं से नहीं गुजरना पड़ता है और उन्हें एक से पांच प्रतिशत के दायरे में कर भुगतान की सुविधा दी गयी है.
जीएसटी परिषद की शुक्रवार को हुई 22वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, जीएसटी में मझोले और छोटे करदाताओं के अनुपालन बोझ को कम किया गया है. छोटी इकाइयों और कारोबारियों की माल एवं सेवा कर व्यवस्था में अनुपालन बोझ को लेकर शिकायत थी. जेटली ने कहा कि परिषद ने आम उपयोगवाले 27 वस्तुओ पर जीएसटी दर में कटौती का भी फैसला किया. बिना ब्रांड वाले नमकीन, बिना ब्रांड वाले आयुर्वेदिक दवाओं, अमचूर और खाकडा पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया हैं, वहीं कपड़ा क्षेत्र में उपयोग होनेवाले मानव निर्मित धागे पर माल एवं सेवा कर को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है. कलम, पेंसिल जैसे स्टेशनरी के सामान, फर्श में लगनेवाले पत्थर (मार्बल और ग्रेनाइट को छोड़ कर), डीजल इंजन और पंप के कलपुर्जों पर कर की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गयी है. ई-कचरे पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है. एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत स्कूली बच्चों को दिये जानेवाले खाने के पैकेट पर जीएसटी 12 प्रतिशत के बजाय अब 5 प्रतिशत लगेगा. जरी, प्रतिलिपी, खाद्य पदार्थ और प्रिंटिंग सामान पर अब 12 प्रतिशत के बजाय 5 प्रतिशत कर लगेगा.
जेटली ने कहा कि वैश्विक नरमी के कारण परेशान निर्यातकों को जुलाई और अगस्त के दौरान किये गये कर भुगतान की वापसी 18 अक्तूबर तक हो जायेगी. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में वे नाममात्र 0.1 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर छूटवाली श्रेणी में काम करेंगे. एक अप्रैल से निर्यातकों को नकदी उपलब्ध कराने के लिए ई-बटुआ सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. वित्त मंत्री ने कहा कि कुल कर में 94 से 95 प्रतिशत का योगदान देनेवाले बड़े करदाताओं को मासिक रिटर्न भरते रहना है और मासिक आधार पर ही कर का भुगतान करना होगा.
जीएसटी परिषद ने रेस्तरां के लिए जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने के साथ एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री करनेवालों को कंपोजिशन योजना के दायरे में लाने के लिए विचार को लेकर मंत्री समूह का भी गठन किया है. उन्होंने कहा कि लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए तिमाही कर रिटर्न भरने की व्यवस्था एक अक्तूबर से लागू होगी और उन्हें तीन महीने का मासिक रिटर्न एक साथ देना होगा. छोटी इकाइयों और कारोबारियों की जीएसटी व्यवस्था में अनुपालन बोझ को लेकर शिकायत थी. परिषद ने उन करदाताओं को कपोजिशन स्कीम का विकल्प देने का फैसला किया है जिनका सालाना कारोबार एक करोड़ रुपये या उससे कम है. अब तक यह सीमा 20 लाख से 75 लाख रुपये तक थी. कुल 90 लाख पंजीकृत इकाइयों में से अब तक 15 लाख ने कंपोजिशन योजना का विकल्प चुना है.
कंपोजिशन स्कीम में वस्तु व्यापार करनेवालों के लिए कर की दर एक प्रतिशत है. वहीं, विनिर्माताओं के लिए दो प्रतिशत, खाद्य या पेय पदार्थ (अल्कोहल के बिना) की आपूर्ति करनेवालों के लिए 5 प्रतिशत रखा गया है. सेवा प्रदाताओं के लिए कंपोजिशन योजना का विकल्प नहीं है. कंपोजिशन योजना भोजनालय समेत छोटी कंपनियों को तीन स्तरीय रिटर्न भरने की प्रक्रिया का पालन किये बिना एक से पांच प्रतिशत के दायरे में तय दर से कर देने की अनुमति देती है.
यह छोटे करदाताओं को स्थिर दर पर जीएसटी भुगतान की अनुमति देता है और उन्हें जटिल जीएसटी औपचारिकताओं से गुजरने की जरूरत नहीं होती है. रेस्तरां संबंधित सेवाओं, आइसक्रीम, पान मसाला या तंबाकू विनिर्माता, आकस्मिक करदाता अथवा प्रवासी करदाता व्यक्ति तथा ई-वाणिज्य आपरेटर के जरिये वस्तुओं की आपूर्ति करनेवाली कंपनियों के अलावा अन्य कोई भी सेवा प्रदाता कंपोजिशन योजना का विकल्प नहीं चुन सकता है. जो भी कंपनी कंपोजिशन योजना का विकल्प चुनती हैं, वे इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकती. इस योजना के तहत आने वाले करदाता एक ही राज्य में आपूर्ति कर सकते हैं और वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य में आपूर्ति नहीं कर सकते.