नयी दिल्ली :राजद और जदयू के बीच जारी तनाव के बीच शनिवार शाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करनेवाले हैं. जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार आज रिटायर हो रहे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सम्मान में रखे गये रात्रिभोज कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं. इस रात्रिभोज का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है. इसदौरान वे कांग्रेस नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं. बिहार में जदयू-राजद-कांग्रेस महागंठबंधन की सरकार चल रही है. भले ही बिहार की राजनीति में कांग्रेस छोटी राजनीतिक खिलाड़ी हो लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर वह बड़ी राजनीतिक प्लेयर है. ऐसे में राजद नेता व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादवपरबेनामी संपत्ति मामले में सीबीआइ द्वारा एफआइआर दर्ज किये जाने के मुद्दे पर कांग्रेस की राय व स्टैंड बिहारके दोनों प्रमुख दलों के लिए अहम होगा. जदयूचाहता है कि नैतिक आधार पर तेजस्वी पद छोड़ दें, जबकिराजद का कहना है कि उसके नेता पद नहीं छोड़ेंगे.
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तेजस्वी मुद्दे पर राहुल से नीतीश की मुलाकात, क्या ”मिस्टर क्लीन” को संबल देंगे कांग्रेस उपाध्यक्ष?
नयी दिल्ली :राजद और जदयू के बीच जारी तनाव के बीच शनिवार शाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करनेवाले हैं. जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार आज रिटायर हो रहे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सम्मान में रखे गये रात्रिभोज कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं. इस […]
क्या है तनाव का कारण
नीतीश कुमार बिहार में बड़े राजनीतिकझंझावतमें हैं और दावं पर उनकी यूएसपी है, जो उन्होंनेतीन दशककी राजनीति मेंतैयार की है.वह हैभ्रष्टाचार के खिलाफ जीरोटालरेंस. वे पूर्व मेंइसीमुद्दे पर चार मंत्रियों का इस्तीफा ले चुके हैं. भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे राजद सुप्रीमो लालू के बेटे और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हुए हैं जबकि नीतीश और जदयू खेमा तेजस्वी का इस्तीफा लेने पर अमादा हैं. इस तनाव के बीच, जदयू और राजद नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है. ऐसी खबर चर्चा में है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मामले को लेकर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के संपर्क में थीं, ताकि महागठबंधन को नुकसान नहीं पहुंचे और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकजुटता नहीं बिखरे.
महागंठबंधन टूटा तो भाजपा को होगा फायदा
राजनीतिक जानकारों की मानें तो महागठबंधन में किसी टूट का सीधा फायदा भाजपा को 2019 के आम चुनाव में होगा क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में तीनों पार्टियों ने (जदयू, राजद और कांग्रेस) अलग-अलग चुनाव लड़ा था जिसके कारण एनडीए ने 40 में से 31 सीटों पर कब्जा किया था. इस चुनाव में लालू की पार्टी को सिर्फ़ 4 सीट मिलीं जबकि नीतीश को 2 सीट मिलीं थीं. वहीं कांग्रेस की बात करें तो उसने 2 सीटों पर कब्जा किया. मोदी लहर ने इस चुनाव में सबको पस्त कर दिया था जिसके बाद तीनों पार्टियों ने मिलकर विधानसभा चुनाव में महागंठबंध बनाया जिसका फायदा इन्हें हुआ भी और सूबे में महागंठबंधन की सरकार 2015 में बनी.
लालू की रैली और कांग्रेस
पिछले दिनों यह खबरचर्चा में थी कि राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन किया और 27 अगस्त की रैली में आने का निमंत्रण दिया. फोन पर लालू ने कहा कि वे उनकी या फिर बेटी प्रियंका गांधी की मौजूदगी चाहते हैं, लेकिन राजद सुप्रीमो ने राहुल गांधी का नाम तक नहीं लिया.राहुलजबकि कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं, पार्टी के सारे कार्यकारी फैसले आज की तारीख में वही लेते हैं. ऐसे में लालू द्वारा राहुल की उपेक्षा अनायास नहीं है. राहुल गांधी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लालू प्रसाद यादव के साथ मंच साझा करने से हमेशा बचते रहे. उनका झुकाव नीतीश की बेदाग छवि के कारण हमेशा उनकी ओर रहा. जानकारों के अनुसार, लालू को यह बात अखड़ती रही है. इससे यह भी अनुमान लगाया जाता है कि तेजस्वी मुद्दे पर राहुल गांधी अपना झुकाव नीतीश कुमार की ओर दिखा सकते हैं.
जब राहुल गांधी ने फाड़ा था अध्यादेश
राहुल गांधी हमेशा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस की छविको साफ करना चाहते हैं. यूपीए – 2 सरकार के दौरान दागी नेताओं को चुनाव लड़ने का मौका उपलब्ध कराने वाले अध्यादेश को उन्होंने सार्वजनिक रूप से फाड़ कर फेंक दिया था. सुप्रीम कोर्ट की इस व्यवस्था केकारण लालू प्रसाद यादवचुनाव लड़ने से वंचित हैं.कहतेहैंराहुलकावहगुस्सालालूकेजेहनमेंहै.
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