नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सरकार से कहा कि शराब के कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ अवमानना के मामले में तभी आगे कार्यवाही करेगा जब उसे उसके समक्ष पेश किया जायेगा. माल्या को अवमानना के जुर्म में न्यायालय पहले ही दोषी ठहरा चुका है. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के इस कथन पर गौर किया कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया लंदन में जारी है और केंद्र शीर्ष अदालत के समक्ष उसकी उपस्थिति के लिए कदम उठा रहा है.
वेणुगोपाल ने जब सरकार द्वारा पेश स्थिति रिपोर्ट का हवाला दिया तो पीठ ने कहा, ‘हम उसकी (माल्या की) अनुपस्थिति में इसका विश्लेषण नहीं कर सकते. आपको उसे हमारे सामने पेश करना होगा. आप जब उसे यहां पेश करेंगे, तब हम आगे बढ़ेंगे और देखेंगे कि इसमें क्या करना है.’ पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य को दर्ज किया, ‘अवमाननाकर्ता पेश होने में विफल रहा है. सरकार ने उसकी उपस्थिति हासिल करने के लिए कदम उठाये हैं. प्रत्यर्पण कार्यवाही चल रही है. सभी कदम उठाये जायें. मामले को उसकी (माल्या) हमारे सामने पेशी के समय पेश किया जाये.’
शीर्ष अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों के कंसोर्टियम की याचिका पर विजय माल्या को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था, क्योंकि वह भारत और विदेशों में अपनी सारी संपत्ति का सही विवरण पेश करने में विफल रहे हैं. न्यायालय ने माल्या को सजा पर बहस के लिए 10 जुलाई को पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहा था. अवमानना के अपराध में अधिकतम छह महीने की कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं.
इन बैंकों के कंसोर्टियम का तर्क था कि माल्या ने ब्रिटिश फर्म दियागो से मिले 40 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की रकम तमाम न्यायिक आदेशों का उल्लंघन करते हुए कथित रूप से अपने बच्चों के नाम हस्तांतरित कर दी है. यह तथ्य सामने आने पर न्यायालय ने भी माल्या को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि पहली नजर में उसका मानना है कि पहले दिये गये आदेशों के अनुरूप सही तरीके से संपत्ति का खुलासा नहीं किया गया है.