नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवादित न्यायाधीश सीएस कर्णन अपनी ‘अशोभनीय’ गतिविधि और आचरण के जरिये अदालत की अवमानना के अपने ‘गंभीरतम कृत्यों ‘ को लेकर दंडित होने के लिए उत्तरदायी हैं. इसके साथ ही न्यायालय ने यह टिप्पणी भी की कि उनके बयानों ने न्यायिक प्रणाली को ‘हंसी का पात्र ‘ बना दिया था. अदालत ने कर्णन को सुनायी गयी छह महीने की जेल की सजा पर विस्तृत आदेश दिया है. कर्णन उस समय कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे. बाद में वह सेवानिवृत्त हो गये.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनका मामला ‘ दुर्भाग्यपूर्ण’ है, क्योंकि यह एक कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवार्इ से संबंधित था और इसने घरेलू तथा विदेशी दोनों मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी कर्णन ने मद्रास उच्च न्यायालय में अपने सहयोगियों के बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस न्यायालय द्वारा समय समय पर आदेश जारी किये जाने के बाद उनका आचरण और आक्रामक होता गया.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर विस्तृत फैसला अपलोड कर दिया गया है. इस पर मंगलवार को हस्ताक्षर किये गये हैं. यह फैसला 80 पृष्ठों में है और इसमें दो सेट हैं, लेकिन फैसले में सहमति है. अदालत ने नौ मई को संक्षिप्त आदेश दिया था. कर्णन नौ मई से फरार थे और उन्हें पश्चिम बंगाल पुलिस ने 20 जून को तमिलनाडु में कोयंबटूर से गिरफ्तार किया था. उन्हें कोलकाता की एक जेल में रखा गया है. वह पहले न्यायाधीश हैं, जिन्हें जेल भेजा गया है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर नीत सात सदस्यीय पीठ इस मामले को देख रही थी. पीठ ने कहा कि उम्मीद की गयी थी कि वह अपने निष्कर्ष बिना भय या पक्षपात के, बिना स्नेह या दुर्भावना से रिकाॅर्ड करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित किया था और डाॅक्टरों के पैनल की रिपोर्ट की अनुपस्थिति में उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से फिट माना. अदालत ने कर्णन द्वारा तीन जनवरी को प्रधानमंत्री को भेजे गये पत्र का भी जिक्र किया. उसने कहा कि इससे उनकी मानसिकता का पता लगता है. उस पत्र में कई न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप लगाये गये थे.