नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ इस हफ्ते कजाखिस्तान में होंगे, लेकिन भारत ने सोमवार को उनके बीच किसी मुलाकात की संभावना से इनकार किया और जोर देकर कहा कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में नहीं ले जा सकता. पाकिस्तान के साथ संबंधों पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘बातचीत और आतंक साथ-साथ नहीं चल सकते”. उस देश से संबंधों पर तीन स्तंभों पर आधारित भारतीय रणनीति को भी उन्होंने सुस्पष्ट किया.
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर भारत दूसरे देशों के साथ भी संपर्क में है. सरकार के तीन साल पूरे होने पर सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘कोई मुलाकात तय नहीं है, न उनकी तरफ से न हमारी तरफ से.” उनसे पूछा गया था कि क्या मोदी और शरीफ के बीच 8-9 जून को कजाखिस्तान के अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात होगी.
पाकिस्तान के एक कानूनी अधिकारी के इस्लामाबाद द्वारा कश्मीर मुद्दे को आईसीजे में उठाये जाने संबंधी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘‘पाकिस्तान आईसीजे में कश्मीर मुद्दा नहीं उठा सकता. शिमला समझौता और लाहौर घोषणा-पत्र कश्मीर मुद्दे को लेकर बेहद स्पष्ट हैं कि दोनों पक्षों के द्वारा ही इसे हल किया जा सकता है. दोनों देश इन द्विपक्षीय समझौतों से बंधे हुए हैं.”
सुषमा ने ब्रिटेन की अदालत में हैदराबाद के निजाम के खजाने का मामला और विश्व बैंक के सामने मौजूद सिंधु जल संधि का मुद्दा जैसे अदालत में लंबित कुछ मामलों का भी हवाला दिया. पाकिस्तान से निबटने में सरकार की ‘ढुलमुल’ नीति होने के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि भारत बेहद स्पष्ट है कि ‘‘बिना किसी तीसरे देश, संगठन या किसी और की मध्यस्थता के भारत सभी मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से सुलझाना चाहता है. लेकिन, एक ही वक्त आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते.”
मंत्री ने इस बात पर भी जोर देकर कहा कि सरकार दूसरे देशों से भी कह रही है कि पाकिस्तान की तरफ से होनेवाले सीमा पार मुद्दे या वहां से निकलनेवाले आतंकवाद को भारतीय नजरिये से ही न देख कर यह देखें कि क्या अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद किसी रूप से उस देश के साथ जुड़ा है. उन्होंने कहा, ‘‘आखिर में ओसामा बिन लादेन कहा मिला? पाकिस्तान में.”