लखनऊ: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से मंजूरी के बाद, रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड (एनएईएल) जल्द ही ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण देने के लिए पांच दिवसीय पाठ्यक्रम शुरू करेगा. यह कोर्स 15 अगस्त के आसपास शुरू होने की उम्मीद है. इसके साथ, नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड आम व्यक्तियों को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण देने वाली राज्य की पहली सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था (इकाई) बन जाएगी. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA ) ने ड्रोन नियम 2021 के नियम 39 के अनुसार एनएईएल के रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (RPTO) को मंजूरी जारी कर दी गई है. भी तक शुल्क संरचना तय नहीं की है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह निजी कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क से कम होगा.
एनएईएल के सीईओ आरआर ठाकुर के अनुसार: “ ड्रोन यूटिलिटीज उद्योगों में जबरदस्त बदलाव वैल्यू जोड़ने की क्षमता के साथ सबसे उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में से एक है. इस प्रकार इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं. चूंकि एनएईएल पहले से ही ड्रोन निर्माण में है, इसलिए उम्मीदवारों को ड्रोन की गहन तकनीकी जानकारी प्राप्त करने का अतिरिक्त लाभ होगा और वे ड्रोन पारिस्थितिकी तंत्र का एक सक्रिय भागीदार बन सकते हैं.
डीजीसीए द्वारा मूंजूर किए गए पाठ्यक्रम के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम नामांकित छात्रों के लिए होगा. एक बैच में 20 छात्र होंगे. एक सत्र में 2-3 बैच को ही प्रशिक्षण चलाएगा. प्रशिक्षण एक सतत प्रक्रिया होगी क्योंकि नामांकित बैच का प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद एनएईएल इच्छुक व्यक्तियों के एक नए बैच को प्रवेश देगा. जीसीए द्वारा अनुमोदित प्रशिक्षक ड्रोन नियम, उड़ानों के बुनियादी सिद्धांत, एटीसी प्रक्रियाएं, रखरखाव और एयरो-डायनामिक्स जैसे सैद्धांतिक विषय प्रदान करेंगे. छात्र को ड्रोन उड़ान सबक भी प्राप्त होगा, जिसमें एनएईएल में सिमुलेशन प्रशिक्षण और व्यावहारिक उड़ान सबक शामिल होंगे. पाठ्यक्रम के सफल समापन पर उन्हें प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाएगा.
नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड के सीईओ आरआर ठाकुर ने कहा कि यह पाठ्यक्रम भारत में इच्छुक ड्रोन पायलटों को उद्योग विशिष्ट कौशल और ड्रोन के सुरक्षित संचालन का ज्ञान प्रदान करेगा. जिन उम्मीदवारों ने सफलतापूर्वक 10वीं कक्षा उत्तीर्ण की है और जिनकी आयु 18-65 वर्ष के बीच है, वे आवेदन करने के पात्र हैं. उनके पास वैध भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए और डीजीसीए नियमों के अनुसार प्रशिक्षण से गुजरने के लिए मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक होगा.सीईओ ने कहा, पाठ्यक्रम के लिए नामांकन की घोषणा शीघ्र ही की जाएगी.
उत्तर प्रदेश में पहली बार, रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नैनी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग लिमिटेड (एनएईएल) ड्रोन का निर्माण शुरू किया है. यह ड्रोन लगभग 25 किलोग्राम का पेलोड (सामान) ले जाने में सक्षम होंगे. नैनी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ने 20 मई को इन ड्रोनों के निर्माण में सहयोग के लिए चेन्नई स्थित कंपनी गरुड़ एयरोस्पेस (GA) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे. जून में इन हेवी-ड्यूटी ड्रोन का निर्माण शुरू कर किया गया. इन ड्रोन की उपयोगिता विभिन्न क्षेत्रों में है लेकिन मुख्य रूप से कृषि उद्देश्य हैं.
एमओयू के दौरान एनएईएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), आरआर ठाकुर ने कहा था कि “ इस अनूठी पहल से रोजगार पैदा होने की उम्मीद है और नैनी औद्योगिक क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. यह एक शिक्षा केंद्र भी है. यह उत्तरी भारत में पहली ड्रोन निर्माण सुविधा होगी, जिसमें कृषि के अलावा सुरक्षा और निगरानी, देश के भीतर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भूमि के मानचित्रण और अन्य चीजों जैसे उद्योगों में जबरदस्त मूल्य जोड़ने की क्षमता होगी ”.
अभी देश में लगभग 75% ड्रोन चीन और कई पश्चिमी देशों से आयात किए जा रहे हैं. नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड कृषि क्षेत्र में जनशक्ति की कमी और उच्च निवेश को ध्यान में रखते हुए परियोजना को विस्तार दिया जा रहा है. यह ड्रोन विशेष रूप से रोजाना की कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. हाइटेक ड्रोन का उपयोग करके किसान अपनी उत्पादकता बढ़ा सकता है. ड्रोन को विशेष रूप से 25.5 किलोग्राम के टेक-ऑफ वजन के साथ डिजाइन किया गया है. यानि यह खेत में दवा का छिड़काव कर सकता है. यह 5 मीटर प्रति सेकंड की गति के साथ 500 मीटर के दायरे को कवर करेगा. ड्रोन की स्प्रे दक्षता 1500-2550 वर्ग मीटर प्रति मिनट है.