संक्रामक बीमारी, मानसिक पीड़ा व जल संबंधी समस्याओं के साथ राजनीति पर दिखेगा गहरा प्रभाव
ओबरा. आगामी सात सितंबर को चंद्रग्रहण लगेगा. ज्योतिषाचार्य आचार्य नारायण जी बताते हैं कि सात सितंबर यानी भाद्रपद पूर्णिमा की रात में लग रहे चंद्रग्रहण की कुल अवधि तीन घंटे 29 मिनट की होगी. यह चंद्रग्रहण रात्रि 9:57 से 1:26 तक रहेगा. अक्षांश-देशांतर के अनुसार प्रत्येक स्थानों पर आठ से दस मिनट का अंतर हो सकता है. गौरतलब हो कि यह एक खगोलीय घटना है. चंद्र ग्रहण पूर्णिमा की रात्रि ही होता है. जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में होते हैं और चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है, लेनिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह ग्रहण धार्मिक और ज्योतिषि दृष्टि से भी खास माना जा रहा है. उन्होंने बताया कि चंद्रग्रहण लगने से नौ घंटे पूर्व सूतक लग जाता है. यानी सूतक काल सात सितंबर की दोपहर 12:57 से लगेगा. सूतक काल में भोजन बनाना व खाना नहीं चाहिए. इसके अलावे मूर्ति स्पर्श नहीं करना चाहिए. केवल मंत्र जप और भक्ति भजन करना चाहिए. काल के दौरान गर्भवती महिलाएं नुकीले औजारों का प्रयोग सब्जी काटने, खाना पकाने, कड़ाही-तवे पर छोंक लगाने आदि से बचें. इसके अलावे सोने से परहेज करें. किसी भी हालत में ग्रहण को नही देखना चाहिए. उपाय के तौर पर अपने मुंह मे तुलसी दल रखें व अपनी लंबाई के बराबर एक धागा लेकर घर के किसी एक स्थान पर रखना चाहिए और ग्रहण खत्म होने पर उसे बहते जल में प्रवाहित कर देना चाहिए. ग्रहणकाल में की गई लापरवाही शिशु के अंग पर बुरा प्रभाव डालता है. आचार्य नारायण बताते हैं कि चंद्र ग्रहण का प्रभाव सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिलेगा. इस बार का चन्द्रमा कुम्भ राशि में बैठकर विष योग का निर्माण करते हुए राहु के साथ युति कर रहा है. इसके फलस्वरूप बड़ी शक्तियों के टकराव, लोगों के संबंधों में तनाव और मानसिक पीड़ा देखने को मिलेगी. चंद्रग्रहण के दुष्प्रभाव के कारण मानव और जीवों में किसी तरह की संक्रामक बीमारी और साथ ही साथ जल से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. ग्रहण का भारतीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा.आगामी चुनावों में यह चंद्रग्रहण सत्ता परिवर्तन का कारण भी बन सकता है.जानें किस राशि के लिए होगा कौन सा प्रभाव
मेष – लाभवृष – सुख
मिथुन – मानहानिकर्क – मृत्यु तुल्य कष्ट
सिंह – स्त्री पीड़ाकन्या – सुख्यम
तुला – चिंतावृश्चिक – व्यथा
धनु- श्रीमकर – क्षति
कुम्भ – घाटमीन – हानि
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