बलिया बेलौन ज़िले के कदवा व प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र सीमांचल की राजनीति में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है. यह सुरजापुरी बाहुल्य क्षेत्र है. सभी राजनीतिक दलों से इस क्षेत्र के लोगों द्वारा स्थानीय किसी सुरजापुरी बिरादरी से विधानसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाने की मांग जोड़ पकड़ रही है. यह इलाका बाढ़, कटाव, पलायन, बेरोज़गारी व पिछड़ेपन जैसी गंभीर समस्याओं से लंबे समय से जूझ रहा है. दशकों से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन का शिकार है. पिछले दो विधानसभा चुनावों में एनडीए व महागठबंधन दोनों ने ही स्थानीय सुरजापुरी समाज को दरकिनार करते हुए बाहरी व गैर-सुरजापुरी उम्मीदवारों को टिकट दिया. राजनीतिक प्रतिनिधित्व देकर सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित करने की गुहार सुरजापुरी समाज की स्थिति आज भी संघर्षों से भरी हुई है. आर्थिक दृष्टि से यह समुदाय खेतिहर, मज़दूरी, छोटे व्यापार पर निर्भर है. बाढ़ और कटाव हर साल इनकी रोज़ी-रोटी पर चोट पहुंचाता है. शैक्षणिक स्थिति भी बेहद चिंताजनक है. लड़कियों की शिक्षा विशेष रूप से प्रभावित है. विश्वविद्यालयों व केंद्रीय नौकरियों में इनकी भागीदारी नगण्य है. राजनीतिक दृष्टि से स्थिति और भी निराशाजनक है. जनसंख्या में भारी हिस्सेदारी होने के बावजूद सुरजापुरी समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने लोगों में आक्रोश है. पार्टियों के संगठन से लेकर विधानसभा विधान परिषद् व संसद तक टिकट वितरण में लगातार उपेक्षा की गई है.
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