– निर्माण एजेंसी के किये गये कार्य में की गयी अनियमितता का दिख रहा असर कटिहार सदर अस्पताल का नया भवन करोड़ों रुपए की लागत से भले ही मरीजों की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाया गया हो. निर्माण की गुणवत्ता पर अब गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं. महज दो वर्षों में ही यह भवन दरारों, सीलन और रिसाव की समस्या से जूझने लगा है. करोड़ों की राशि खर्च कर बने इस भवन की मजबूती और टिकाऊपन पर स्थानीय लोग और मरीज दोनों ही सवाल खरे कर रहे है. सदर अस्पताल परिसर में 100 बेड वाला नया भवन और मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल का निर्माण केंद्र सरकार और बिहार सरकार की योजना के तहत किया गया है. यह भवन अक्तूबर 2023 में मरीजों के उपयोग के लिए खोला गया था. भवन शुरू होने के साथ ही मरीजों और परिजनों ने इसकी कमजोर गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे. अभी यह भवन तीन साल भी पूरे नहीं कर पाया है और दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें, छत से पानी का रिसाव और सीलन स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगा है. मरीजों का कहना है कि जिस भवन को 20-25 साल तक टिकना चाहिए. वह मात्र दो साल में ही जर्जर होता दिख रहा है. यह स्थिति करोड़ों रुपए की बर्बादी के साथ-साथ भ्रष्टाचार और अनियमितता की पोल खोल रही है. निर्माण एजेंसी पर उठ रहे सवाल सदर अस्पताल का दोनों भवनों का निर्माण बीएमएसआईसीएल (बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड) को सौंपा गया था. बाद में बीएमएसआईसीएल ने निर्माण का कार्य अलग-अलग एजेंसियों को दे दिया. मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल का निर्माण दरभंगा की एजेंसी कृष्णकांत ठाकुर को 16 करोड़ 8 लाख 70 हजार 295 रुपए की लागत से किया गया. 100 बेड वाला भवन दरभंगा की ही एमएस कुंवर कंस्ट्रक्शन को 19 करोड़ 6 लाख 16 हजार 465 रुपए की लागत से किया गया. दोनों ही भवन करोड़ों रुपए की लागत से बनाये गये. लेकिन आज उनकी हालत यह है कि दीवारों में जगह-जगह दरारें आ चुकी हैं. कई जगहों पर प्लास्टर कर दरारों को ढकने की कोशिश की गयी. अब फिर वही दरारें और भी गहरी होकर सामने आ गई है. नये भवन की हालत देख मरीजों में आक्रोश सदर अस्पताल में इलाज कराने आये मरीज रंजीत सिंह और मंटू कुमार ने कहा कि भवन निर्माण कार्य में घोर अनियमितता बरती गई है. करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भवन की मजबूती पर भरोसा नहीं किया जा सकता. मरीजों के अनुसार, जब अस्पताल खुला था तभी कई जगह दरारें नजर आ रही थीं. लेकिन अब हालत और भी खराब हो गई है. ड्रेसिंग रूम सहित कई जगहों पर सीलन से दीवार और छत खराब हो चुकी है. पानी का रिसाव लगातार हो रहा है. यह सब इस बात की ओर इशारा करता है कि निर्माण एजेंसी ने काम में कोताही बरती और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया. भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया सदर अस्पताल का नया भवन स्थानीय लोगों और अस्पताल आने वाले मरीजों का आरोप है कि भवन निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. सरकार द्वारा दिए गए करोड़ों रुपए की राशि का सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया. बल्कि उसमें बंदरबांट कर ली गई. यही कारण है कि नया भवन मरीजों के उपयोग में आने के महज कुछ सालों के भीतर ही जर्जर स्थिति में पहुंच गया है. अस्पताल का यह नया भवन मरीजों की सुविधा और बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए बनाया गया था. लेकिन जिस तरह से भवन की दीवारें और छत पहले ही सीलन और दरार से ग्रस्त हो गई हैं. उससे मरीजों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगा है. अस्पताल में इलाज कराने आए लोगों का कहना है कि अगर समय रहते इसकी मरम्मत और जांच नहीं कराई गई तो यह किसी बड़े हादसे को भी न्योता दे सकता है.
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