ओबरा. प्रखंड मुख्यालय स्थित उच्च विद्यालय के समीप अनुसूचित जाति छात्रावास की स्थिति इन दिनों बदहाल है. छात्रावास के भवन में दरार उभर गया है तथा जर्जर हो गया है. चहारदीवारी पूरी तरह टूटने के कारण परिसर में आवारा पशुओं तथा शरारती तत्व के लोगों का जमवाड़ा लगा रह रहा है. 25 वर्ष पहले उच्च विद्यालय ओबरा के समीप अनुसूचित जाति के छात्रों को प्रखंड मुख्यालय में रहकर शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से छात्रावास का निर्माण पूर्व विधायक राजाराम सिंह की ऐच्छिक निधि से कराया गया था. निर्माण होने के बाद उक्त छात्रावास में कुछ दिन ओबरा प्रखंड के सुदूर इलाके के अनुसूचित जाति के बच्चे रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे, लेकिन कुछ ही दिन के बाद व्यवस्था में कमी होने के कारण बच्चों की संख्या नगण्य हो गयी. फिलहाल छात्रावास पूरी तरह जर्जर स्थिति में है. ओबरा के पूर्व मुखिया शंभू प्रसाद, डॉ अरविंद शर्मा, पूर्व स्टेशन प्रबंधक अरविंद शर्मा, जिला पार्षद प्रतिनिधि गुड्डू कुमार, भाकपा माले के जिला सचिव मुनारिक राम, पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष कृष्णकांत शर्मा, पूर्व जिला पार्षद नीलू देवी, पैक्स अध्यक्ष मुकेश कुमार, मुखिया प्रतिनिधि मुन्ना कुमार सहित का कहना है कि एक तरफ सरकार शिक्षा के प्रति पूरी तरह गंभीर है, लेकिन दूसरी तरफ बंद पड़े लाखों रुपये की लागत से निर्माण किये गये अनुसूचित जाति छात्रावास को चालू करने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है. इसके कारण अनुसूचित जाति के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में कठिनाइयां हो रही है. यहां तक की सरकार विभिन्न क्षेत्रों में बड़े-बड़े भवन का निर्माण करा रही है, लेकिन जर्जर अनुसूचित जाति छात्रावास की मरम्मत नहीं करायी जा रही है. स्थानीय जनप्रतिनिधि तथा संबंधित विभाग के पदाधिकारी पूरी तरह उदासीन दिख रहे हैं.
2001 में बना था छात्रावास
उक्त अनुसूचित जाति छात्रावास वर्ष 2001 में भाकपा माले के तत्कालीन विधायक राजाराम सिंह की ऐच्छिक निधि से लगभग 75 लाख रुपये की लागत से बनाया गया था. फिलहाल उक्त छात्रावास बंद पड़ा है. काफी वर्षों से उक्त छात्रावास को चालू करने की मांग की जा रही है. छात्रावास के आसपास व्यवसायिक वर्ग के लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है. लेकिन इस मामले में पहल नहीं हो रही है. लोगों ने यह भी कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को घेरा जायेगा. काराकाट लोकसभा क्षेत्र के वर्तमान सांसद एवं जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बंद पड़े छात्रावास को चालू करने की मांग की है.
क्या कहते हैं ओबरा के लोग
पूर्व व्यापार मंडल कृष्णकांत शर्मा ने कहा कि सरकार की उदासीन रवैया के कारण यह स्थिति उत्पन्न है. बंद पड़े अनुसूचित जाति छात्रावास को चालू होने से बच्चों को लाभ मिलेगा. पूर्व जिला पार्षद नीलू देवी ने बताया कि सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रति गंभीर है, लेकिन काफी दिनों से बंद पड़े अनुसूचित जाति छात्रावास को चालू करने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है. मुखिया प्रतिनिधि मुन्ना कुमार का कहना है कि बंद पड़े छात्रावास को चालू करने के लिए क्षेत्र के सांसद व स्थानीय विधायक तथा संबंधित विभाग के पदाधिकारी को ध्यान देना चाहिए. पैक्स अध्यक्ष मुकेश कुमार का कहना है कि लाखों रुपये की लागत से छात्रावास का निर्माण जिस उद्देश्य कराया गया था उसपर पानी फिर गया है. संबंधित विभाग के पदाधिकारी को पहल करनी चाहिए.
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