डुमरांव . शारदीय नवरात्र को इलाके के विभिन्न क्षेत्रों में भक्ति भाव का माहौल बना हुआ है. चौथे दिन प्रखंड के मठिला, नंदन, कोपवां कोरानसराय सहित विभिन्न गावों के देवी मंदिरों व पूजा पंडालों में पाठ शुरू हो गया था, जहां भक्त मां दू्र्गे की आराधना में जुटे रहें. साथ ही घरों व पूजा पंडालों में किए गए कलश स्थापना के सामने मां कुष्मांडा की पूजन करने के लिए श्रद्धालु पूजा पाठ में जुटे रहे, वहीं मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रह. जहां शुभ मुहूर्त को देखकर भक्त विधि विधान के साथ अपने परिवार में खुशहाली के लिये तथा अच्छे स्वास्थ्य और यश, बल तथा लंबी उम्र की प्राप्ति के लिये मां कूष्मांडा की पूजा कर रहे थे. इस दौरान महिला श्रद्धालूओं ने बताया कि नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा विधि के साथ शुभ मुहूर्त में करने से लाभ मिलता है. महिला भक्तों ने कहा कि परिवार में खुशहाली और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यश, बल तथा लंबी उम्र की प्राप्ति के लिये मां कूष्मांडा की पूजा करना चाहिए, मां कूष्मांडा, मां दुर्गा की चौथी स्वरूप हैं. मां की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा नजर आता है. जब कि आठवें हाथ में जप की माला होती है. मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि देवी कूष्मांडा सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं. इसके साथ ही भक्त अपने अच्छे स्वास्थ्य और यश, बल, परिवार में खुशहाली के साथ-साथ आयु की वृद्धि के लिए मां कूष्मांडा का ध्यान करके अपने परिवार की खुशहाली पाते हैं. लोगों ने कहा कि शारदीय नवरात्र के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए, फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए.
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