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Madhubani News : एसएनसीयू में एक फोटो थेरेपी में तीन पीलिया पीड़ित नवजातों का किया जा इलाज

सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में सिर्फ एक फोटो थेरेपी मशीन क्रियाशील है.

मधुबनी.

सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में सिर्फ एक फोटो थेरेपी मशीन क्रियाशील है. इसमें रविवार को तीन नवजात को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. इसके अलावे इलाज के लिए आने वाले पीलिया पीड़ित शिशुओं को रेफर कर दिया जाता है. इस कारण परिजनों को निजी एसएनसीयू में जाने को मजबूर होना पड़ता होता है. निजी सेंटर पर मरीज के परिजनों से इलाज के नाम पर हजारों रुपये की वसूली की जाती है. एसएनसीयू में तीन फोटो थेरेपी महीन कंडम है. इस संबंध में एसएनसीयू के नोडल पदाधिकारी डॉ. वीएन पाल ने कहा कि इसकी सूचना अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक के माध्यम से सिविल सर्जन को भी दी है.

अस्पताल प्रबंधन की ओर से नयी फोटो थेरेपी मशीन की आपूर्ति अभी तक नहीं की गयी है. डॉ. पाल ने कहा कि इससे गुणवत्तापूर्ण इलाज प्रभावित होता है. एसएनसीयू में सरकार की ओर से तय मानक 80-90 प्रतिशत बेड अक्युपेंसी के एवज में 100-150 प्रतिशत बेड अक्युपेंसी है. चिकित्सक भी मानते हैं कि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा में ह्रास हो रहा है. प्रतिदिन एसएनसीयू में दो से तीन पीलिया पीड़ित नवजात इलाज के लिए आते हैं, लेकिन एक फोटो थेरेपी में अधिकतम तीन से अधिक मरीजों को नहीं रखा जा सकता है.

एसएनसीयू में 19 रेडिएंट वारमर में 25-30 नवजात भर्ती

एसएनसीयू में 19 रेडिएंट वारमर है. इसमें बर्थ एस्फिक्सिया, चमकी सहित अन्य रोग के 25- 30 शिशुओं को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. इसकी पुष्टि शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएन पाल ने की. डॉक्टर पाल. ने कहा कि शरीर का कोई भी अंग ऐसा नहीं है जिस पर बर्थ एस्फिक्सिया का प्रभाव नहीं पड़ता हो. यह मस्तिष्क, किडनी, हृदय, आंत सहित अन्य अंग को प्रभावित करता है. एसएनसीयू में बर्थ एस्फिक्सिया का इलाज किया जाता है. इससे बच्चों में मंदबुद्धि होने के खतरे टल जाता है और अधिकांश की जिंदगी भी सुरक्षित हो जाती है. बर्थ एस्फिक्सिया से पीड़ित नवजात के शरीर की क्रियाएं शिथिल होने लगती हैं. बच्चा दूध नहीं पीता है और सुस्त हो जाता है. ऐसे बच्चों को सात से 10 दिनों तक एसएनसीयू में भर्ती कर इलाज किया जाता है. इस रोग से पीड़ित बच्चों को नई जिंदगी देने के लिए एसएनसीयू में ऑक्सीजन कंसंटेटर उपलब्ध हैं. नवजात के इलाज के लिए है यह यंत्र सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती नवजात के शरीर में जरूरत के हिसाब से तापमान बनाए रखने के लिए 19 रेडियंट वारमर मशीन है. छह ऑक्सीजन कांस्टेटर व ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध है. पीलिया रोग के इलाज के लिए 4 फोटो थेरेपी मशीन उपलब्ध था. इसमें 3 फोटो थेरेपी मशीन पिछले 3 महीने से कंडम है. उचित मात्रा व सही अंतराल पर दवा देने के लिए इंफ्यूजन पंप है. नवजात के शरीर के पल्स व ऑक्सीजन स्तर की जानकारी के लिए पांच पल्स ऑक्सीमीटर है. सात इंकुबेटर के अलावे नेबुलाइजर मशीन उपलब्ध है

पांच बाल रोग विशेषज्ञ हैं कार्यरत

एसएनसीयू में नवजात के इलाज के लिए पांच डाक्टर कार्यरत हैं. जबकि 12 ए ग्रेड नर्स व पांच वार्ड अटेंडेंट, एक डाटा ऑपरेटर, चार चतुर्थ वर्गीय कर्मी, चार ममता व सुरक्षा गार्ड कार्यरत हैं. सदर अस्पताल में एसएनसीयू के स्थापित होने के बाद बीमार नवजात को रेफर करने में कमी आयी है. उनकी तबीयत खराब होने पर एसएनसीयू में भर्ती कर इलाज किया जाता है. एसएनसीयू फुल एयर कंडीशनर भवन में 0- 28 दिन उम्र के बीमार नवजात को भर्ती कर इलाज किया जाता है. सदर अस्पताल के एसएनसीयू में कार्यरत बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा एसएनसीयू,पीडिया व ओपीडी में आने वाले बच्चों की स्वास्थ्य जांच कर बेहतर इलाज किया जाता है. दवा और उपकरण भी पर्याप्त है.

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