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अधिक पोषण देते हैं अंकुरित अनाज

अर्चना नेमानी डायटीशियन, गोल्ड मेडलिस्ट डायबिटीज एजुकेटर ‘आहार क्लिनिक’ बैंक रोड, मुजफ्फरपुर हमारे देश में अंकुरित अनाज खाने की परंपरा पुरानी रही है. आजकल इसका प्रयोग कम होने लगा है. यह जानना जरूरी है कि अंकुरित अनाज खाने से सेहत को कई प्रकार से फायदा होता है.अनाजों एवं दालों में छोटे-छोटे जड़ निकलने की प्रक्रिया […]

अर्चना नेमानी

डायटीशियन, गोल्ड मेडलिस्ट

डायबिटीज एजुकेटर

‘आहार क्लिनिक’

बैंक रोड, मुजफ्फरपुर

हमारे देश में अंकुरित अनाज खाने की परंपरा पुरानी रही है. आजकल इसका प्रयोग कम होने लगा है. यह जानना जरूरी है कि अंकुरित अनाज खाने से सेहत को कई प्रकार से फायदा होता है.अनाजों एवं दालों में छोटे-छोटे जड़ निकलने की प्रक्रिया को अंकुरण कहते है. अंकुरण द्वारा साबुत अनाज, जैसे-चना, मूंग, गेहूं, सोयाबीन, राजमा इत्यादि की पौष्टिकता बढ़ायी जा सकती है.

विभिन्न प्रकार से होता है प्रयोग

अंकुरित अनाज को विभिन्न विधियों से भोजन, स्नैक्स, सूप सलाद आदि में उपयोग कर सकते हैं. अंकुरित दाल, उसका सूप, उसे पीस कर बनाये गये व्यंजन आदि. अंकुरित सलाद, अंकुरित मूंग का भेल, अंकुरित सोयाबीन, चने की टिक्की, कटलेट, अंकुरित अनाज (उबाल कर), सब्जियों के साथ सैंडविच, अंकुरित अनाज के पेस्ट को आटे में भी गूंथ सकते हैं. बच्चों को इसके पकौड़े कुरमुरे और स्वादिष्ट लगते हैं.

ध्यान देने योग्य बातें

अंकुरण 24-98 घंटे के अंदर ही होना चाहिए. लंबे समय का अंकुरण न सिर्फ पौष्टिकता को नष्ट करता है, बल्कि इससे कीटाणुओं के उत्पन्न होने का अंदेशा भी बढ़ जाता है. सामान्यत: इ-कोलाइ नामक बैक्टिरिया के उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है. इसके लिए जरूरी है कि अंकुरित अनाज को भली-भांति धोकर गरम पानी में दो से तीन मिनट छोड़ कर या हल्के भाप में पका कर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

इन रोगों में लाभदायक

ये हाइपर ग्लेसीमिया या हाइपोग्लेसीमिया, हाइपर लिपिडिमिया, एनिमिया, चर्मरोग, वैलग्रा रोग, बांझपन की स्थिति, प्रजनन अक्षमता, कब्जियत इत्यादि से उबरने में सहायक होते हंै. इससे बेचैनी, चिड़चिड़हाहट हाथ-पैर में कंपकंपी ,शरीर में सूजन, स्नायु से संबंधित रोगों में कमी आती है. अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए अंकुरित अनाज को रोजमर्रा के भोजन में महत्वपूर्ण स्थान देना बेहद जरूरी होता है.

अंकुरित करने की विधि

जिस खाद्य पदार्थ का अंकुरण करना हो, उसे 8 से 10 घंटा भिगो कर रखा जाता है. फिर उसे गीले कपड़े मे बांध कर कहीं लटका दिया जाता है. बीच-बीच में उस पर पानी छिड़का जाता है. गरमी में तापमान अधिक होने से अंकुरण जल्दी होता है. फिर अंकुरित अनाज और दालों को कच्चा या पका कर खाया जाता है.

सेहत को दोगुना लाभ

अंकुरण से अनाज में विटामिन मिनरल्स की मात्र काफी बढ़ जाती है. विटामिन बी6 की मात्र लगभग दोगुनी हो जाती है. यह 48-72 घंटों के अंदर 50-100 फीसदी तक बढ़ जाती है. विटामिन सी दस गुना तक बढ़ जाता है. एस्कॉर्बिक एसिड, डीहाइड्रोस्कॉर्बिक एसिड में बदल जाता है, जो सुपाच्य होने में मददगार साबित होता है. अंकुरण के कारण अनाजों व दालों मे मौजूद आयरन सरल यौगिक मे बदल जाते हैं, जो शरीर के लिए अधिक उपयोगी हैं. अंकुरित पदार्थ अधिक सुपाच्य और स्वादिष्ट होते हैं.

इसमें उपस्थित ग्लूकोज, सुक्रोज और फ्रक्टोज में बदल जाता है. बाद में माल्टोज भी अधिक मात्र में बनता है, जो जल्दी पचने मे मददगार होता है. अनाज और दालों मे कुछ पोषण विरोधी तत्व भी होते हैं, जो जरूरी मिनरल्स या विटामिन के शरीर में अवशोषित होने में बाधा डालते हैं. अंकुरण द्वारा विरोधी तत्व नष्ट हो जाते हैं और शरीर को पोषण मिलता है. अंकुरण द्वारा अनाज के सबसे ऊपर का कठोर आवरण फट जाता है. इस कारण उसे पकने मे काफी कम समय लगता है. कम खर्च मे अधिक पोषण प्राप्त करने का सरलतम उपाय अंकुरण है.

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