कहते हैं सुंदरता पर सभी का हक है. मॉडलिंग की दुनिया जिसे अब तक आदिवासी बालाओं के लिए अछूता माना जा रहा था वहां ब्लैक ब्यूटी का मजबूती से प्रवेश हो चुका है. जमशेदपुर की कई आदिवासी बालाएं रैंप पर उतर कर अपना जलवा बिखेर रही हैं. यह इस समाज के लिए किसी सपने जैसा है. आगे बढ़ना है तो सपने को साकार भी करना होगा. जमशेदपुर की आदिवासी बालाओं पर पेश है लाइफ@जमशेदपुर के लिए कन्हैयालाल सिंह की रिपोर्ट.
यू-ट्यूब से सीखा कैटवाक: कासाली
कासाली मुर्मू बारीपदा, ओडिशा की हैं. जमशेदपुर से भी उनका गहरा नाता है. टेल्को में उनकी दीदी रहती हैं. यहां रहकर ही उन्होंने कैटवाक की प्रैक्टिस की. वह बताती हैं कि इसके लिए कहीं से प्रशिक्षण नहीं लिया. यू-ट्यूब में देखकर टेल्को और बारीपदा में जमकर प्रैक्टिस की. और पहले चांस में ही फाइनल राउंड में जगह बनाने में कामयाब रही. उन्हें बचपन से मॉडलिंग में रुचि थी, लेकिन ढंग का चांस नहीं मिल रहा था. बाहा मैगजीन के जरिये चांस मिला. जिसे उन्होंने खोया नहीं. फिट रहने के लिए करती हैं योग : सफल मॉडल बनना कासाली का सपना है. दीदी उनका आदर्श हैं. जिन्होंने उन्हें काफी सपोर्ट किया. बॉडी को फिट रखने के लिए वह व्यायाम व योग करती हैं. साथ ही संतुलित आहार लेती हैं. पिछले वर्ष 2019 में उनका स्नातक पूरा हुआ. वर्तमान में पीजी की तैयारी कर रही हैं.
मां के कारण बनी मॉडल प्रीतिबाला
डिमना निवासी प्रीतिबाला सोरेन का मॉडलिंग की दुनिया में आज से कोई पांच वर्ष पहले 2015 में प्रवेश हुआ. रसिका से यह सफर शुरू हुआ. वह बताती हैं कि आदिवासी कम्युनिटी से होने के कारण उन्होंने मॉडलिंग के बारे कभी सोचा नहीं था. उन्हें फोटो शूट करने में रुचि है. मां को उनकी रुचि पता थी. उन्होंने मैगजीन में उनकी फोटो डाली. फोटो देखकर उसे चुन लिया गया. एक तरह से मां ने ही यह सफर शुरू करवाया. वह बताती हैं कि इसके बाद ऑडिशन हुआ. जिसमें चुनी गयी. इस तरह उनके सामने का नया प्लेटफॉर्म खुल गया. अप्रोच आने लगे. उनकी पिक्चर वायरल हुई. वह खुश होकर कहती हैं, मेरी तो चल पड़ी.
आइ एम समवन : आज प्रीतिबाला आदिवासी युवतियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गयी हैं. वह बताती हैं कि वे इस दुनिया को छोड़ना नहीं चाहती. क्योंकि उनके उठाये कदम से आदिवासी युवतियों को प्रेरणा मिल रही है. लेकिन यह सफर आसान नहीं था. उनकी मानसिकता थी कि वे लोग आदिवासी हैं, बैकवार्ड हैं. डार्क कलर सुंदर नहीं हो सकता. लेकिन इसे उन्होंने प्राउडली लिया. उन्हें अंदर से फील हुआ कि आइ एम समवन. वह बताती हैं कि उनका यह पैशन है. इसमें कंपीटीशन है तो मजा भी है. प्रीतिबाला की स्कूलिंग आरवीएस डिमना से हुई. बेंगलुरु से स्नातक किया. वर्तमान में पुणे से एमबीए कर रही हैं. वह खुद की इंडस्ट्री बनाना चाहती हैं. उन्हें अभिनय का शौक है. कई वीडियो सांग में वह काम कर चुकी हैं.
मॉडलिंग की दुनिया में है नाम कमाना
मीरुडीह की वीणापाणि हेंब्रम भी मॉडलिंग के क्षेत्र में नाम कमाना चाहती हैं. उनका मानना है कि आदिवासी युवतियों को आगे आना चाहिए. तभी समाज आगे बढ़ेगा. वह आरका जैन यूनिवर्सिटी से स्नातक कर रही हैं. साथ में मॉडलिंग भी कर रही हैं. वह बताती हैं कि हमलोगों का कल्चर रिच है लेकिन हमलोग मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाये हैं. इसके लिए खासकर आदिवासी युवतियों और महिलाओं को आगे आना होगा.
लाइफ में रूटीन होना बहुत जरूरी : वह मिस इंडीजीनियर रह चुकी हैं. उनका सपना सफल मॉडल बनने का है. नृत्य, संगीत और अभिनय करना उनका शौक है. उन्हें हिंदी, इंग्लिश, संथाली, बंगला, ओड़िया, नागपुरी भाषा पर पकड़ है. हर दिन सूर्य नमस्कार करती हैं. साथ ही हर दिन कैट वाक भी करती हैं. खानपान का ख्याल रखती हैं. वह बताती हैं कि जिंदगी में आगे बढ़ना है तो लाइफ में रूटीन बहुत जरूरी है.
आदिवासी संस्कृति को मंच पर लाना है मकसद
देवघर की नीरु नेनसी हांसदा का मानना है कि सुंदरता चेहरे पर नहीं देखने वालों की आंखों में होती है. आपके कदमों में सुंदरता होनी चाहिए. इसी भावना से वह मॉडलिंग की दुनिया में आयीं. अहला टुडू को वह अपना आदर्श मानती हैं. नीरु बताती हैं कि बाहा मैगजीन में अहला टुडू को देखा तो लगा कि आदिवासी लड़कियां भी मॉडलिंग की दुनिया में आ सकती हैं. उनसे इंस्पायर होकर ट्राइबल फैशन शो में हिस्सा लेना शुरू किया. उनके मुताबिक अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए आदिवासी युवतियों के लिए यह बढ़िया प्लेटफॉर्म है. इसके जरिये आदिवासी कला और संस्कृति को मंच तक लाया जा सकता है.
नृत्य के जरिये पार किया टैलेंट राउंड : नीरु को नृत्य करना अच्छा लगता है. वह क्लासिक के साथ-साथ वेस्टर्न डांस भी करती हैं. वह बताती हैं कि टैलेंट राउंड में नृत्य के जरिये ही वह चुनी गयी. उन्हें संगीत भी अच्छा लगता है. अरिजीत सिंह उनके पसंदीदा गायक हैं. वर्तमान में राजनीति शास्त्र से इग्नू से स्नातकोत्तर कर रही हैं. पिता बैंक में हैं. इस फील्ड में आने के लिए पिता ने काफी सपोर्ट किया.
दीदी ने हर मोड़ पर दिया साथ
मुसाबनी की सीतेश्वरी मुर्मू कैंब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रांची से मैकेनिकल में ग्रेजुएशन कर रही हैं. सेंट जोसेफ कॉन्वेंट मुसाबनी से स्कूलिंग हुई. वह बताती हैं कि जब आला टुडू कवर गर्ल बनी तभी से इस फील्ड में उनकी रुचि जगी. आदिवासी युवतियों के लिए यह नया प्लेटफॉर्म है. सीतेश्वरी को लगा कि एक दिन उन्हें भी रैंप पर उतरना है. घर से अगर सपोर्ट मिल जाये तो आगे बढ़ना और आसान हो जाता है. सीतेश्वरी को हमेशा घर से सपोर्ट मिला. वह बताती हैं कि दीदी ने उसे हर मोड़ पर सपोर्ट किया.
फीगर का रखना होता है ख्याल : इस इंडस्ट्री में आगे बढ़ना उनका सपना है. इसके लिए वह मेहनत भी कर रही हैं. वह बताती हैं कि इसमें महत्वपूर्ण है अपने फीगर का ख्याल रखना. इसके लिए वह नियमित रूप से योग करती हैं. फीगर के साथ-साथ दिनभर तरोताजा रहने के लिए भी खेलती भी हैं. संतुलित आहार लेती हैं. आलू और चावल बहुत कम खाती हैं. वह पिछड़े गांव से आती हैं. इसलिए मॉडलिंग की दुनिया में नाम रोशन कर गांव के लिए एग्जांपल सेट करना चाहती हैं.
बनना है सफल मॉडल
शोभा सोरेन चाईबासा की हैं. वह नोपानी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से बीबीए कर रही हैं. उन्हें भी मॉडलिंग में रुचि है. वह सफल मॉडल बनना चाहती हैं. बताती हैं कि इसके जरिये वह आदिवासी युवतियों को रिप्रजेंट करना चाहती हैं. उनके मुताबिक आदिवासी युवतियां आज रैंप पर उतर रही हैं. यह गर्व की बात है. उनके परिवार में कभी इसका विरोध नहीं उठा हुआ. उल्टा सभी ने इसका समर्थन ही किया. आदिवासी खुले विचार के होते हैं. लेकिन रैंप पर उतरना बड़ी बात है.
चेतन भगत हैं पसंदीदा लेखक: शोभा को केवल मॉडलिंग करना तो अच्छा लगता ही है, साथ ही अच्छे-अच्छे नॉबेल पढ़ना उनके हॉबी में शामिल है. वह चेतन भगत का उपन्यास वन नाइट एट कॉल सेंटर का नाम लेती है. जिसमें कॉल सेंटर के छह कर्मचारियों की कथा-व्यथा है. अंत में भगवान को कॉल किया जाता है. वह दुर्गा दत्त का उपन्यास भी चाव से पढ़ती हैं. इसके अलावा उन्हें गीत-संगीत का शौक है. खाना पकाना अच्छा लगता है.