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आंत में जलन, हो सकता है पेप्टिक अल्सर, जानें लक्षण और उपाय

डॉ संजय कुमार, निदेशक, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, क्यूआरजी हॉस्पिटल, फरीदाबादअनियमित जीवनशैली का असर अक्सर बीमारियों के रूप में सामने आता है. ऐसी ही एक खतरनाक बीमारी है- अल्सर. गलत खान-पान और गैस्ट्रिक समस्या के कारण होने वाली इस बीमारी को गंभीरता से लें. पेप्टिक अल्सर से कैंसर का खतरा नहीं होता, लेकिन गैस्ट्रिक अल्सर से कैंसर हो सकता […]

डॉ संजय कुमार, निदेशक, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, क्यूआरजी हॉस्पिटल, फरीदाबाद
अनियमित जीवनशैली का असर अक्सर बीमारियों के रूप में सामने आता है. ऐसी ही एक खतरनाक बीमारी है- अल्सर. गलत खान-पान और गैस्ट्रिक समस्या के कारण होने वाली इस बीमारी को गंभीरता से लें. पेप्टिक अल्सर से कैंसर का खतरा नहीं होता, लेकिन गैस्ट्रिक अल्सर से कैंसर हो सकता है, इसलिए जरूरी है कि समय रहते इसका इलाज करा लिया जाये. जल्दी पता चलने पर एसिड की दवाओं से इसे ठीक करना संभव है. अल्सर के पकने पर ऑपरेशन ही विकल्प है. इसलिए अपने खान-पान का ध्यान रखें.

एक समय था जब बढ़ती उम्र में रोग-बीमारी को सामान्य माना जाता था, लेकिन आज की गड़बड़ जीवनशैली लोगों को कम उम्र में ही बीमार बना रही है. जीवनशैली और खान-पान में गड़बड़ी का ही नतीजा है कि किशोर और युवा भी बड़ी संख्या में हृदय रोग से लेकर अवसाद जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं. पेप्टिक अल्सर ऐसी ही समस्या है, जिसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जंक फूड का बढ़ता प्रचलन, सोने का नियत समय न होना, ऑफिस में बेहतर प्रदर्शन का तनाव, शरीर में पोषक तत्वों की कमी हमारी आम समस्या है. कम उम्र लोगों में पिछले कुछ वर्षों में धूम्रपान, शराब और तंबाकू का सेवन भी तेजी से बढ़ा है, जो विभिन्न प्रकार के अल्सर को ट्रिगर करता है.

क्या है पेप्टिक अल्सर : ये पाचन मार्ग में विकसित होनेवाले छाले या घाव होते हैं. पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है, जो अंदरूनी परत को शक्तिशाली पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड से बचाती है. यह एसिड शरीर के उत्तकों के लिए हानिकारक है, मगर भोजन के पाचन के लिए अत्यावश्यक है. एसिड और म्यूकस परतों के मध्य बेहतरीन समन्वय होता है. जब यह संतुलन बिगड़ता है, तब ग्रासनली, अमाशय और छोटी आंत की ऊपरी झिल्ली में अल्सर विकसित होते हैं. मुख्यत: ये तीन प्रकार के होते हैं :

गैस्ट्रिक अल्सर : पेट के अंदर विकसित होता है.

एसोफेजल अल्सर : यह उस खोखली नली (ग्रासनली) में होता है, जो गले से भोजन को पेट में ले जाती है. हालांकि एसोफेजल अल्सर के मामले तुलनात्‍मक रूप से कम होते हैं.

ड्योडिनम अल्सर : यह छोटी आंत के ऊपरी भाग जिसे ड्युडनम कहते हैं, में होता है. यह स्टमक अल्सर से अधिक सामान्य है. सामान्यत: हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक जीवाणु का संक्रमण भी पेट में अल्सर होने का एक प्रमुख कारण है, जिसे आमतौर पर एच पाइलोरी कहते हैं.

रिस्क फैक्टर : हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया का अगर संक्रमण हो जाये, जो किसी को भी हो सकता है. तनाव, अनुवांशिक कारण. तैलीय और मसालेदार भोजन का अधिक मात्रा में सेवन करना भी इसे बढ़ावा देता है. अधिक मात्रा में शराब, कैफीन और तंबाकू का सेवन भी जिम्मेवार है. इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के लिए ली जानेवाली दवाइयां.

नॉन-स्टेरायडल एंटी इनफ्लेमेंट्री ड्रग्स, जैसे- आइब्यूप्रोफन, एस्पिरिन, नेपरोक्सन आदि दवाओं का अत्यधिक सेवन. लिवर, किडनी, फेफड़ों से संबंधित बीमारी होने पर इसकी आशंका होती है.

क्या है उपचार

पेप्टिक अल्सर के कई मामलों को एंटीबायोटिक्स, एंटासिड्स और दूसरी दवाइयों से ठीक किया जा सकता है. बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं और पाचन मार्ग में एसिड को कम करने, घावों को भरने और दर्द में आराम पहुंचाने के लिए एंटासिड्स दिया जाता है. अल्सर के पकने पर ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प है. इसलिए खान-पान का ध्यान रखें. ज्यादा देर तक पेट खाली न रहें. दर्द निवारक दवाओं का सेवन डॉक्टरी सलाह पर ही करें.

कैसे लगता है पता : एंडोस्कोपी या एक्स-रे से इस रोग पता चल सकता है. इसके अलावा ब्लड टेस्ट, यूरिया ब्रेथ टेस्ट और स्टूल टेस्ट करने की जरूरत भी पड़ सकती है.

तथ्य ब्लड ग्रुप ए वाले लोगों में कैंसरयुक्त स्टमक अल्सर होने की आशंका अधिक होती है. हालांकि इसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है.

स्वीडन में हुए रिसर्च के अनुसार, जो लोग सप्ताह में तीन बार दही खाते हैं, उनमें अल्सर होने की आशंका उनसे कम होती है, जो नहीं खाते.

डब्ल्यूएचओ कहता है कि पेप्टिक अल्सर के 50 फीसदी मामलों का कारण एच पायलोरी होता है. डेनमार्क में हुए एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं, उनमें पेप्टिक अल्सर होने की आशंका कम होती है.

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, जो लोग प्रतिदिन एक नाशपाती का सेवन करते हैं, उनमें ड्योडिनम का अल्सर होने की आशंका 31 प्रतिशत कम होती है.

कारगर घरेलू नुस्खा
शहद अल्सर के घावों को भरने में सहायक है. यह बैक्टीरिया के विकास को भी रोकता है. शुद्ध शहद एक चम्मच सुबह और एक चम्मच रात को सोने से पहले खाएं. इससे पेट में ठंडक होती है. इसे ब्राउन ब्रेड पर लगाकर या ओट्स में डालकर खाएं, ताकि यह अधिक समय तक पेट में रहे. शहद का सेवन तब तक करते रहें जब तक कि अल्सर के लक्षण ठीक न हो जाएं.

इन बातों का भी रखें ध्यान
संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें.

शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. सप्ताह में कम-से-कम पांच दिन वर्कआउट जरूर करें.

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें.

तनाव न पालें. पैदल चलना या व्यायाम शुरू करें.

खाना बनाने व खाने से पहले हाथों को जरूर धोएं.

कैसा हो आपका खान-पान
यह खाएं : खान-पान पर नियंत्रण कर न केवल पेप्टिक अल्सर के लक्षणों को कम किया जा सकता है और इससे बचा जा सकता है.

केला : एंटीबैक्टीरियल पदार्थ अल्सर के विकास को धीमा करता है. रोज नाश्ते में केला खाएं.

नाशपाती : हार्वर्ड विवि के स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग रोज एक नाशपाती खाते हैं, उनमें ड्योडिनम अल्सर होने की आशंका 31 फीसदी कम होती है. इसमें फ्लेवोनाइड और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो इसके लक्षणों को कम करते हैं.

पत्ता गोभी : इसमें एस मेथाइलमेथियोनिन होता है, जिसे ‘विटामिन यू’ भी कहते हैं. यह शरीर को अल्कलाइन करने में सहायता करता है. इसमें अमीनो एसिड ग्लूटामिन भी पाया जाता है, जो पाचन नली की म्यूकोसल लाइनिंग को मजबूत करता है और पेट की ओर रक्त के प्रवाह को सुधारता है. यह न केवल अल्सर को रोकता है, बल्कि घावों को भी तेजी से भरता है.

फूलगोभी : इसमें सल्फोराफैन होता है, जो पाचन मार्ग के बैक्टीरिया को नष्ट करता है.

लहसुन : रोज खाने के साथ एंटी-अल्सर गुणों से भरपूर एक-दो कलियां लहसुन की खाएं.

दही : प्रो-बायोटिक एच पायलोरी के विकास को रोकता है और घावों को भरने में सहायक है.

इन चीजों से बचें : कैफीन और कार्बोनेटेड ड्रिंक : चाय, कॉफी और सोडा से बचें, क्योंकि यह एसिड के उत्पादन को स्टीम्यूलेट करते हैं, जिससे अल्सर के लक्षण गंभीर हो जाते हैं.

मसालेदार भोजन : अधिक तेल-मसालेदार भोजन से एसिड के उत्पादन को ट्रिगर कर अल्सर के लक्षणों को बढ़ाते हैं.

अम्लीय भोजन : साइट्रिक एसिड वाले खाद्य पदार्थ समस्या को बढ़ाते हैं, जैसे- नीबू, मौसंबी, संतरा, अंगूर, पाइन एप्पल, जैम और जेली.

अन्य खाद्य पदार्थ : लाल मांस, मैदे से बनी चीजों, व्हाइट ब्रेड, चीनी, पास्ता और प्रोसेस्ड भोजन का सेवन कम करना चाहिए.

इनपुट : शमीम खान

Prabhat Khabar Digital Desk
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