स्वामी ध्यान पवन
योगाचार्य, ओशोधारा
9967377281
आज बहुत से लोग मोटापा और पेट से जुड़ी समस्याओं से परेशान हैं. इसके पीछे का प्रमुख कारण है गलत जीवन शैली, अमर्यादित खानपान एवं दिनचर्या. देर रात तक जागना, देरी से उठना, नियमित व्यायाम और योगासन न करना, असमय भोजन, असंतुलित आहार और तले-भुने पदार्थों का सेवन आदि पेट से जुड़ी समस्याओं के प्रमुख कारण हैं. पाचन ठीक न होने से हम जो भी खाना खाते हैं, वह ऊर्जा में रूपांतरित न होकर, चर्बी में बदल जाता है. इससे मोटापा, कब्ज, तनाव सहित कई असाध्य रोग पैदा होते हैं.
इन रोगों से बचाव के लिए योग अच्छा साधन है. नौकासन पाचन तंत्र को सुचारु रखने और मोटापा कम करने में सहायक है. इस आसन का रोजाना अभ्यास करने से पेट से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं और चर्बी भी कम होती है. नौकासन नाम से ही ज्ञात होता है कि इस आसन में शरीर की आकृति नाव की तरह बनती है. नौकासन करने से शरीर के सभी अंगों में दृढ़ता और संतुलन सहज रूप से मिलता है.
विधि 1: जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर पेट के बल लेट जाएं. अपने दोनों हाथों को आपस में नमस्कार की स्थिति में जोड़कर सिर की सीध में आगे की ओर रखें. एड़ी और पंजों को मिलाकर और तान कर रखें. अब सांस भरते हुए धीरे-धीरे पैर तथा धड़ सहित शरीर के अगले हिस्से को जितना संभव हो ऊपर उठाएं. शरीर को इतना उठाएं कि शरीर का पूरा भार नाभि क्षेत्र पर रहे तथा पैर व सिर ऊपर की ओर रहे. इस स्थिति में शरीर का आकार ऐसा हो जाना चाहिए जैसे किसी नाव का आकार होता है.
इसके बाद पहले हाथों को हिलाएं फिर पैरों को भी हिलाएं. पेट के बल डोलन करें, पर शरीर का आकार नाव की तरह ही बनाये रखें. सांस को जितनी देर तक अंदर रोक सकते हैं, रोककर इस स्थिति में रहें. इस स्थिति में पूरे शरीर का भार केवल नाभि क्षेत्र में हो. यह नौकासन की पूर्ण स्थिति है. इस स्थिति में तब तक रहें, जब तक पेट की मांसपेशियों में कंपन का अनुभव न हो. फिर शरीर को धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, पूरे शरीर को ढीला जमीन पर छोड़ दें. इस प्रक्रिया को तीन-चार बार करें. फिर विश्राम करें.
आसन के लाभ: नौकासन पेट की चर्बी को कम कर के मोटापे को घटाता है. यह आसन मोटे व्यक्तियों के लिए अत्यंत लाभकारी है. मधुमेह को दूर करने, पाचन क्रिया सबल बनाने, शरीर में स्फूर्ति लाने तथा भूख को बढ़ाने में भी यह आसन लाभकारी है. नौकासन से कब्ज दूर होता है. यह आसन जिगर व नाभि के आसपास के अंगों को दोषमुक्त करता है. इससे कमर व गर्दन का दर्द ठीक होता है. रीढ़ की हड्डी मजबूत व लचीली बनाती है.
सावधानी : इस आसन का अभ्यास अल्सर, पेट दर्द व कोलाइटिस वाले रोगी न करें. शुरुआत में शरीर को पूर्ण रूप से ऊपर उठाने में कठिनाई होती है, तो शुरू शुरू में अपनी क्षमता के अनुसार ही शरीर को ऊपर की ओर उठाएं और स्थिर रखें. आसन की क्रिया धीरे-धीरे बिना झटके के होनी चाहिए. कही भी दर्द होने पर आसन छोड़ दें और पूर्ण विश्राम की मुद्रा में आ जायें.
