आज प्रॉमिस डे है. फिर वो वादा याद आ गया. रांची मेरे लिए नया शहर था लेकिन खूबसूरत. हॉस्टल से कॉलेज की दूरी ज्यादा नहीं थी लेकिन अनजानी सड़कों से गुजरते हुए कई बार अकेलापन खलता था. आज मेरा जन्मदिन था. हॉस्टल में कुछ दोस्त बना लिये थे मैंने सुबह कॉलेज के लिए निकली तो आभास हुआ कि कुछ प्लान किया जा रहा है. भारीमन से मैं कॉलेज के लिए निकल गई. शाम को लौटी, तो एक घंटेभर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई. मैंने दरवाजा खोला तो ‘हैप्पी बर्थडे पूजा ‘ का शोर गूंज उठा. कुछ देर की मस्ती के बाद सभी अपने-अपने रूम की तरफ निकल गये. हां वो रूकी रही नाम था ‘श्वेता’. उसने कहा- ‘थकी हुई लग रही हो पूजा. तुम बैठो मैं डिनर ले आती हूं.’ ऐसा अपनापन देखकर आंखें नम हो गई.
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Happy Promise Day: एक खत और वादा…
आज प्रॉमिस डे है. फिर वो वादा याद आ गया. रांची मेरे लिए नया शहर था लेकिन खूबसूरत. हॉस्टल से कॉलेज की दूरी ज्यादा नहीं थी लेकिन अनजानी सड़कों से गुजरते हुए कई बार अकेलापन खलता था. आज मेरा जन्मदिन था. हॉस्टल में कुछ दोस्त बना लिये थे मैंने सुबह कॉलेज के लिए निकली तो […]
अगले दिन मैं कॉलेज निकली तो श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी. मैं निकली और उसने रूम की चाबी मांग ली. लौटी तो रूम की खूशबू ने खींच लिया. हर जगह करीने से सजाया गया सारा सामान. अचानक मां की याद आ गई. टेबल पर एक चिट्ठी मिली, लिखा था- ‘आपके सिराहने पर रखी किताब में कुछ है.’ किताब खोली, गुलाबी रंग के कागज में एक गुलाब का फूल और एक वादा था… लगा एक दोस्त की तलाश पूरी हो गई. अब उसके ट्यूशन से लौटने का इंतजार था. वो लौटी तो सीधे मेरे कमरे में आई और मैंने उसे गले लगा लिया. शायद ये दोस्ती जाहिर करने का सबसे बेस्ट तरीका है.
अगले दिन से मेरे एग्जाम थे. नर्वस थी मां-पापा के बिना मेरा पहला एग्जाम था. फोन पर दोनों से बात हो गई थी. अचानक दरवाजे पर श्वेता की दस्तक हुई और वो मेरे हाथ में एक लेटर थमा कर बेस्ट ऑफ लक बोल कर चली गई. उसे खोला- पूरे पेज में उसकी दिल की बातें और एक वादा था… एग्जाम बीत गये और आज रिजल्ट का दिन. मुझसे ज्यादा वो एक्साइटिड थी. रिजल्ट आया और मैं टॉपर थी. उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था. उस दिन लगा ये दोस्त न होती तो शायद रिजल्ट इतना बेहतर न होता. रात-रात भर जागकर जो वो मेरे साथ पढ़ने बैठी रहीं ताकि मुझे नींद न आ जाये.
आज पहली नौकरी का इंटरव्यू था. श्वेता का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. लेकिन पता नहीं क्यों वो आज अपने कमरे से निकल ही नहीं रही थी. जाकर देखा तो थोड़ी सी परेशान और उलझी सी थी. पूछा तो बताया,’ आपके लिये मिठाई ढूंढ़ रही थी, मां कहती हैं मीठा खाने से दिन शुभ होता है.’ फिर दिल जीत गई मेरा. मिठाई खिलाई और फिर एक लेटर थमा गई. इस खत में नौकरी के लिए बेस्ट विशेज और एक वादा… पता नहीं उसका खत मुझे मेरा लकी चार्म लगने लगा. इंटरव्यू अच्छा रहा और नौकरी भी लग गई.
आज मैं नौकरी कर रही हूं, मेरी शादी हो चुकी है और उसकी पढ़ाई जारी है. लेकिन हमारे बीच खत और वादा का सिलसिला जारी है. श्वेता ने हमेशा ये वादा मांगा- ‘पूजा, तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो. तुमसे हर बात शेयर कर लेती हूं. बस एक वादा करो किसी भी हालात में ऐसे में ही मेरे साथ खड़ी रहोगी और अपनी किसी भी मुसीबत में सबसे पहले मुझे फोन करोगी.’ अब स्मार्टफोन का जमाना है लेकिन अभी भी खास दिन की शुरुआत उसके खत से और वादे से होती है. वेलेंटाइन डे की शुरुआत हो चुकी है और हमारी दोस्ती के 5 साल. श्वेता शहर से बाहर है लेकिन मेरे हाथ में उसका खत है और वादा आज भी है ….
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