नयी दिल्ली: तंबाकू सेवन, धूम्रपान, खराब खानपान और शारीरिक निष्क्रियता समेत जीवनशैली में बढ़ती विसंगतियों के कारण देश में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर यदि रोग की पहचान कर इलाज हो जाए तो इस खतरनाक बीमारी के बोझ को कम किया जा सकता है. भारत में कैंसर के अधिकतर मामले डॉक्टरों के सामने तब आते हैं जब वे तीसरी या चौथी स्टेज में पहुंच चुके होते हैं. चार फरवरी को ‘‘विश्व कैंसर दिवस’ के मौके पर चिकित्सकों ने कहा कि समय समय पर स्क्रीनिंग नहीं होने और जल्दी रोग की पहचान न होने से जुड़ी चुनौतियों की वजह से देश में केवल 12.5 प्रतिशत रोगी प्रारंभिक स्तर पर इलाज के लिए आ पाते हैं. कैंसर का खतरा भारत में हाल के दिनों में तेजी से बढ़ा है. इस खतरे का ही असर है कि कैंसर प्रोटेक्शन इंश्योरेंस का चलन तेज हो गया है और टीवी-अखबारों में इसका खूब विज्ञापन आ रहा है. कैंसर न सिर्फ शारीरिक व मानसिक रूप से व्यक्ति को तोड़ देता है, बल्कि पूरे परिवार की माली स्थिति खराब कर देता है. इसलिए लोगों के बीच खास कर कमाऊ सदस्यों के बीच कैंसर प्रोटेक्शन इंश्योरेंस भी लोकप्रिय हो रहा है.
इस चुनौती को दूर करने के लिए जागरूकता और सक्रियता जरूरी है. कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सुरेंद्र डबास के अनुसार देश में तंबाकू के सेवन के कारण सिर, गले और फेफड़े के कैंसर के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि तंबाकू, सिगरेट, पान गुटखा, पान मसाला और सुपारी के टुकड़ों के साथ खुला तंबाकू भारत में कैंसर का प्रमुख कारण है. फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग के डॉ डबास ने कहा कि तंबाकू के सेवन में कमी और रोग की जल्द पहचान से इस भयावह बीमारी के बोझ को कम किया जा सकता है.
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ विकास मौर्य ने बताया कि लंग कैंसर की बात करें तो 80 से 90 प्रतिशत खतरा अकेले तंबाकू सेवन से होता है. उन्होंने कहा कि भारत में 80 प्रतिशत लंग कैंसर के रोगियों को बीमारी का पता बाद के स्तर पर चलता है और तब तक इलाज करना मुश्किल हो जाता है. अगर लोग जागरूक रहें तो समय पर रोग का पता लगाकर इलाज संभव है.
रेडियेशन ओंकोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ सपना नांगिया के अनुसार महिलाओं के मामले में स्तन कैंसर और गर्भाशय कैंसर बड़े खतरे के तौर पर उभरे हैं. रोग की जल्द पहचान से सफल इलाज की संभावना बढ़ जाती है. इसके लिए सतर्कता, जागरूकता और सक्रियता जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोग खुद को थोड़ा समय दें और नियमित जांच कराएं. कैंसर का उपचार संभव है बशर्ते हम समय पर चेत जाएं.
राजधानी दिल्ली स्थित वेंकटेश्वर हॉस्पिटल के सर्जिकल ओंकोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश चंद्र कटियार कहते हैं, “बेहतर है कि गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाया जाए. अगर किशोरावस्था के शुरुआती दौर में ही लड़कियोँ को इसकी वैक्सीन दे दी जाए तो उन्हेँ बीमारी के खतरे से काफी हद तक बचाया जा सकता है. “
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने 2016 में अपने एक अनुमान में कहा था कि साल 2020 तक देश में कैंसर के 17.3 लाख नये मामले सामने आ सकते हैं और इस भयावह बीमारी से 8.8 लाख लोगों की मौत हो सकती है. इसमें स्तन कैंसर, फेफड़े का कैंसर और गर्भाशय कैंसर के मामले शीर्ष पर होंगे.
कैंसर के दस प्रमुख प्रकार
लंग कैंसर, ब्लड कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ब्लाडर कैंसर, पेनाक्रिएटिक कैंसर, माउथ कैंसर, लीवर कैंसर, स्टोन कैंसर, यूट्रीनया गर्भाशय कैंसर.
कैंसर के प्रमुख अस्पताल
दिल्ली में ये प्रमुख अस्पताल हैं :
एम्स, मैक्स हेल्थकेयर, धर्मशीला हास्पिटल, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर, बीएलके हॉस्पिटल.
मुंबई में ये हैं प्रमुख अस्पताल हैं :
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल सरकारी अस्पताल
पीडी हिंदुजा नेशनल हॉस्पिटल, कोकिला बेन धीरुभाई अंबानी हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट
फोर्टिस हॉस्पिटल, जेजे हॉस्पिटल, फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड, सेवनहिल हॉस्पिटल
बेंगलुरु
किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ओनकोलॉजी सरकारी अस्पताल, श्री शंकर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर चेरिटेबल ट्रस्ट का अस्पताल, बीजीएस ग्लिनेगल्स हॉस्पिटल.
चेन्नई
अपोलो कैंसर इंस्टीट्यूट, कैंसर इंस्टीट्यूट अडयार, वीएस हास्पिटल एंड मद्रास कैंसर इंस्टीट्यूट.
देश के अन्य प्रमुख नगरों में भी अच्छे कैंसर अस्पताल हैं.