1974 में आयी फिल्म दोस्त में एक गाने की लाइन थी ‘चलना ही जिंदगी है, चलते ही जा रहे हैं.’ ताजा शोध से पता चला है कि पैदल चलना न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है. हाल ही में आयी एक रिसर्च के अनुसार पैदल चलने से डिप्रेशन को भी दूर रखा जा सकता है. चलना किसी भी तरह हो, चाहे तेजी से चलना या फिर रूक-रूक कर चलना, यह हर तरह से फायदेमंद होता है. इस रिसर्च को एक एप के जरिये किया गया था. इस रिसर्च के लिए के लिए लोगों के मोबाइल में एक एप डाला गया, जिससे शोधकर्ताओं ने लोगों के चलने-फिरने का डाटा तैयार किया.
इस एप की मदद से शोधकर्ताओं और लोगों को भी पता चला कि कौन दिनभर में कितना चलता है और कितना खुश रहता है. इस एप द्वारा लगातार 17 दिनों तक 10 हजार से अधिक लोगों की एक्टिविटी रिकॉर्ड की गयी. शोध के परिणाम में यह पता चला कि जो लोग इन 17 दिनों तक चलते रहे, वे ज्यादा खुश भी रहे. शोध के परिणाम के अनुसार ये चलनेवाले लोग शारीरिक तौर पर जितना एक्टिव रहे, उतना ही वे मानसिक तौर पर भी एक्टिव रहे. वहीं, जो लोग कम चले, वे कम खुश और असंतुष्ट पाये गये. ऐसा ही एक रिसर्च दक्षिण कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में भी किया गया था, उसमें भी ये बाते सिद्ध हुई थीं कि ज्यादा चलनेवाले लोग, ज्यादा खुश रहते हैं.