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Chhath Mahaparv Story: पहली बार छठ महापर्व की शुरुआत कब और किसने किया? किसके लिए किया जाता है ये पर्व?

Chhath Mahaparv Story: छठ व्रत का इस साल बेहद शुभ संयोग में आरंभ हो रहा है. छठ पूजा में व्रती को चार दिन तक हर परंपरा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह (Kartik Month) की षष्ठी से शुरू हो जाती है.

Chhath Mahaparv Story: छठमहापर्व की शुरुआत नहाय खाए के साथ ही शुरू हो जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ महापर्व संतान की प्राप्ति, कुशलता उनकी दीर्घायु और स्वास्थ लाभ की मंगलकामना के साथ किया जाता है. छठ व्रत का इस साल बेहद शुभ संयोग में आरंभ हो रहा है. छठ पूजा में व्रती को चार दिन तक हर परंपरा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह (Kartik Month) की षष्ठी से शुरू हो जाती है.

सूर्य की बहन है छठी मैया

हिंदू शास्त्रों के अनुसार छठ मईया भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं, उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया जाता है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष जबकि बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया. इसमें सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मैया के नाम से जाना जाता है.

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नवरात्रि में भी होती है इनकी पूजा

मान्यताओं के अनुसार शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं माता की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि में षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.

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कब से हुई छठ व्रत की शुरुआत

ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा के अनुसार जब प्रथम मनु के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान प्राप्त नहीं हुआ, तो वो बहुत दुखी रहने लगे थे. महर्षि कश्यप के कहने पर राजा प्रियव्रत ने एक महायज्ञ का अनुष्ठान संपन्न किया जिसके परिणाम स्वरुप उनकी पत्नी गर्भवती हुई, लेकिन दुर्भाग्य से बच्चा गर्भ में ही मर गया. जिससे पूरी प्रजा में मातम का माहौल छा गया.

इसलिए किया जाता है छठ महापर्व

उसी समय आसमान में एक चमकता हुआ पत्थर दिखाई दिया, जिस पर षष्ठी माता विराजमान थीं. जब राजा ने उन्हें देखा तो उनसे, उनका परिचय पूछा. तब माता षष्ठी ने कहा कि- मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री हूं और मेरा नाम षष्ठी देवी है. मैं दुनिया के सभी बच्चों की रक्षक हूं और सभी निःसंतान स्त्रियों को संतान सुख का आशीर्वाद देती हूं. इसके उपरांत राजा प्रियव्रत की प्रार्थना पर देवी षष्ठी ने उस मृत बच्चे को जीवित कर दिया और उसे दीर्घायु का वरदान दिया. देवी षष्ठी की ऐसी कृपा देखकर राजा प्रियव्रत बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने षष्ठी देवी की पूजा-आराधना की. मान्यता है कि राजा प्रियव्रत के द्वारा छठी माता की पूजा के बाद यह त्योहार मनाया जाने लगा.

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जानें कब है खरना, शाम का अर्घ्य, और सुबह का अर्घ्य

लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. 29 अक्टूबर को खरना है. डूबते सूर्य को 30 अक्टूबर को व उगते सूर्य को 31 अक्तूबर को अर्घ्य दिया जायेगा. इसके साथ ही सूर्योपासना का पर्व संपन्न हो जायेगा. इसे लेकर सभी छठ घाटों की साफ-सफाई शुरू हो गयी है. घाट पर उगे घास को काटने, मकड़ी का जाला हटाने व वहां फूल-पौधे लगाने के दौरान छठ घाटों पर गीत गूंज रहे हैं.

Bimla Kumari
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I Bimla Kumari have been associated with journalism for the last 7 years. During this period, I have worked in digital media at Kashish News Ranchi, News 11 Bharat Ranchi and ETV Hyderabad. Currently, I work on education, lifestyle and religious news in digital media in Prabhat Khabar. Apart from this, I also do reporting with voice over and anchoring.

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