17.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Chhath Puja 2022: छठ पूजा में नहाय खाय, खरना पूजा और अर्घ्य देने के महत्व को जानें

Chhath Puja 2022: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ शुरू होती है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह (Kartik Month) की षष्ठी से आरंभ हो जाती है.

Chhath Puja 2022: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ शुरू होती है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह (Kartik Month) की षष्ठी से आरंभ हो जाती है. लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. 29 अक्टूबर को खरना पूजा है जबकि डूबते सूर्य को 30 अक्टूबर को और उगते सूर्य को 31 अक्तूबर को अर्घ्य दिया जायेगा.

नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू

नहाय खाय की सुबह व्रती भोर बेला में उठती हैं और गंगा स्‍नान आदि करने के बाद सूर्य पूजा के साथ व्रत की शुरुआत करते हैं. नहाय खाय के दिन व्रती चना दाल के साथ कद्दू-भात (kaadu and chawal) तैयार करती हैं और इसे ही खाया जाता है. इसके साथ ही व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) को प्रारंभ करते हैं. नहाय खाए के साथ व्रती नियमों के साथ सात्विक जीवन जीते हैं और हर तरह की नकारात्‍मक भावनाएं जैसे लोभ, मोह, क्रोध आदि से खुद को दूर रखते हैं.

छठ का शाब्दिक अर्थ

छठ पूजा का चार दिवसीय त्योहार कार्तिक मास के छठे दिन मनाया जाता है, जहां से इस त्योहार का नाम पड़ा.”छठ” शब्द का सीधा अर्थ है “छः” ये महापर्व खास कर बिहार, उत्तर भारतीय राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है.

नहाय खाए (Nahay Khay)

यह त्योहार का पहला दिन है, जिस दिन व्रती नदी, तालाब, या किसी अन्य जल निकाय में स्नान करते हैं, खासकर गंगा नदी में. वे गंगा का पानी घर लाते हैं और इस पानी से वे प्रसाद पकाते हैं. आमतौर पर कद्दू, लौकी और मूंग- चना दाल बनाया जाता है. जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.

Also Read: Chhat Puja 2022: छठ पूजा पर बानाएं खस्ता ठेकुआ, अपनाएं ये टिप्स
लोहंडा और खरना

हिंदू कैलेंडर के अनुसार पंचमी या पांचवें दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं. सूर्यास्त से पहले व्रति पानी की एक बूंद भी नहीं पीती. इस दिन ही ज्यादातर लोग पूजा की खरीदारी करती हैं. शाम को व्रती शुद्ध खीर (गुड़, चावल और दूध की मदद से एक प्रकार का मीठा व्यंजन) और चपाती प्रसाद तैयार किया जाता है. इन विशेष रूप से बने प्रसाद से व्रती छठी मैया को भोग लगाती हैं. पूजा के बाद व्रती प्रसाद खाकर अपना व्रत तोड़ती है और बाद में इसे परिवार और दोस्तों के बीच वितरित किया जाता है.

संध्या अर्घ्य (शाम का प्रसाद)- छठ पूजा के तीसरे दिन को अनुष्ठानों के अनुसार दो प्रमुख भागों में बांटा गया है.

संध्या अर्घ्य

सांझिया घाट या शाम का प्रसाद भी कहा जाता है, पूरा दिन घर पर आराम करने और प्रसाद तैयार करने में व्यतीत होता है (आमतौर पर सूर्योदय से पहले सुबह) दिन के समय, दौरा (बांस की छड़ियों से बनी टोकरी) को ठेकुआ और मौसमी फलों सहित सभी प्रसादों में डालकर तैयार किया जाता है. शाम को, व्रती और परिवार का हर सदस्य पूजा के लिए तैयार और सजाए गए नदी, तालाब या जलाशय के किनारे इकट्ठा होते है. व्रती घाट पर बैठकर अस्त होते सूर्य की उपासना करती है. इस दौरान लोक गीत गाए जाते हैं जो भारत की सामाजिक संस्कृति को दर्शाते हैं. बाद में शाम को जब सूरज डूबता है, व्रती संध्या अर्घ्य देते हैं, सूर्य देव की पूजा करते हैं और फिर घर वापस आ जाते हैं.

Also Read: Happy Chhath Puja 2022 Status: छठ पूजा की शुभकामनाएं, यहां से भेजे संदेश, Video Song, Msg और Images
कोसी या कोशिया

संध्या घाट या अर्घ्य की रात में गन्ने की पांच छड़ियों से छत्र बनाया जाता है. गन्ने की छड़ियों को पीले कपड़े से बांधा जाता है और छत्र के नीचे हाथी के आकार के दीपक, मिट्टी के बर्तन जलाए जाते हैं. गन्ने की पांच छड़ें पांच प्राकृतिक तत्वों या पंचतत्व- पृथ्वी, अग्नि, आकाश, जल और वायु के लिए खड़ी हैं. कोसी प्रथा का पालन उन परिवारों द्वारा किया जाता है जहां एक बच्चे का जन्म हुआ है या हाल ही में शादी हुई है. जलाए गए मिट्टी के दीपक सौर ऊर्जा के प्रतीक हैं जो प्रकाश को बनाए रखते हैं. यह अनुष्ठान या तो घर के आंगन में या आंगन में या छत पर किया जाता है. बाद में कोशी को नदी के किनारे ले जाया जाता है जहां उन्हें फिर से जलाया जाता है और इस अनुष्ठान के बाद उन्हें वापस घर भेज दिया जाता है.

उषा अर्घ्य (सुबह का प्रसाद) या भोरवा घाट:

उषा अर्घ्य (सुबह का प्रसाद) या भोरवा घाट: सुबह सूर्य देव को दिया जाने वाला प्रसाद बिहनिया अर्घ्य या सुबह का प्रसाद कहलाता है. व्रती और परिवार के सदस्य फिर से सुबह-सुबह नदी के किनारे इकट्ठा होते हैं और सूरज उगने तक बैठते हैं. वे छठी मइया के गीत गाते है और पूजा करते हैं. सूर्य उदय होने पर सुबह का अर्घ्य सौरी या सुपली में रखे अर्घ्य के साथ जल में जाकर दिया जाता है. सुबह प्रसाद के बाद व्रती आपस में प्रसाद बांटते हैं और घाट पर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं. इसके बाद वे वापस घर आ जाते हैं.

पारण से छठ पूजा का समाप्न 

घाट से लौटने के बाद या घाट पर व्रती अदरक और पानी लेकर 36 घंटे का अपना उपवास तोड़ती हैं. उसके बाद शुद्धा के साथ बने स्वादिष्ट भोजन तैयार किया जाता है और व्रती को खाने के लिए अर्पित किया जाता है. इसे परन या परना कहते हैं. चूंकि वे बहुत लंबे समय तक उपवास रखते हैं, इसलिए वे आमतौर पर उस दिन हल्का भोजन करते हैं. इस तरह चार दिवसीय छठ पूजा संपन्न होती है.

Bimla Kumari
Bimla Kumari
I Bimla Kumari have been associated with journalism for the last 7 years. During this period, I have worked in digital media at Kashish News Ranchi, News 11 Bharat Ranchi and ETV Hyderabad. Currently, I work on education, lifestyle and religious news in digital media in Prabhat Khabar. Apart from this, I also do reporting with voice over and anchoring.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel