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Tungnath Temple: दुनिया में सबसे ऊंचाई पर है भगवान शिव का तुंगनाथ मंदिर, जानें कैसे पहुंचेंगे आप

Tungnath Temple: सावन का पवित्र महीना शुरू हो रहा है. 4 जुलाई से सावन है जो रक्षाबंधन तक चलेगा. सावन को भगवान भोलेनाथ की आराधना का त्योहार माना जाता है. सावन के महीने में भगवान शिव की पूरी आस्था के साथ पूजा की जाती है.

Tungnath Temple: सावन का पवित्र महीना शुरू हो रहा है. 4 जुलाई से सावन है जो रक्षाबंधन तक चलेगा. सावन को भगवान भोलेनाथ की आराधना का त्योहार माना जाता है. सावन के महीने में भगवान शिव की पूरी आस्था के साथ पूजा की जाती है. भक्त शिव मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं.

भारत में 12 ज्योतिर्लिंग है

भारत में 12 ज्योतिर्लिंग, कई प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं. उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक हर राज्य में भक्तों की आस्था से जुड़े शिव मंदिर हैं. भोलेनाथ के कई मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं. सावन के मौके पर केदारनाथ से लेकर बाबा विश्वनाथ और महाकालेश्वर धाम तक भक्तों की भीड़ उमड़ेगी.

दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर

हालांकि, अगर आप इस सावन के मौके पर किसी अद्भुत और दिव्य मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आप दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं. इस मंदिर का नाम तुंगनाथ मंदिर है. आइए जानते हैं तुंगनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व, दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर कहां है और दर्शन के लिए तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचें.

तुंगनाथ मंदिर कहां है?

भगवान शिव का प्राचीन तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में एक ऊंचे पहाड़ पर स्थित है. तुंगनाथ मंदिर महादेव के पंच केदारों में से एक है, जो चारों तरफ से बर्फ से ढका हुआ है.

तुंगनाथ मंदिर का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि तुंगनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किया था. कहा जाता है कि कुरूक्षेत्र में हुए नरसंहार से शिवजी पांडवों से नाराज थे, इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए इस खूबसूरत जगह पर शिवशंभू का मंदिर बनवाया गया था.

माता पार्वती ने तपस्या की

स्थानीय लोगों का कहना है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी. मंदिर से जुड़ी एक किंवदंती यह भी है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद खुद को ब्रह्मचर्य के श्राप से मुक्त करने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी. इसी कारण से इस स्थान को चंद्रशिला भी कहा जाता है.

तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे

तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्री उखीमठ से होकर जा सकते हैं, जहां से उन्हें सड़क मार्ग से मंदाकिनी घाटी में प्रवेश करना पड़ता है. आगे बढ़ने पर अगस्त्य मुनि नाम का एक छोटा सा शहर मिलता है, जहां से हिमालय की नंदा खाट चोटी दिखाई देती है. इसके अलावा चोपता से तुंगनाथ मंदिर की दूरी मात्र तीन किलोमीटर है. चोपता तक बस से पहुंचा जा सकता है और पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.

तुंगनाथ मंदिर कब जाएं?

नवंबर से यहां बर्फबारी शुरू हो जाती है और मंदिर बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है. तुंगनाथ मंदिर की यात्रा के लिए जुलाई-अगस्त सबसे अच्छा समय है. इन महीनों में इस जगह की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. चारों ओर हरियाली और बुरांश के फूल देखने को मिलते हैं.

Bimla Kumari
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I Bimla Kumari have been associated with journalism for the last 7 years. During this period, I have worked in digital media at Kashish News Ranchi, News 11 Bharat Ranchi and ETV Hyderabad. Currently, I work on education, lifestyle and religious news in digital media in Prabhat Khabar. Apart from this, I also do reporting with voice over and anchoring.

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