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Sita Navami 2021: संघर्षों से भरा रहा मां सीता का जीवन, जानें उनसे जुड़ी ये अनसुनी खास बातें

Sita Navami 2021, Janki Jayanti, Story In Hindi, Interesting Facts: माता सीता का जन्म वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था. इस दिन मंगलवार पुष्य नक्षत्र भी था. यही कारण है कि हर वर्ष इस तिथि पर सीता जन्मोत्वस मनाने की परंपरा है. जिसे सीता नवमी भी कहा जाता है. इस बार यह तिथि 21 मई 2021, शुक्रवार को पड़ रही है. माता सीता का पूरा जीवन संघर्ष भरा रहा, उन्हें त्याग की देवी भी कहा जाता है. आइये जानते हैं उनके बारे कुछ खास बातें...

Sita Navami 2021, Story In Hindi, Interesting Facts: माता सीता का जन्म वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था. इस दिन मंगलवार पुष्य नक्षत्र भी था. यही कारण है कि हर वर्ष इस तिथि पर सीता जन्मोत्वस मनाने की परंपरा है. जिसे सीता नवमी भी कहा जाता है. इस बार यह तिथि 21 मई 2021, शुक्रवार को पड़ रही है. माता सीता का पूरा जीवन संघर्ष भरा रहा, उन्हें त्याग की देवी भी कहा जाता है. आइये जानते हैं उनके बारे कुछ खास बातें…

कब हुआ था मां सीता और भगवान राम का विवाह?

भगवान राम और माता सीता का विवाह मार्गशीर्ष महीने शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर हुआ था.

मां सीता विवाह के बाद कभी मायके नहीं गयी

दरअसल, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सीता को विवाह के बाद कभी अपने मायके जाने का मौका नहीं मिल पाया.

शादी के तुरंत बाद जाना पड़ा वनवास

भगवान राम और लक्ष्मण जी के साथ माता सीता को 14 वर्ष के वनवास पर जाना पड़ा. इस बीच उनके जीवन में कई घटनाएं घटी.

माता सीता के प्रतिछाया का लंकेश्वर ने किया था हरण

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता को नहीं बल्कि उनके प्रतिछाया का लंकेश्वर ने हरण किया था. उनका असली स्वरूप तो अग्निदेव के पास मौजूद था.

कितने दिन मां को मां सीता को रहना पड़ा लंका में?

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सीता को रावण की लंका में करीब 435 दिन तक रहना पड़ा था.

लव कुश के जन्म के समय राम के चौथे भाई शत्रुघ्न भी थे मौजूद

दरअसल, भगवान राम और सीता के पुत्र लव कुश का जन्म एक आश्रम में हुआ था. जहां उस वक्त शत्रुघ्न भी मौजूद थे और उन्होंने दोनों को आशीर्वाद भी दिया था. लेकिन, उस समय उन्हें इस बात का ज्ञात बिलकुल भी नहीं था कि यह उन्हीं के अपने भतीजे हैं.

धरती में समा गई थी माता सीता

धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि मां सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी. जिसके बाद वह सशरीर धरती में समा गई थीं. उन्हें धरती पुत्री भी कहा जाता है.

Posted By: Sumit Kumar Verma

Prabhat Khabar Digital Desk
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