14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Relationship: केवल विचार में नहीं, व्यवहार में भी दिखे सम्मान

Relationship: विल स्मिथ द्वारा कार्यक्रम के होस्ट क्रिस रॉक को अपने पत्नी जेड की बीमारी का मजाक उड़ाने के लिए स्टेज पर जाकर सरेआम थप्पड़ा मारने की घटना चर्चा में रही.

Relationship: पिछले दिनों 94वें ऑस्कर समारोह में विल स्मिथ द्वारा कार्यक्रमक के होस्ट क्रिस रॉक को अपने पत्नी जेड की बीमारी का मजाक उड़ाने के लिए स्टेज पर जाकर सरेआम थप्पड़ा मारने की घटना चर्चा में रही. ऑस्कर को फिल्म के क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है और विल स्मिथ पहली बार इसके हकदार बने हैं. बावजूद इसके विल ने इस बात की परवाह न करते हुए अपनी पत्नी के सम्मान और समर्थन में उक्त व्यवहार किया. हमारे आम भारतीय समाज के पुरुषों को विल के इस व्यवहार से सीख लेने की जरूरत है, जहां घर-परिवार से लेकर मायके-ससुराल तक में एक विवाहित महिला की इज्जत को उसके पति से जोड़ कर देखा जाता है. हालांकि बाद में उन्होंने यह कहते हुए सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी कि हिंसा किसी भी सूरत में सही नहीं है.

भारतीय समाज में एक शादीशुदा स्त्री की इज्जत को उसके पति की इज्जत से जोड़ कर देखने की परंपरा सदियों पुरानी हैं, फिर चाहे वह ससुराल हो या मायका. अगर किसी महिला का पति कमाऊ है, उसे खूब प्यार करता है और उसके सारे नाज-नखरे उठाता है, तो ऐसा माना जाता है कि उस महिला से अधिक सौभाग्यशाली कोई नहीं. वहीं दूसरी ओर, जिस महिला का पति उसे नहीं पूछता, बात-बात पर उसका मजाक उड़ाता है या उसका अपमान करता है और उसकी भावनाओं का सम्मान नहीं करता, उसे घर-परिवार तो क्या अड़ोस-पड़ोस में भी ‘बेचारी’ नजर से देखा जाता है.

पति-पत्नी होते हैं एक ही सिक्के के दो पहलू

रिश्ता चाहे कोई भी हो, उस रिश्ते में एक-दूसरे के प्रति सम्मान होना बेहद जरूरी है और पति-पत्नी तो एक ही सिक्के के दो पहलू माने जाते हैं. उनके रिश्ते में सहयोग तथा सम्मान की दरकार और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. समस्या यह है कि हमारे समाज की पुरुषवादी विचारधारा अक्सर यह स्वीकार ही नहीं कर पाती कि पति को भी अपनी पत्नी का सम्मान करना चाहिए. इसी वजह से पत्नी को इज्जत देने वाले पतियों ‘जोरू का गुलाम’ जैसे टैगलाइन से नवाजा जाने लगता है. यह गलत है. हमें यह समझना होगा कि अपनी पत्नी को इज्जत देनेवाले पति उनके गुलाम नहीं, बल्कि वे एक ऐसी मां के बेटे होते हैं, जिसने उन्हें औरत की इज्जत करना सिखाया गया है.

आप जो देंगे, वहीं पायेंगे

एक पुरानी कहावत है- ‘जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे.’ दुनियादारी का भी सिंपल फंडा यही है. आप किसी के साथ जैसा व्यवहार करेंगे, सामनेवाले से वैसा ही व्यवहार पायेंगे. जिन महिलाओं के पति उनकी इज्जत करते हैं, उन्हें समुचित सम्मान देते हैं, वे महिलाएं भी घर-बाहर अपने पति की बड़ाई करती नहीं थकतीं. दूसरी ओर, जिन महिलाओं को उनके पति द्वारा हर बात पीछे बेइज्जत किया जाता है, वे भी उनकी इज्जत नहीं कर पातीं, भले ही लोक-लिहाज के कारण वे अपने रिश्ते को निभा रही हों, लेकिन गाहे-बगाहे उनके बात-व्यवहार में उनके आक्रोश की झलक मिल ही जाती है.

Undefined
Relationship: केवल विचार में नहीं, व्यवहार में भी दिखे सम्मान 2
आपसी अंतरों एवं कमियों को करें स्वीकार

हम भारतीयों की एक बड़ी समस्या यह है कि हम सैंद्धातिक रूप से बातें तो बड़ी-बड़ी करना जानते हैं, लेकिन व्यवहारिक धरातल पर उसे अपनाने में अक्सर फिसड्डी साबित होते हैं. हमारे समाज में एक स्त्री को ‘देवी’ की संज्ञा दी जाती है, लेकिन व्यावहारिक धरातल पर उसके साथ अक्सर दानवों जैसा व्यवहार किया जाता है. आये दिन होनेवाली लैंगिक हिंसा, दहेज हत्या, घरेलू हिंसा आदि इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं. आज भी अखबारों के विज्ञापनों में ‘दूध गोरी, सुंदर परी’ लड़कियों की ही डिमांड होती हैं, जबकि एक इंसान की खुबसूरती उसकी सूरत से कहीं ज्यादा उसकी सीरत पर निर्भर करती है. तन की सुंदरता तो एक दिन ढल जानी है, लेकिन मन की सुंदरता इंसान की मौत के बाद भी उसकी पहचान कायम रखती है. अत: अपने जीवनसाथी से उचित सम्मान पाना चाहते हैं, तो इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी मानसिकता को बदलें. महिलाओं एवं पुरुषों के बीच के अंतर को स्वीकार करते हुए एक-दूसरे को समुचित सम्मान दें.

थप्पड़ से डरना जरूरी है

28 मार्च को लॉस एंजिलिस (अमेरिका) में 94वें ऑस्कर समारोह के दौरान अभिनेता विल स्मिथ ने कॉमेडियन क्रिस रॉक को मंच पर जा कर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया. कारण, क्रिस ने विल स्मिथ की पत्नी जेडा के गंजेपन का मजाक उड़ाया था. थप्पड़ खाने बाद भी क्रिस ने अपना कार्यक्रम बिना किसी प्रतिक्रिया के जारी रखा. उल्लेखनीय है कि इसी समारोह में स्मिथ मूवी ‘किंग रिचर्ड’ में रिचर्ड विलियम्स की भूमिका के लिए अपना पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर पुरस्कार जीता है, परंतु इस थप्पड़ वाली घटना के बाद तो ‘ऐक्टिंग से तगड़ा एक्शन’ पर बात होने लगी है. महिलाएं स्मिथ की पत्नी को किस्मतवाली समझ रही हैं, जिन्हें उनके जैसा पति मिला, जिसने पत्नी की बेइज्जती को सहन नहीं किया. यह अलग बात है कि बाद में विल स्मिथ ने सार्वजनिक रूप से क्रिस रॉक से माफ़ी मांग ली. यह उनका बड़प्पन है. वैसे भी वॉयलेंस के लिए माफी मांगना उचित ही है. एक माफी सार्वजनिक रूप से क्रिस को भी मांगनी चाहिए इस वादे के साथ कि वह भविष्य में ‘बॉडी-शेमिंग’ जैसे गंभीर मुद्दों पर चुटकुलेबाज़ी नहीं करेंगे. सिर्फ क्रिस ही क्यों, कॉमेडी के नाम पर फूहड़ता परोस रहे सभी कॉमेडियन को ऐसा करना चाहिए.

प्रसिद्ध शख्सियत केतकी जानी, जो खुद एलोप्सिया (बाल झड़ने की बीमारी) से ग्रसित हैं, कहती हैं- ”Oscar award में जो थप्पड़ लगी, उसकी गूंज पूरी दुनिया में एलोप्सिया/ गंजापन का मजाक उड़ानेवाले लोगों के कान में ताउम्र रहनी चाहिए, ताकि आगे से वे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर इस बीमारी से ग्रसित लोगों पर तंज ना कसे और न ही उनके गंजेपन को लेकर कोई जोक पेास्ट करें.

बॉडी शेमिंग कहीं से भी नहीं है सही

इस घटना के बाद ‘थप्पड़’ मारने जैसी प्रतिक्रिया के साथ-साथ बॉडी शेमिंग का मजाक उड़ानेवालों पर भी एक चर्चा शुरू हो गयी है. टीवी पर चर्चित एक मशहूर कॉमेडी शो तो इसी मजाक के बल पर ही चलता है, जिसमें रंग, होंठ, मोटापा, चेहरा हाव-भाव का ही मजाक उड़ाया जाता है. हालांकि यह मजाक कार्यक्रम में उपस्थित अभिनेताओं के बीच ही चलता है. बावजूद इसके किसी के रंग-रूप या आकार को लेकर मजाक बनाना कतई सही नहीं है. कॉमेडी शो की बात अलग हो सकती है. इसके लिए वे पैसे लेते होंगे, पर सार्वजनिक जीवन में किसी की ऐसी विसंगति पर चुटकुले बनाना उनको नीचा दिखाने के समान है.

ऐसे ही एक फिल्मी समारोह में शाहरुख और सैफ अली खान ने नील नितिन मुकेश के नाम का मजाक उड़ाया था. थोड़ी देर विनम्रता के साथ बात करने बाद नील ने भी बाध्य होकर उन्हें सार्वजनिक रूप से ही ‘शट-अप’ कह दिया था. मजाक का यह नवीन भौंडा रूप हर प्रकार से हास्य का निम्न स्तर ही प्रस्तुत करता है, जो कि घोर निंदनीय है.

तापसी पन्नू अभिनीत व अनुभव सिन्हा निर्देशित हालिया रिलीज मूवी ‘थप्पड़’ आम जनता और क्रिटिक्स द्वारा खूब सराही गयी थी. इस फिल्म में एक पति ‘बस ऐसे ही’ पत्नी को एक थप्पड़ लगा देता है और फिर उसे सही ठहराने के लिए तमाम तरह की दलीलें देता है. इस थप्पड़ की गूंज पर भी खूब बहस हुई थी. ज्यादातर लोगों की यही राय थी कि भले हो ‘एक थप्पड़, पर नहीं मार सकता!’ अतः प्यार से नहीं पर थप्पड़ से डर लगना चाहिए.

रचना प्रियदर्शिनी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें