Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों और सत्संगों के माध्यम से लोगों को भक्ति और अध्यात्म की ओर प्रेरित कर रहे हैं. युवाओं में उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. हर रात हजारों लोग महाराज जी के दर्शन के लिए इंतजार करते हैं और उनके सत्संग में सम्मिलित होने के लिए पूरी रात टोकन लेने की कतार में खड़े रहते हैं. सोशल मीडिया पर भी लाखों लोग उनकी बातों से जुड़ते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करते हैं. महाराज जी अक्सर बताते हैं कि घर का मंदिर केवल पूजा का स्थान ही नहीं, बल्कि ऊर्जा और सकारात्मकता का केंद्र होता है. इसलिए भगवान की सेवा और पूजा घर की मर्यादा में खास सावधानी बरतनी चाहिए.
पूर्वजों की तस्वीरें
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, घर के मंदिर में कभी भी भगवान की मूर्तियों के साथ पूर्वजों की तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए. पूर्वजों की पूजा, सम्मान और स्मरण अलग स्थान पर किया जाना उचित है.
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खंडित मूर्तियां और खंडित ग्रंथ
मंदिर में टूटी-फूटी या खंडित मूर्तियों की पूजा करना वर्जित है. भगवान की मूर्ति संपूर्ण और सुंदर होनी चाहिए. पूजाघर को हमेशा स्वच्छ रखें और धार्मिक ग्रंथ भी सही स्थिति में होने चाहिए.
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बासी फूल और लंबे समय तक रखा भोग
भगवान को सदैव ताजे फूल अर्पित करने चाहिए और सात्विक भोजन का भोग लगाना चाहिए. भोग को लंबे समय तक भगवान के सामने न रखें. लगभग 20–30 मिनट बाद भोग हटा लेना चाहिए. बासी फूल और अधिक समय तक रखा हुआ भोग नकारात्मक प्रभाव डालता है.
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि यदि भक्त इन नियमों का पालन करें, तो पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है और घर में सुख, शांति और सकारात्मकता का वास होता है.
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