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Ganpati Puja : कैसे करें भगवान गणेश का प्रिय मोदक लड्डू तैयार, वीडियो देख कर सिखें सीखिए

Ganesh Chaturthi 2020, Modak recipe in hindi : गणेश पूजा (Ganesh Puja) देश भर में मनाया जाता है. मोदक (Modak) गणपति भगवान का सबसे लोकप्रिय भोग है. आमतौर पर भक्त गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के अवसर यही भोग चढ़ाते हैं. अगर आप भी कोरोना (Coronavirus) और लॉकडाउन (Lockdown) के बीच श्री गणेश भगवान (Lord Ganesh) की पूजा करने की सोच रहे हैं, तो उनके प्रिय भोग को बनाने की विधि यहां से सीखें...

Ganesh Chaturthi 2020, Modak recipe in hindi : गणेश पूजा (Ganesh Puja) देश भर में मनाया जाता है. मोदक (Modak) गणपति भगवान का सबसे लोकप्रिय भोग है. आमतौर पर भक्त गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के अवसर यही भोग चढ़ाते हैं. अगर आप भी कोरोना (Coronavirus) और लॉकडाउन (Lockdown) के बीच श्री गणेश भगवान (Lord Ganesh) की पूजा करने की सोच रहे हैं, तो उनके प्रिय भोग को बनाने की विधि यहां से सीखें…

तो आइये जानते हैं इस रेसिपी को बनाने के लिए किस सामग्री की पड़ेगी जरूरत (Ingredients List for Modak Recipe)

– दूध

– आटा

– दो कप मैदा लें

– 2 चुटकी केसर

– एक कप नारियल पाउडर

– एक चम्मच घी

– दो कप तेल

– आधा चम्मच इलायची पाउडर

– छह चम्मच चासनी

– नमक स्वाद अनुसार

– दो कप रवा

– 2 जायफल

मोदक भोग बनाने की विधि (Modak recipe in hindi)

– एक पैन को आंच पर गर्म करें

– उसमें नारियल पाउडर और गुड़ डाल दें.

– इस मिश्रण को पांच मिनट तक तलें

– अब इसमें जायफल और केसर को मिला दें

– हल्के से मध्यम आंच में पांच मिनट तक इस मिश्रण को पकने दें.

– दूसरी तरफ, एक बर्तन में नमक, आटा और पानी डाल दें,

– ऊपर से उसमें घी डाल दें और सबको मिलाएं,

– अब इसे आंच पर चढ़ा कर थोड़ा पकने दें

– जब इसका मिश्रण पक कर आधा न रह जाए

– अब हल्के गर्म गूंथे आटे को अच्छी तरह से गूंथ लें.

– इससे छोटे-छोटे आकार का लोई बना लें.

– इसे अपने जरूरत अनुसार शेप दे दें, आमतौर फूल शेप में होते है ले मोदक

– भरावण मिश्रण से इसे शेप को खोल-खोल कर भरें, फिर बंद कर दें

– अब इन्हें मलमल कपड़े से हल्की भांप पर करीब 10-15 मिनट तक पकाने दें.

– बीच-बीच में निकाल कर देख लें

– आपका मोदक तैयार है. अब इसका भोग लगाएं

कब है गणेश चतुर्थी

आपको बता दें कि गणेश चतुर्थी का त्योहार इस बार 22 अगस्त यानि शनिवार को मनाया जा रहा है. इस पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. आमतौर पर 10 दिन इस त्योहार को मनाया जाता है. कोरोना और लॉकडाउन के बीच इस बार यह सामान्य रूप से आयोजित नहीं किया जा सकेगा. ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद की चतुर्थी के दिन ही श्री गणेश जी का जन्म हुआ था. उन्हें विध्नहर्ता कहा जाता है. गणेश पूजा के लिए गणेश प्रतिमा, जल कलश, पंचामृत, लाल कपड़ा, रोली, अक्षत यानी साबुत चावल, कलावा, इलाइची, नारियल, चांदी का वर्क, जनेऊ, सुपारी, घी, कपूर, लौंग पंचमेवा, पूजा वाला चौकी, लाल कपड़ा और गंगाजल आदि चीजों की जरूरत पड़ती है.

22 अगस्त शनिवार

भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी रात्रि-11:34 उपरांत

पंचमी

शुभसंवत-2077,शाके-1942,हिजरीसन-1442-43

सूर्यास्त-06:23

सूर्योदय-05:37

सूर्योदयकालीननक्षत्र-हस्त.उपरांत चित्रा,साध्य-योग,व.-करण

सूर्योदयकालीन ग्रह-विचार-

सूर्य-कर्क,चन्द्रमा-कन्या,मंगल-मीन,बुध-सिंह

गुरु-धनु,शुक्र-मिथुन,शनि-धनु,राहु-मिथुन,केतु-धनु

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक

दूसरा शाम 4 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक

रात में 9 बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 23 मिनट तक

वर्जित चंद्रदर्शन का समय 8 बजकर 47 मिनट से रात 9 बजकर 22 मिनट तक

चतुर्थी तिथि आरंभ 21 अगस्त की रात 11 बजकर 02 मिनट से

चतुर्थी तिथि समाप्त 22 अगस्त की रात 7 बजकर 56 मिनट तक

चौघड़िया

प्रात: 06:00 से 07:30 तक चर

प्रातः 07:30 से 09:00 तक लाभ

प्रातः 09:00 से 10:30 बजे तक अमृत

प्रातः10:30 बजे से 12:00 बजे तक काल

दोपहरः 12:00 से 01:30 बजे तक शुभ

दोपहरः 01:30 से 03:00 बजे तक रोग

दोपहरः 03:00 से 04:30 बजे तक उद्वेग

शामः 04:30 से 06:00 तक चर

पूजा विधि

भगवान गणेश मूर्ति की स्थापना करने के लिए सबसे पहले लाल वस्त्र चौकी पर बिछाकर स्थान दें, इसके साथ ही एक कलश में जलभरकर उसके ऊपर नारियल रखकर चौकी के पास रख दें. फिर उन्हें पान, सुपारी, लड्डू, सिंदूर, दूर्वा चढ़ाएं. इसके बाद दोनों समय गणपति की आरती, चालीसा का पाठ करें. प्रसाद में लड्डू का वितरण करें.

उपाय

नवरात्र में माता दुर्गाजी को शहद को भोग लगाने से भक्तो को सुंदर रूप प्राप्त होता है व्यक्तित्व में तेज प्रकट होता है।

आराधनाःॐ सौम्यरुपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि तन्नौ सौम्यः प्रचोदयात् ॥

खरीदारी के लिए शुभ समयःदोपहरः12:00 से 01:30 बजे तक लाभ

राहु काल:10:30 से 12:30 बजे तक.

दिशाशूल-नैऋत्य एवं पश्चिम

।।अथ राशि फलम्।।

Posted By : Sumit Kumar Verma

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