Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता में धर्म और जीवन का सार बताया गया है. यह जीवन जीने की कला सिखाती है. इसमें लिखी बातें व्यक्ति को हर परिस्थितियों से जूझने की ताकत देती है. अक्सर कहा जाता है कि जब मन बेचैन हो तो गीता का पाठ करना चाहिए. यह मन को शांत रखने का काम करता है. आधुनिक युग में भी इसकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई है. यह मार्गदर्शक की भूमिका निभाती है. गीता में लिखी बातों को जीवन में उतारने वाले व्यक्ति को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है. गीता में लिखी बातें व्यक्ति को भौतिक सुख-सुविधाएं और मोह-माया के बंधनों से छुटकारा दिलाने का काम करता है. ऐसे में गीता के कुछ उपदेश हैं, जिन्हें अमल में लाने से व्यक्ति मुश्किल से मुश्किल हालातों को भी पार सकने में सक्षम हो जाता है.
- गीता उपदेश के मुताबिक, सुख-दुख जीवन का चक्र है. यह जिंदगी को संतुलित करने के लिए बहुत जरूरी होता है. जिस तरह इस धरती पर मौसम में परिवर्तन होता है, उसी तरह जीवन में सुख-दुख का आना लगा रहता है.
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- भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जीवन में व्यर्थ की चिंताएं नहीं करनी चाहिए. जो हो चुका है और जो होने वाला है, इन बातों में व्यक्ति को नहीं उलझना चाहिए. व्यक्ति को सिर्फ आज यानी वर्तमान में जीना चाहिए. वर्तमान में जीने वाले व्यक्ति को किसी भी तरह के कोई कष्ट नहीं होते हैं.
- गीता उपदेश में बताया गया है कि व्यक्ति को सिर्फ नि:स्वार्थ और निश्छल भाव से सिर्फ अपना कर्म करते रहना चाहिए. उस कर्म के बदले मिलने वाले फल की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि आपके हर प्रयास और काम का फल एक न एक दिन जरूर मिलेगा.
- भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि वह व्यक्ति बहुत ही समझदार होता है, जिसमें सफलता के बाद भी अहंकार की भावना नहीं उत्पन्न होती है, क्योंकि अहंकार व्यक्ति को अंदर ही अंदर से खत्म कर देता है. अहंकार की भावना दीमक की भांति काम करता है, जो कि शरीर को अंदर से खोखला कर देता है.
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