Color Psychology: वास्तव में प्रकृति की सुंदरता इसमें बिखरे रंगों के कारण ही है, जो इसे आकर्षक बनाते हैं. चाहे सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, रंग-बिरंगे फूल हों या तितलियां, आसमान का नीलापन हो या काले घहराते मेघ, सात रंगों से सजे इंद्रधनुष हों या फिर अलग-अलग रंगों को समेटे समुद्री जल, सभी हमारे मन को बरबस मोह लेते हैं. परंतु क्या आप जानते हैं कि इस सृष्टि में मौजूद सभी रंग हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं. कोई रंग हमें उत्तेजित करता है, कोई प्रेम का अहसास करता है, तो कोई शांति का. इस प्रकार हमारे जीवन में प्रत्येक रंग का अपना महत्व है. रंगों के इस महत्व को ही प्रतिपादित करता है होली का त्योहार. अगले ही सप्ताह होली है. आइए इस अवसर पर रंगों के महत्व के बारे में जानते हैं.
रंगोत्सव का महत्व
यूं तो पूरी दुनिया में लोग रंगों को महत्व देते हैं, परंतु यदि गहराई से सोचें, तो हम भारतीयों से ज्यादा रंगों को महत्व देने वाला शायद ही कोई दुनिया में होगा. हम खानपान से लेकर पूजा-पाठ, पहनने-ओढने से लेकर पर्व-त्योहार तक सारी चीजों में रंगों को विशेष महत्व देते हैं. इनमें सबसे प्रमुख है होली का त्योहार है. होली को रंगों का त्योहार या रंगोत्सव भी कहा जाता है. वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला यह त्योहार रंगों में डूब जाने का है. अपनी सारी नकारात्मकता, दुख-दर्द, तनाव, अवसाद को भूल मन को उमंग और उत्साह से भर देने का है. रंग इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लाल-पीले-हरे रंगों में पुते चेहरे सबको एक सा होने का अहसास कराते हैं. हमारी मन की गांठ को खोल सबसे साथ मिलजुल कर रहने की सीख भी देते हैं. ये हमारे मन की कटुता व वैमनस्य को धो डालते हैं. यहां एक और बात जो महत्वपूर्ण है, वह यह कि होली सर्दी और गर्मी के संक्रमण काल में मनाया जाने वाला पर्व है. सर्दी जा चुकी होती है और गर्मी का अहसास होने लगता है. मौसम का यह संक्रमण काल हमारे मानस को प्रभावित करने का समय भी होता है. लंबे समय तक ठंड का प्रकोप झेलने के कारण अनेक लोग निराशा व अवसाद की स्थिति में चले जाते हैं. ऐसे में वसंत ऋतु उनके मन में नवऊर्जा का संचार करती है और होली के रंगों में डूब यह ऊर्जा व्यक्ति को ताजगी-व स्फूर्ति देती है ताकि वह वर्षभर ऊर्जावान बना रहे.
रंगों का धार्मिक महत्व
भारतीय संस्कृति में धर्म में रंगों की मौजूदगी को विशेष महत्व दिया गया है. रंगों के विज्ञान को समझकर ही हमारे मनिषियों ने धर्म में रंगों का समावेश किया है. पर्व-त्योहारों के अवसर पर, पूजा स्थान पर रंगोली बनाना न केवल कलाधर्मिता को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह रंगों के मनोविज्ञान को भी प्रदर्शित करता है. कुंकुम, हल्दी, अबीर, गुलाल, रोली, सिंदूर तो लगभग हर घर में पूजा के समय प्रयोग में लाये जाते हैं. इतना ही नहीं, धर्म ध्वजाओं के रंग, तिलक के रंग, भगवान के वस्त्रों के रंग के चुनाव भी सोच-समझकर किये जाते हैं, ताकि हम उन रंगों से प्रेरित हो सकें और हमारे अंदर उन रंगों के गुणों का समावेश हो सके.
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रंगों के प्रतीकात्मक अर्थ
लंबे समय से लोग अलग-अलग रंगों को अलग-अलग प्रतीकों से जोड़ते आये हैं.
लाल रंग : जुनून, उत्साह, प्यार
गुलाबी रंग : नरम, गंभीर, व्यावहारिक
बैंगनी : रहस्यमय, आदर्श, ग्लैमर
नीला : बुद्धि, आशा, शांति
हरा : प्रकृति, विकास, ताजगी
पीला : आशा, प्रसन्नता, खतरा
नारंगी या संतरी : गर्मजोशी, दयालुता, प्रसन्नता
सफेद : सच्चाई, उदासीनता
काला : आदर्श, रहस्यमय, ठंडा