Chanakya Niti: हमारे जीवन में कई घटनाएं होती हैं और हम कई चीजों को अनुभव करते हैं. आपने भी घर के बुजुर्गों से अक्सर सुना होगा कि जीवन में जो कुछ भी होता है वह पहले से ही तय रहता है. हमारा उस बात पर कोई कंट्रोल नहीं रहता है. इसी बात को आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में भी समझाया है. चाणक्य नीति के चौथे अध्याय के एक श्लोक के अनुसार,
आयुः कर्म वित्तंच विद्या निधनमेव च।
पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः। ।
- इस श्लोक के अनुसार, कुछ चीजें जन्म से पहले से ही तय होती हैं. आचार्य चाणक्य के मुताबिक, व्यक्ति की उम्र, उसके कर्म, आर्थिक स्थिति, पढ़ाई-लिखाई और मृत्यु पहले से ही उसके भाग्य में लिख दी जाती है.
- चाणक्य नीति के अनुसार, व्यक्ति जब गर्भ में होता है तभी उसकी आयु का फैसला हो जाता है. व्यक्ति के भाग्य में जितनी आयु लिखी गई है उतना व्यक्ति जरूर जी लेता है और इस बात को कोई बदल नहीं सकता है.
- आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति जो भी काम करता है उसी का फल उसे प्राप्त होता है. हमारे कर्म पिछले जन्म से जुड़े होते हैं. चाणक्य नीति के मुताबिक व्यक्ति के कर्म पहले से ही तय हैं और इसे के अनुसार उसे जीवन में सुख दुख भोगना पड़ता है.
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- विद्या सभी के लिए भी जरुरी है मगर इसका भी फैसला जन्म से पहला हो जाता है. कोई भी व्यक्ति जितना भाग्य में लिखा है उतनी ही शिक्षा ग्रहण कर पाता है. आपने ऐसे लोगों को भी देखा होगा जो पढ़ाई छूट जाने के बाद भी फिर से पढ़ाई शुरू करते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके भाग्य में ये बात लिखी हुई है.
- धन के बिना कोई भी इंसान जीवन नहीं काट सकता और इसे कमाने के लिए व्यक्ति मेहनत भी करता है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को उतना ही धन मिलता है जितना उसके भाग्य में होता है.
- चाणक्य नीति में मृत्यु के ऊपर भी कहा गया है. किसी भी व्यक्ति की मृत्यु कब और कैसे होगी ये बात जन्म से पहले ही निश्चित है और इस बात को व्यक्ति चाहकर भी नहीं बदल सकता.
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