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World Health Day 2020: विश्व स्वास्थ्य दिवस पर जानिए भारत में नर्सों की स्थिति और आवश्यकता

आज वर्ल्ड हेल्थ डे है. हर साल की भांति इस वर्ष भी 7 अप्रैल को यह दिवस मनाया जा रहा है. इस बार का थीम हैं नर्सों का सम्मान. जैसा कि ज्ञात हो, अभी दुनिया बहुत बड़े संकट के दौर से गुजर रही है. दुनियाभर में फिहलाल कोरोना वायरस का कहर छाया हुआ है. कुल 50000 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी है. वहीं, दस लाख से ज्यादा इससे संक्रमित हैं. ऐसे में हमें इस महा संकट से बचाने के लिए जो दिन रात काम कर रहे हैं, वो है हमारे स्वास्थ्यकर्मी. आज वर्ल्ड हेल्थ के दिन का थीम भी नर्सों के सम्मान पर रखा गया है.

आज वर्ल्ड हेल्थ डे है. हर साल की भांति इस वर्ष भी 7 अप्रैल को यह दिवस मनाया जा रहा है. इस बार का थीम हैं नर्सों का सम्मान. जैसा कि ज्ञात हो, अभी दुनिया बहुत बड़े संकट के दौर से गुजर रही है. दुनियाभर में फिहलाल कोरोना वायरस का कहर छाया हुआ है. कुल 50000 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी है. वहीं, दस लाख से ज्यादा इससे संक्रमित हैं. ऐसे में हमें इस महा संकट से बचाने के लिए जो दिन रात काम कर रहे हैं, वो है हमारे स्वास्थ्यकर्मी. आज वर्ल्ड हेल्थ के दिन का थीम भी नर्सों के सम्मान पर रखा गया है.

आपको बता दें कि हमारे देश में सदियों से वैध व दाई हमारी रक्षा करते आए हैं. आपने सुना भी होगा की बचाने वाला भगवान के समान होता है. अत: केवल आज के दिन ही नहीं हमें अपने स्वास्थ्यकर्मियों का हमेशा सम्मान करना चाहिए.

आए दिन स्वास्थ्यकर्मियों पर होता है हमला

कई जगहों पर ऐसा देखा गया है कि स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला होता है. हाल ही में आपने देखा होगा की इंदौर में कोरोना संक्रमण का चेकअप करने गए डॉक्टरों पर हमला किया गया. दिल्ली में उनपर थूका गया, ताकि वायरस से वे भी प्रभावित हो जाएं. ऐसा करना हमारी संकुचित मानसिकता का परिचायक है.

नर्सों की स्थिति

दिन-रात अस्पताल में काम करने वाली नर्सों के भी बाल-बच्चें होते है, उनका भी अपना परिवार व समाज होता है वाबजूद इसके वे अपनी जान की चिंता छोड़ हमें और आपको बचाने के लिए खतरे से खेल रहीं हैं.

शायद आपको मालूम न हो, देश में अभी भी कई ऐसे अस्पताल है जहां हमारे स्वास्थ्यकर्मियों के पास बेसिक मेडिकल के साधन भी नहीं है.

ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन की महासचिव जीके खुराना की मानें तो निजी अस्पताल में नर्सों का बुरा हाल है. मात्र 10 से 15 हजार रुपए में नर्स दिन-रात अपनी सेवा देती हैं. छोटे शहरों में तो हालात इससे भी बदतर हैं.

आपको बता दें कि देश में नर्सेज को बीएससी नर्सिंग के बाद स्पेशल कोर्स कराके कुछ दवाइयां लिखने का उन्हें अधिकार देने पर काम चल रहा है. वहीं दूसरी ओर वर्तमान में कार्यरत नर्सों द्वारा किए जा रहे काम को नाकाफी बताया जाता रहा है. यही वजह है कि नर्सेज को अभी तक सरकारी अस्पतालों में सातवें वेतन मान का भी फायदा नहीं मिल पाता है और न ही रिस्क अलाउंस.

कोरोना वायरस से लड़ने में इनका योगदान सराहनीय

आपको बता दें कि हमलोग दुनिया भर के कई मुद्दे को उजागर करते है. लेकिन, नर्सों के बारे कोई नहीं सोचता. इस बार हमें नर्सों के कार्य को दुनिया के समक्ष उजागर करना. कोरोना वायरस से लड़ने में इनका योगदान वाकई सराहनीय है. आज इसी के फलस्वरूप देखिए चीन में कोरोना पर लगाम रोकथाम संभव हो पाया है.

जिस प्रकार हमें स्वस्थ्य रहने के लिए सेहतमंद भोजन और सही जीवनशैली की जरूरत होती है उसी तरह नर्सें भी हमारी बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं. इन्हें सम्मान देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.

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