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World Environment Day 2020: कैसे रखें पर्यावरण को सुरक्षित, पढ़ें इससे संबंधित Essay, Speech, Bhashan, Poem, Nibandh

World Environment Day 2020, latest Essay, Speech, Bhashan, Nibandh, Poem, kavita, article on Vishwa paryavaran diwas 2020 लॉकडाउन के वजह से पूर्व की तुलना में पार्यावरण स्वच्छ हुआ है. लेकिन, क्या इसके बाद भी हम इसे बरकरार रख पाएंगे? विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई, कारखानों के नाम पर जल प्रदूषित करना, जबतक इन समस्याओं से नहीं उबरा गया तब तक पर्यावरण सुधर नहीं सकता. अर्थात, हमें पर्यावरण के साथ तालमेल कर ही विकास की गति को पकड़ना है. आइये विश्व पर्यावरण दिवस 2020 (World Environment Day 2020) से एक दिन पूर्व प्रकाश डालते हैं इससे जुड़े कुछ लेख, स्पीच, भाषण और काव्य रचनाओं पर...

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विश्व पर्यावरण दिवस पर Essay

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व पर्यावरण दिवस 2020 (World Environment Day 2020) 5 जून को मनाया जाना है. पर्यावरण के लिहाज से देखें तो कोरोना के कहर से परेशान दुनिया को लॉकडाउन के वजह से थोड़ी राहत मिली है. जैसे ही कारखाने, मोटर गाड़ियां चलना बंद हुई, लोग निकलने बंद हुए, प्रकृति ने थोड़ी राहत की सांस ली. लेकिन, एक बार फिर देशभर में लॉकडाउन खुल रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या पर्यावरण फिर से दूषित हो जाएगा? इसे बचाने के लिए हमें निम्नलिखित उपायों को फॉलो करना चाहिए..

- केवल विश्व पर्यावरण दिवस को ही प्रकृति के प्रति गंभीर न हों, बल्कि अभियान की तरह इसे स्वच्छ करने हेतु कदम उठाएं

- आसपास को स्वच्छ रखें

- नदी, तलाब, पोखर आदि को कचड़ा फेंक कर दूषित न करें

- जहां संभव हो साइकिल से परिचालन करें, ताकि वायु स्वच्छ रहे. यह हेल्थ के लिहाज से भी लाभदायक है

- महीन में कम से कम एक पौधा जरूर लगाएं

- केवल पौधा ही नहीं लगाएं उसके विकास में भी भागीदारी दें

- झारखंड सरकार ने हाल ही में एक पहल की थी. जिसके अनुसार सम्मेलन या आयोजनों में उन्हें सम्मान के तौर पर पौधे गिफ्ट करने को कहा था. इस अभियान को सभी अपनाएं

इस बार विशेष थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है. हर वर्ष की भांति 5 जून को मनाए जा रहे पर्यावरण दिवस का थीम इस बार संयुक्त राष्ट्र ने "प्रकृति के लिए समय" रखा है. जिसका एकमात्र उद्देश्य है लोगों को इसके प्रति जागरूक करना. सन 1972 में सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को मनाया था. इस दौरान स्वीडन में हुए एक आयोजन में करीब 115 देशों ने हिस्सा लिया था. जिसके बाद भारत समेत अन्य देशों में इसे मनाने की परंपरा शुरू हुई.

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