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कोरोना के डेल्टा प्लस वायरस से नहीं है कोई गंभीर खतरा, नए वेरिएंट पर भी बखूबी काम करती है वैक्सीन, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

जब डेल्टा वेरिएंट में संभावित अतिरिक्त म्यूटेशन होता है, जिसे अतिरिक्त या एडवांस स्टेज का डेल्टा प्लस वेरिएंट कहा जाता है. पहले के बीटा वेरिएंट में हुए बदलाव या म्यूटेंट जिसे के417एन के नाम से जाना जाता था, अब उसी वेरिएंट को आमतौर पर डेल्टा प्लस कहने के नाम से भी पहचाना जा रहा है. यह डेल्टा या बीटा हाइब्रिड नहीं है, लेकिन वायरस में म्यूटेशन की एक ऐसी स्थिति है, जहां वायरस में खुद ही विकास हो रहा है. इसका अधिक उचित नाम एवाई.1 या एवाई.2 कहा जा सकता है.

नई दिल्ली : देश में कोरोना की तीसरी लहर के आने की आशंका ने जोर पकड़ लिया है. शोधकर्ता और सलाहकार वैज्ञानिक केंद्र और राज्य सरकारों को इस चुनौती का सामना करने के लिए अभी से ही इसकी तैयारी को लेकर आगाह कर रहे हैं. इस दौरान कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट को खतरनाक भी बताया जा रहा है. इस बीच, देश के कुछ विशेषज्ञों का यह मानना है कि कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट से गंभीर खतरा नहीं है. इसके लिए हमने नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल से बात की है. आइए, जानते हैं कि उन्होंने इस बारे में क्या कहा है…?

डेल्टा वेरिएंट क्या है? यह वैश्विक चिंता का विषय क्यों बन गया है?

कोरोना वायरस एसएआरसीओवीटू के नये म्यूटेंट (उत्परिवर्ती संस्करण) वायरस बी.0617.2 को ही डेल्टा वायरस का नाम दिया गया है. उसने अपने ही स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन किया है, जिसके कारण यह पहले वायरस की अपेक्षा अधिक संक्रमित हो गया है. इसमें अब अधिक लोगों को तेजी से अपनी चपेट में लेने की क्षमता है. म्यूटेंट डेल्टा वायरस में संक्रमण के प्रति बनी प्रतिरक्षा से भी आसानी से बचकर निकलने की क्षमता है. यह अब तक दुनिया भर के 80 देशों में फैल चुका है. भारत के बाद अब यह ब्रिटेन, यूएसए के कुछ राज्य, सिंगापुर और दक्षिणी चीन में तेजी से फैल रहा है.

डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है?

जब डेल्टा वेरिएंट में संभावित अतिरिक्त म्यूटेशन होता है, जिसे अतिरिक्त या एडवांस स्टेज का डेल्टा प्लस वेरिएंट कहा जाता है. पहले के बीटा वेरिएंट में हुए बदलाव या म्यूटेंट जिसे के417एन के नाम से जाना जाता था, अब उसी वेरिएंट को आमतौर पर डेल्टा प्लस कहने के नाम से भी पहचाना जा रहा है. यह डेल्टा या बीटा हाइब्रिड नहीं है, लेकिन वायरस में म्यूटेशन की एक ऐसी स्थिति है, जहां वायरस में खुद ही विकास हो रहा है. इसका अधिक उचित नाम एवाई.1 या एवाई.2 कहा जा सकता है.

मेरी राय में, ऐसे क्षेत्र पहले से ही डेल्टा के प्रकोप से पीड़ित हैं, उन्हें डेल्टा प्लस वेरिएंट के साथ कोई बड़ी समस्या नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मुझे उम्मीद है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट में डेल्टा वायरस के दौरान बनी एंटीबॉडी का पर्याप्त क्राम न्यूट्रिलाइजेशन मौजूद होगा. इस प्रकार मुझे डेल्टा प्लस से तत्काल खतरा या घबराने का कोई कारण नहीं दिखता है.

डेल्टा प्लस पिछले महीने डेल्टा की तुलना में तेजी से नहीं बढ़ रहा है. इसलिए यह कुछ हद तक निर्धारित है. हालांकि इनसाकॉग (आईएनएसीओजी) इस पर कड़ी निगरानी कर रहा है, क्योंकि कोई भी डेल्टा वायरस में किसी तरह का बदलाव या म्यूटेशन वायरस को वेरिएंट ऑफ कंसर्न बना देता है और इस पर हमें आगे अधिक अध्ययन करने की जरूरत होती है.

क्या हम जल्द ही तीसरी लहर देखने जा रहे हैं?

एक वायरस का प्रकोप सबसे पहले एक क्षेत्र को प्रभावित करना शुरू करता है, जो कमजोर या वायरस के लिए सटीक होता है और फिर अधिक से अधिक लोगों को संक्रमित करके तेजी से ऐसी जगहों पर फैलने लगता है, जो अतिसंवेदनशील होते हैं. जो लोग संक्रमित होने के बाद ठीक हो जाते हैं, उनमें वायरस के खिलाफ कुछ प्राकृतिक प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है. फिर ऐसे लोग होते हैं, जो टीकाकरण के बाद प्रतिरक्षा प्राप्त करते हैं.

जब पर्याप्त संख्या में लोग प्रतिरक्षा प्रतिरोधी बन जाते हैं, तो वायरस आसानी से नहीं फैल सकता है और मामले कम हो जाते हैं. कुछ समय बाद, जब रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है या वायरस इससे बचने के लिए विकसित हो जाता है, तो वायरस वापस हमला करता है और फिर से फैलने लगता है. आप इस चक्र को लहर कह सकते हैं.

अगर हम पूरे देश को देखें, तो यह नहीं कह सकते कि हाल की लहर सिर्फ दूसरी लहर थी. जैसे, दिल्ली में यह चौथी लहर थी (पहली पिछले साल जून में, फिर सितंबर में, उसके बाद नवंबर में और फिर अब). बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि अगला उछाल या अगली लहर कब आएगी. मुझे नहीं लगता कि यह जल्द ही आएगा, क्योंकि डेल्टा वेरिएंट ने पूरे देश में इस उछाल का कारण बना दिया है. अधिकांश लोगों में अब संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होगी. इसलिए जब मैं स्थानीय स्तर के संक्रमण की उम्मीद करता हूं, तो मुझे जल्द ही कभी भी एक बड़ी राष्ट्रीय लहर की उम्मीद नहीं है.

तीसरी लहर से बचाव का उपाय क्या है?

बेशक, अगर वायरस इस प्रतिरक्षा से बचने के लिए बहुत तेजी से उत्परिवर्तित या म्यूटेशन होता है और अगर लोग कुछ समय के लिए कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन नहीं करते या कम करते हैं, तो तो निश्चित रूप से एक और लहर हो सकती है. अभी टीकाकरण तेजी से चल रहा है. वायरस के विकास में समय लगता है और हम इंसाकोग में उत्परिवर्तन या म्यूटेशन को लगातार ट्रैक कर रहे हैं. इसलिए मुझे उम्मीद है कि भविष्य में कोविड की लहरों का आकार छोटा रखा जा सकता है. याद रखें कि वायरस अभी भी है और जबकि हमारे पास इससे बचाव के लिए कुछ समय है. हमें इसका अच्छी तरह से उपयोग करना चाहिए. हमें उचित सावधानी बरतने, टीकाकरण को बढ़ावा देने की जरूरत है, लेकिन घबराने जरूरत नहीं है.

वायरस में म्यूटेशन टीकों की प्रभावकारिता को कैसे प्रभावित करता है?

हो सकता है कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर कुछ उत्परिवर्तन या म्यूटेशन टीकाकरण के बाद विकसित एंटीबॉडी को इससे बंधने न दें. ऐसे मामलों में, म्यूटेशन या उत्परिवर्ती प्रतिरक्षा से बच सकता है और बीमारी का कारण बन सकता है. अब तक, वर्तमान में उपलब्ध कोविड के टीके म्यूटेंट द्वारा गंभीर बीमारी को रोकने के लिए कुशल हैं, लेकिन यह संक्रमण को रोकने में प्रभावशीलता कम कर देता है.

वायरस में म्यूटेशन किस कारण होता है?

जब एक वायरस मेजबान के शरीर में तेजी से बढ़कर गुणा करता है, तो यह लाखों प्रतियां बनाता है. लेकिन, कुछ प्रतियां पूर्ण प्रतिरूप पहले जैसी नहीं होतीं हैं, उनमें कुछ विभिन्नताएं विकसित हो जाती हैं, जिन्हें उत्परिवर्तन या म्यूटेशन कहते हैं. मानव प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता कुछ उत्परिवर्तन या म्यूटेशन लाभदायक भी होते हैं. ये तब मूल वंश से बेहतर प्रचार कर सकते हैं और जैसे डेल्टा म्यूटेंट या उत्परिवर्ती रूपों के रूप में प्रकट हो सकते हैं.

एक वायरस में डबल म्यूटेशन या ट्रिपल म्यूटेशन कब होता है?

चीजों को सरल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों के ये गलत विकल्प हैं. वायरस के सभी मौजूदा वंशों में कई म्यूटेशन होते हैं, लेकिन केवल कुछ उत्परिवर्तन, जो अधिक संक्रमण का कारण बनते हैं या रोग की गंभीरता को बढ़ाते हैं, वह मायने रखता है.

क्या भारत जीनोम सिक्वेंसिंग के माध्यम से उत्परिवर्तन को ट्रैक करता है? यह महत्वपूर्ण क्यों है?

हां, भारत वायरस में उत्परिवर्तन या म्यूटेशन को ट्रैक करता है. ट्रैकिंग मौजूदा रूपों से प्रकोप के जोखिम को निर्धारित करने में मदद करती है और नये वायरस ऑफ वेरिएंट्स चिंता को पहचानने में भी सहायता करती है.

वायरस के स्ट्रेन और वेरिएंट में क्या अंतर है?

तकनीकी रूप से यह तब तक एक स्ट्रेन है, जब तक कि वायरस में बहुत बड़ा बदलाव न हो जाए, जो अभी तक नहीं हुआ है. एक वायरस में उत्परिवर्तन या म्यूटेशन का वर्णन करने के लिए भिन्न या वंश एक बेहतर शब्द है, जो परिवर्तनों को देखने के लिए बेहतर तरीके से प्रयोग किया जा सकता है.

क्या प्रत्येक म्यूटेशन के लिए नए टीके विकसित करने होंगे?

हमें हर उत्परिवर्तन के लिए वैक्सीन को नया स्वरूप देने की आवश्यकता नहीं है. कुछ उदाहरण के लिए ई484के म्यूटेंट को टीके में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. हम पहले से ही एमआरएनए आधारित टीकों के लिए ऐसे संस्करण देख रहे हैं.

क्या भारत में उपलब्ध टीके म्यूटेड वायरस से बचाव करते हैं?

हां, सभी उपलब्ध टीके गंभीर बीमारी से बचाव कर रहे हैं.

म्यूटेशन या स्ट्रेन क्यों दहशत पैदा करते हैं?

एक वायरस में उत्परिवर्तन या म्यूटेशन निश्चित है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है. लोगों को सावधानी बरतने और कोरोना उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) का पालन करने की जरूरत है. सीएबी सभी उत्परिवर्तन या म्यूटेशन के खिलाफ प्रभावी है. साथ ही, जैसा कि पहले कहा गया है, टीके गंभीर बीमारी से बचाव कर रहे हैं.

टीका इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

जहां कोरोना उपयुक्त व्यवहार हमें संक्रमण को पकड़ने से बचा सकता है, वहीं टीके संक्रमण और इसके प्रसार की दर को भी कम करते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वैक्सीन इस गंभीर बीमारी के विकसित होने की संभावना को 90 फीसदी से अधिक कम कर देती हैं.

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Posted by : Vishwat Sen

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