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Tech Neck की समस्या से रहें सावधान, अन्यथा हो सकती है ये गंभीर परेशानी

Tech Neck: टेक नेक जिसे टेक्स्ट नेक के रूप में भी जाना जाता है आधुनिक युग की आम समस्या है. मोबाइल फोन व कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग और शारीरिक गातिविधियां कम होने के कारण यह समस्या देश में लगातार बढ़ती जा रही है

क्या आप लगातार चार-पांच घंटे से ज्यादा गैजेट्‌स का इस्तेमाल करतें हैं? इस दौरान आप ना तो ब्रेक लेते हैं और ना ही अपने पॉश्चर का ध्यान रखते हैं? तो सावधान हो जायें, अगर आप लगातार इसी तरह की लाइफस्टाइल जी रहे हैं तो आपको टेक नेक की समस्या हो सकती है.

टेक नेक जिसे टेक्स्ट नेक के रूप में भी जाना जाता है आधुनिक युग की आम समस्या है. मोबाइल फोन व कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग और शारीरिक गातिविधियां कम होने के कारण यह समस्या देश में लगातार बढ़ती जा रही है और सबसे गंभीर बात यह है कि एक बार इस समस्या का शिकार हो जाने के बाद आप इस समस्या से निजात नहीं पा सकेंगे. टेक नेक का शिकार होने के बाद पीड़ित व्यक्ति को अक्सर गर्दन , कंधे और पीठ के आसपास के हिस्से में असहनीय दर्द, अकड़न, जबड़े व सिर में दर्द तथा बाहों और हाथों में झनझनाहट व सुन्नता महसूस होती है.

यह समस्या सही पॉश्चर में बैठकर काम नहीं करने व अधिक समय तक मोबाइल देखने से होती है. सही पॉश्चर में नहीं बैठने से सर्विकल स्पाइन और सहायक मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है जिसकी वजह से दर्द शुरू हो जाता है. इस परेशानी में लोग दर्द के साथ- साथ बेचैनी भी महसूस करते हैं. इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि यह परेशानी स्थायी रूप से जोड़ों और सर्विकल स्पाइन को प्रभावित कर सकती है. कुछ अध्ययनों में यह बात उभर कर सामने आयी है कि 60% भारतीय आबादी रीढ़ से संबंधित समस्याओं से ग्रस्त है.

इन अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि गर्दन को 15 डिग्री आगे की ओर झुकाने से हमारे गर्दन पर 12.5 किलो का अतिरक्त भार पड़ता है. 30 डिग्री झुकाने से 16 किलो और 60 डिग्री झुकाने से 27. 2 किलो का अतिरिक्त बोझ पड़ता है. इससे सर्विकल स्पाइन पर अत्यधिक भार पड़ता है और कई तरह की अन्य परेशानियां उत्पन्न होती हैं.

इस संबध में डॉ. संदीप मूलचंदानी( न्यूरो और स्पाइन विशेषज्ञ) समर्थ न्यूरो एंड स्पाइन सेंटर, इंदौर का कहना है कि लगातार गलत पॉश्चर में बैठे रहने और गर्दन पर पड़ने वाले भार के कारण सर्विकल इंटरवर्टेब्रल डिस्क कमजोर हो जाता है और टेक नेक की समस्या उत्पन्न होती है.

इसकी वजह से जोड़ों में दर्द होता है जो आगे चलकर सर्विकल स्पॉडिलाइसिस का रूप ले लेता है. यह समस्या स्थायी है और इसमे निरंतर वृदिध् होती रही है. अत: हमें गैजेट्‌स के इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए और जरूरत के अनुरूप ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए.

सरकार ने भी टेक नेक की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त की है. सरकार ने सुझाव दिया है कि छात्रों को नियमित रूप से मोबाइल व कंप्यूटर जैसी डिवाइसों से दूर रहना चाहिए. बहुत सारी कॉर्पोरेट कंपनियों ने भी चार दिवसीय कार्य प्रारूपों के माध्यम से इस नीति को लागू करने प्रयास शुरू कर दिया है.

इंदौर की एक प्रबंधन सलाहकार, आस्था गुप्ता कहना है कि , लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठकर काम करने और घंटों मोबाइल देखने की वजह से मुझे असहनीय पीड़ा हुई जिसने मेरी कार्य क्षमता को काफी प्रभावित किया. मैं इस दर्द से राहत पाने के लिए दवाएं और फिजियोथेरेपी ले रही हूं.”

डॉ राज कुशवाहा (जॉइंट रिहैब विशेषज्ञ और कार्डियोथोरेसिक फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ) इंदौर का सुझाव है कि टेक नेक की समस्या से निजात पाने के लिए आपको सबसे पहले अपने पॉश्चर को ठीक करना होगा . इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि जहां आप बैठ रहे हैं वह काम करने के अनुकूल हो. आपको आंखों के स्तर पर स्क्रीन का उपयोग करना चाहिए और मांसपेशियों को रिलैक्स करने के लिए काम से हर एक-दो घंटे में ब्रेक लेना चाहिए.

टेक नेक को रोकने के कुछ उपयोगी सुझाव

1. सही पॉश्चर अपनायें : यह जरूरी है कि जब आप गैजेट्‌स को इस्तेमाल करें तो अपने पॉश्चर को सही रखें. साथ एर्गोनॉमिक्स सही है या नहीं इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए. जहां आप बैठ रहे हैं वहां आपकी कुर्सी, डेस्कटाॅप से आंखों की दूरी, प्रकाश की व्यवस्था सभी सही होना चाहिए.

2. ब्रेक को बनाये जरूरी

काम के दौरान ब्रेक लेना बहुत जरूरी है. अगर आप लंबे समय तक लगातार कुर्सी पर बैठकर काम करेंगे तो उससे मांसपेशियों में थकान होती है, इसलिए जरूरी है कि काम के बीच- बीच में ब्रेक लिया जाये.

3. मांसपेशियों को करें मजबूत

हमारा गर्दन काफी गतिशील होता है. इस गतिशीलता में ट्रैपेज़ियस मांसपेशी और स्कैपुलोथोरेसिक मांसपेशियों की अहम भूमिका होती है. अत: जरूरी है कि इन मांसपेशियों को मजबूत बनाया जाये. इससे सर्विकल स्पाइन को भी मजबूती मिलेगी.

4. गैजेट पर निर्भरता कम करें

टेक नेक से खुद को बचाने के लिए यह जरूरी कि जीवन शैली में बदलाव लाया जाये. साथ ही अपने आहार में पौष्टिक चीजों को शामिल कर संतुलित भोजन करें.

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