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जानें क्या है Mother’s Day का इतिहास और किसने की थी इसकी शुरुआत?

Happy mother's day theme history who started & from where it comes दुनियाभर में सबसे पवित्र रिश्ता मां और बच्चे का माना गया है. वैसे तो मां को याद करने का कोई दिवस नहीं होता. लेकिन, एक खास दिन दुनियाभर की माताओं के याद में रखा गया है. ताकि उन्हें इस दिन विशेष रूप से याद किया जा सके.

Happy mother’s day theme history who started & from where it comes दुनियाभर में सबसे पवित्र रिश्ता मां और बच्चे का माना गया है. वैसे तो मां को याद करने का कोई दिवस नहीं होता. लेकिन, एक खास दिन दुनियाभर की माताओं के याद में रखा गया है. ताकि उन्हें इस दिन विशेष रूप से याद किया जा सके.

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कब मनाया जाता है मदर्स डे

इस बार का यह दिवस यानि मदर्स डे 10 मई यानि रविवार को मनाया जाएगा. आपको बता दें कि पिछले साल 2019 को इसे दुनियाभर में रविवार 12 मई को मनाया गया था. यह प्रति वर्ष मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है.

क्या है इस बार का थीम

वर्ष 2019 में मातृ दिवस का थीम था अच्छे के लिए संतुलन (बैलंस फॉर बेटर). वहीं, इस बार का थीम कुछ खास है. इस बार इन्हें विशेष सम्मान देने को लेकर थीम बनाया गया है. जो परिवार के साथ-साथ देश को भी कोरोना महामारी से बचाने के लिए सेवा दे रहीं है.

जानिए क्या है इस दिन का इतिहास और क्यों मनाया जाता है इसे रविवार को ही

आपको बता दें कि इस दिवस की शुरूआत अमेरिका से हुई. इस परंपरा को शुरू करने का श्रेय अमेरिका की ही ऐना एम. जारविस को जाता है. इसे 9 मई 1914 को शुरू की गई थी. बताया जाता है कि अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस अपनी मां से बहुत प्यार करती थीं. उनकी ममता के कारण न तो उन्होंने कभी शादी की और न कोई बच्चा हुआ. अपनी मां की मौत होने के बाद उन्हें प्यार जताने के लिए इसक दिन को मनाना शुरू कर दिया. जिसके बाद अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने 9 मई 1914 को इसे एक कानून के तौर पर पास किया. इस कानून में लिखा था कि मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे (Mother’s Day) मनाया जाएगा. उसी के बाद से इसे व्यापक तौर पर पूरे विश्व में मनाया जाता है.

कैसे मनाएं यह विशेष दिवस

इस वर्ष का इन्हें विशेष रूप से सम्मानित करने का दिन है. महिलाएं करुणा का प्रतिक मानी जाती हैं इनका कोई मोल नहीं हो सकता यह हमारे घरों में मां, वाइफ, बहन, मित्र, मौसी, नानी, दादी व अन्य रूपों में तो सदैव सेवा करती ही हैं. इसके अलावा कोरोना के इस महासंकट से बचाने में भी तत्पर हैं. नर्स, डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सैन्यकर्मी, सफाईकर्मी व आदि रूपों में देश की सेवा कर रही हैं. जो अपने करुणा भरे आंचल में परिवार के साथ देश को भी लेकर चले वही मां का स्वरूप है. ऐसे में कोरोना और लॉकडाउन के बीच हमें मदर्स डे पर माताओं को स्पेशल महसूस करवाने की कोशिश करनी चाहिए.

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