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Coronavirus Outbreak : पशुओं से मनुष्य में फैल रहा है कोरोना! डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट ने चौंकाया

Coronavirus Outbreak : कोरोना का संक्रमण लगातार दुनिया में बढ़ रहा है जिसने चिंता बढ़ा दी है. इसी बीच कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिये चीन का दौरा करने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण के चमगादड़ से अन्य जानवरों के जरिये मनुष्यों में फैलने की आशंका है. प्रयोगशाला से वायरस फैलने की आशंका बहुत कम है. WHO, China, coronavirus origins, source of coronavirus, Covid-19 pandemic, China-WHO coronavirus study

Coronavirus Outbreak : कोरोना का संक्रमण लगातार दुनिया में बढ़ रहा है जिसने चिंता बढ़ा दी है. इसी बीच कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिये चीन का दौरा करने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण के चमगादड़ से अन्य जानवरों के जरिये मनुष्यों में फैलने की आशंका है. प्रयोगशाला से वायरस फैलने की आशंका बहुत कम है.

समाचार एजेंसी एपी को मिली जांच टीम की मसौदा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. हालांकि जांच रिपोर्ट में उम्मीद के अनुसार कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. टीम ने प्रयोशाला से वायरस के लीक होने के पहलू को छोड़कर अन्य सभी पहलुओं पर आगे जांच करने का प्रस्ताव रखा है. रिपोर्ट को जारी किये जाने में लगातार देरी हो रही है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि कहीं चीनी पक्ष जांच निष्कर्ष को प्रभावित करने का प्रयास तो नहीं कर रहा ताकि चीन पर कोरोना महामारी फैलने का दोष न मढ़ा जाए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह के अंत में कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि टीम की रिपोर्ट अगले कुछ दिन में जारी कर दी जाएगी.

कोरोना रोधी वैक्सीन को नियमित रूप से अपडेट करने की जरूरत

इधर वैज्ञानिकों ने कोरोना से बचाव के लिए दुनिया भर में इस वक्त इस्तेमाल किये जा रहे टीकों को नियमित तौर पर अपडेट करने की जरूरत पड़ सकने की बात कही है क्योंकि वायरस के नये स्वरूप सामने आ रहे हैं. ‘वायरस इवोल्यूशन’ में प्रकाशित एक अध्ययन में इस बारे में आकलन किया गया है. इससे जुड़े अनुसंधान में बर्लिन में चैरिटी-यूनिवर्सिटैट्समिडि के विषाणु वैज्ञानिकों ने चार ‘कॉमन कोल्ड’ (सामान्य ज़ुकाम) कोरोना वायरसों, खासकर, 229 और ओसी43 वायरसों के अनुवांशिक परिवर्तन का अध्ययन किया. उन्होंने इन कोरोना वायरसों के स्पाइक प्रोटीन में बदलावों का पता लगाया.

अध्ययन की प्रथम लेखिका वेंडी के जो ने बताया कि ये कोरोना वायरस भी इंफ्लुएंजा की तरह ही रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच सकते हैं. वैज्ञानिकों ने कहा कि अन्य कोरोना वायरसों की तुलना में नोवल कोरोना वायरस में बदलावों की गति अधिक है. अध्ययन के सह लेखल जेन फ्लिक्स ड्रेग्ज़लर ने कहा कि सार्स-कोव-2 की आनुवांशिकी में तेज बदलाव होने की वजह से ही दुनिया भर में वायरस के विभिन्न स्वरूप सामने आ रहे हैं. ड्रेग्जलर ने कहा, हमारा मानना है कि कोरोना वैक्सीन की महामारी के दौरान नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर उसे अपडेट करना चाहिए.

Posted By : Amitabh

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