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जून-जुलाई में होने वाली ये 10 खतरनाक बीमारियां, जानें इनके घरेलू उपचारों के बारे में

10 dangerous Monsoon diseases occurring in June July rainy season कोरोना के कहर से परेशान अपने देश में जून माह से मानसून आने की संभावना है. ऐसे में पूर्व की तरह मानसून की बूंदें अपने साथ बहुत सी बीमारियां भी लेकर आने वाली हैं. इस मौसम में करीब दस ऐसे रोग है जो हमें परेशान कर सकती हैं. आम सी दिखने वाली इन गंभीर बीमारियों से प्रत्येक वर्ष कई लोगों की जान चली जाती है. ऐसे में आइये जानते हैं इनसे बचने के कुछ घरेलू उपचारों के बारे में.

10 dangerous Monsoon diseases occurring in June July rainy season कोरोना के कहर से परेशान अपने देश में जून माह से मानसून आने की संभावना है. ऐसे में पूर्व की तरह मानसून की बूंदें अपने साथ बहुत सी बीमारियां भी लेकर आने वाली हैं. इस मौसम में करीब दस ऐसे रोग है जो हमें परेशान कर सकती हैं. आम सी दिखने वाली इन गंभीर बीमारियों से प्रत्येक वर्ष कई लोगों की जान चली जाती है. ऐसे में आइये जानते हैं इनसे बचने के कुछ घरेलू उपचारों के बारे में.

मानसून की कई ऐसी बीमारियां है जो घरेलू उपचारों से ठीक हो सकती हैं

डेंगू: मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी को डेंगू कहलाती है. इसके लक्षण हैं – उच्च बुखार, कम प्लेटलेट काउंट, शरीर में लाल चकत्ते होना, शरीर में असहनीय दर्द होना आदि. अंग्रेजी वेबसाइट में टीओआई में छपी खबर के मुताबिक इसका घरेलू उपचार संभव है- घरों या कार्यस्थल के आसपास मच्छर भगाने वाले कीट नाशक पौधे लगाना, जैसे सिट्रोनेला, लेमन बाम, तुलसी का पौधा आदि. इसके अलावा आप पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, मच्छरदानी लगाकर सोएं. कोशिश करें की अपने आसपास को स्वच्छ रखें और कहीं पानी न जमने दें.

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चिकनगुनिया: चिकनगुनिया मुख्य रूप से एयर कंडीशनर, कूलर, पौधें, बर्तन या अन्य किसी स्थान पर जमे पानी में पैदा हुए मच्छरों द्वारा होता है. यह बीमारी आमतौर पर एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर के काटने से फैलती है. यह मच्छर आपको रात में ही नहीं बल्कि दिन में भी काट सकता है. इसके लक्षण डेंगू से मिलते जुलते हैं. जोड़ों में दर्द होना और तेज बुखार होना ही इसके प्रमुख लक्षण है. इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है किसी भी तरह के सतह पर पानी को न जमने दें. इसके अलावा कीटनाश्क दवाओं का छीड़काव जरूर करवाएं.

मलेरिया: मलेरिया मादा मच्छरों के काटने से होता है. यह मच्छर जल वाले क्षेत्रों में प्रजनन करते हैं. यही वजह यह है, कि मानसून के दौरान सबसे अधिक होने वाली बीमारी मलेरिया ही है. इसके प्रमुख लक्षण- इसमें मरीजों को बुखार, कंपकंपी, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी लगना आम है. मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने घरों में पानी की टंकी को बार-बार साफ करें और कहीं पानी न जमने दें. इसके अलावा अपने आसपार को स्वच्छ रखें.

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आंत संबंधी रोग : इस मौसम में देखा गया है कि मौसम सुहाना होते ही हम अनहेल्दी डाइट की ओर भागते हैं. जैसे तली भूंजी, निमकी, चाय आदि. जबकि, पानी का सेवन न के बराबर करते हैं. जो बाद में डायरिया का कारण बन सकती है. इससे बचाव के लिए आप गुनगुना पानी पी सकते हैं.

टाइफाइड: टाइफाइड बीमारी दूषित पानी और खान-पान की वजह से होता है. आमतौर पर इसका केक्शन स्वच्छता से है. यह एक तरह के बैक्टीरिया के कारण होता है. इसके लक्षण है- बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, शरीर में दर्द रहना और गले में खराश आदि. इससे बचने के उपाय हाथ को सैनिटाइज करें, स्वच्छ पानी पिएं, मार्केट वाले खुले फूड्स का सेवन करने से बचें. इससे बचने के लिए तुलसी, मुलेठी, शहद और मिश्री को मिलाकर काढ़ा पीना भसी फायदेमंद हो सकता है.

वायरल बुखार: यह बीमारी वैसे तो किसी भी मौसम हो सकती है. लेकिन, मानसून के दौरान यह सबसे ज्यादा होती है. गंभीर बुखार आना, सर्दी होना, खांसी और शरीर में असहनिय दर्द इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं. यह बीमारी 3-7 दिनों तक हो सकता है. हालांकि, वायरल फीवर को उतारने के लिए दूध और हल्दी का सेवन, गुनगुना पानी पीना, तलवे को तेल गरम करके मालिश करना. इसके अलावा कच्चे लहसुन को खाना, अदरक की चाय आदि लाभदायक हो सकती है.

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हैजा: हैजा एक संक्रामक रोग है. यह मानसून में होने वाली बीमारियों में से एक हैं. इसमें शरीर से पानी की मात्रा कम होने लगती है. यह बीमारी भी खान-पान और स्वच्छ पानी का सेवन नहीं करने के कारण होती है. इसमें दस्त और उल्टी होना इसके आम लक्षण हैं. इन लक्षणों के कारण हमारे शरीर से पानी की मात्रा निकल जाती है. जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. ऐसे में मरीज को ओआरएस का घोल, ग्लूकोज, निंबू पानी आदि दिया जा सकता है और कड़े चीज जैसे चना, चूड़ा आदि खाने को मना किया जाता है.

लेप्टोस्पायरोसिस: लेप्टोस्पायरोसिस भी संक्रामक रोग है. यह जानवरों से फैलता है. कुत्ते, चूहे समेत खेत में पाए जाने वाले जानवरों के मूत्र से यह इंफेक्शन फैलता है. यही कारण है कि इसे खेत का बुखार भी कहा जाता है. इसमें शरीर में सूजन होना, आंख लाल हो जाना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और बुखार आदि इसके लक्षण हैं. इससे बचने के लिए चोट या घाव को ढक कर रखें, क्योंकि ज्यादातर यह बैक्टिरिया इसी के जरिये शरीर में प्रवेश करता है. आहार हमेशा ताजा लें और उबला पानी पिएं, कोशिश करें कि बिना पोलिश के अनाज, फल और सब्जियां खाएं. इसके अलावा आपको दूध और इसके उत्पाद, माँसाहारी भोजन, काजू, बादाम आदि से परहेज करना चाहिए. इससे बचने के लिए पूरा ढका वस्त्र पहनें और चूहों जैसे जानवरों से बचने के उपाय अपनाएं.

पेट में संक्रमण: इस मौसम होने वाली एक और बीमारी है, वो है पेट में संक्रमण होना. इससे उल्टी, दस्त और पेट दर्द लक्षण दिख सकते हैं. ज्यादातर यह खाद्य और तरल पदार्थों के सेवन से होता है. इस दौरान उबला पानी पीना, घर का बनाया भोजन करना आदि ही इससे बचाव का सही उपचार है.

पीलिया: दूषित पानी और सही खान-पान नहीं हो पाना ही इस मानसून बीमारी का कारण है. इस दौरान मरीज को कमजोरी, पीला पेशाब होना, आंखों का पीला होना, उल्टी और लिवर की गड़बड़ी आदि समस्या भी हो सकती है. इसमें भी हल्का गुनगुना पानी पीना, घर का पका हुआ भोजन करना और स्ट्रीट फूड व तले भोजन से बचना ही इसका सही उपचार है.

नोट: ये घरेलू उपचार उपयोग में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श ले लें

Posted By: Sumit Kumar Verma

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