27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Jharkhand News: हजारीबाग के बड़कागांव में स्वतंत्रता सेनानियों का परिवार उपेक्षित, नहीं ले रहा कोई सुध

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. सभी ओर स्वतंत्रता दिवस की धूम है. वहीं, हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड क्षेत्र के कई स्वतंत्रता सेनानी आज उपेक्षित हैं. एक-दो को छोड़ अन्य सभी स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों को न तो पेंशन मिल रहा है और न ही बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं.

उनकी तुरबत पर नहीं है ,आज एक भी दिया.
जिनके खून से जले थे, चिराग ए वतन .
जगमगा रहे हैं मकबरे उनके,
जो बेचा करते थे, शहीदों के कफन .

Jharkhand News: शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की यही स्थिति है. आजादी किसको मिली यह बहस का विषय हो सकती है, लेकिन यह देश और इसको चलाने वाले कृतघ्न जरूर है. हम आजादी के 75वां अमृत महोत्सव मना रहे हैं. फिर भी गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीदों की कोई खोज- खबर नहीं की जा रही है. आजादी की लड़ाई करने वाले कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार है जो आज तक अपनी गरीबी और बेबसी के साये में जीने को मजबूर हैं.

बड़कागांव के कई स्वतंत्रता सेनानी का परिवार उपेक्षित

आजादी की लड़ाई लड़ने वाले हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड अंतर्गत अंबा टोला निवासी स्वतंत्रता सेनानी बड़कु मांझी का परपोता महेंद्र मांझी, आंगो निवासी स्वतंत्रता सेनानी गुजर महतो का परपोता दिनेश महतो, बड़कागांव निवासी स्वतंत्रता सेनानी प्रयाग रविदास, देवकी रविदास प्रकाल रविदास के परिजन आज भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. इन्हें न तो पेंशन मिला है और न ही कोई सुविधाएं उपलब्ध हुई है.

आंदोलन को दबाने के लिए 1935 में बनी थी पुलिस चौकी

बड़कागॉव प्रखंड मुख्यालय करणपुरा क्षेत्र का नेतृत्व करता था. बड़कागांव, पतरातू, केरेडारी, टंडवा क्षेत्र में आंदोलन को दबाने के लिए बड़कागांव के गुरु चट्टी में 1935 में अंग्रेजों द्वारा पुलिस चौकी बनाया गया था. महात्मा गांधी की ओर से पत्र लिखकर पारसनाथ, माधोपुर, करणपुरा क्षेत्र में भारत छोड़ो आंदोलन को आगे बढ़ाने की अपील की गयी थी. इसी अपील के तहत 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व आनंदित साव ने भी किया था. इसके अलावा हजारीबाग के कलेक्ट्रेट पर तिरंगा झंडा फहराने वाले स्वतंत्रता सेनानी केदार सिंह, सुधीर मलिक, कस्तूरी मल अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल, चेतलाल तेली, रामदयाल साव, कांशी राम मुंडा थे.

Also Read: हर घर तिरंगा : इन तस्वीरों में देखें देश के प्रति जुनून

कई स्वतंत्रता सेनानियों का शहीद स्थल उपेक्षित

इन लोगों को आईजीआर के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इतना ही नहीं बड़कागांव प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से सूबेदार सिंह, चेता मांझी, लखी मांझी, ठाकुर मांझी, खैरा मांझी, बड़कू मांझी, छोटका मांझी, गुर्जर महतो को भी अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इन स्वतंत्रता सेनानियों का बड़कागांव ब्लॉक मुख्यालय के पास शहीद स्थल में नाम अंकित किया गया है, लेकिन यह शहीद स्तंभ आज भी असुरक्षित है.

स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को नहीं मिला सरकारी लाभ

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधीजी के निर्देश पर केबी सहाय के साथ बरड़ागांव निवासी देवकी रविदास, प्रयाग रविदास के प्रकाल रविदास तीनो भाई आंदोलन में कूद पड़े थे. लेकिन, इनके वंशजों का सरकारी लाभ नहीं मिल पाया. सरकारी लाभ के नाम पर सिर्फ एक पुत्र को इंदिरा आवास मिला था.

रिपोर्ट : संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें