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CM हेमंत सोरेन ने दिया KCC का स्वीकृति पत्र, पर गढ़वा के किसानों को लोन देने में बैंक कर रहा टालमटोल

CM हेमंत सोरेन द्वारा किसानों को KCC का स्वीकृति पत्र देने के बावजूद गढ़वा जिला में बैंक ऋण देने में आनाकानी कर रहा है. इससे किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. अब किसान सरकार से सवाल पूछने लगे हैं. कहा कि जब ऋण नहीं मिलना, तो स्वीकृति पत्र देने का क्या फायदा.

Jharkhand News: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों केसीसी का स्वीकृति पत्र मिलने के बावजूद गढ़वा जिले के किसानों को बैंकों की ओर से ऋण नहीं दिया जा रहा है. इस वजह से गढ़वा जिले के किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. गत 23 जून को लातेहार में आयोजित बिरसा किसान सम्मान समारोह में गढ़वा जिले के 10 किसानों को बुलाकर केसीसी का स्वीकृति पत्र मुख्यमंत्री ने सौंपा था. इस स्वीकृति पत्र के साथ भारतीय स्टेट बैंक कृषि विकास शाखा, टंडवा, गढ़वा की ओर से भी ऋण स्वीकृति से संबंधित पत्र उन्हें दिया गया था, लेकिन इस बात के ढाई महीने बीत गये. इसके बावजूद बैंकों की ओर से उन्हें राशि नहीं दी गयी है, बल्कि जाने पर टाल-मटोल किया जा रहा है.

ग्रामसभा में आवेदन किया जमा, पर नहीं मिला लोन

इस संबंध में डंडई के करके गांव के किसान अजय कुमार यादव, लीलावती देवी, जरही की गौरी देवी एवं गढ़वा के मेढ़ना खुर्द गांव निवासी रजनीकांत पासवान ने बताया कि उन्होंने पिछले साल दिसंबर में आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के तहत आयोजित ग्रामसभा में अपना केसीसी से संबंधित आवेदन जमा किया था. लेकिन, उन्हें केसीसी नहीं दिया गया. उन्हें कृषि विभाग की ओर से कहा गया था कि मुख्यमंत्री स्वयं अपने हाथों से लातेहार में उन्हें ऋण देंगे.

बैंक कर रहा टालमटोल

कृषि विभाग के पदाधिकारी एवं बैंककर्मी उनके साथ जिले के कुल 10 लोगों को लेकर लातेहार कार्यक्रम में गये. वहां उन्हें सांकेतिक रूप से स्वीकृति पत्र का बड़ा-सा कटआउट एवं बैंक का सेंक्सन लेटर मिला, लेकिन जब वे वहां से लौटने के बाद बैंक में गये, तो वहां से आज तक टालमटोल किया जाता आ रहा है. कुछ बैंककर्मियों ने यह भी कहा कि वे लोग पैसा लौटाने में सक्षम नहीं हैं. इसलिये उन्हें ऋण नहीं दिया जायेगा.

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किसानों ने सरकार से पूछे सवाल

किसान अजय यादव को 50 हजार, लीलावती देवी को 55 हजार, गौरी देवी को 50 हजार तथा अजय यादव को 60 हजार रुपये के ऋण का स्वीकृति पत्र मिला है. उन्होंने बताया कि ऋण नहीं मिलने के कारण वे इस बार सही तरीके से खेती नहीं कर सके हैं. उन्होंने रबी फसल के समय 2021 में आवेदन दिया था, लेकिन सालभर होने को है, उन्हें ऋण नहीं मिला. उन्होंने कहा कि ऋण देने के नाम पर सबों ने उनलोगों को मिलकर ठगा है. जब ऋण नहीं देना था, तो इतना तामझाम करने की क्या जरूरत है.

जनता दरबार में स्वीकृति पत्र लौटाने की पेशकश की

शुक्रवार को लाभुकों ने उपायुक्त के जनता दरबार में पहुंचकर उन्हें एक संयुक्त आवेदन पत्र सौंपा है. इसमें उन्होंने कहा है कि बैंक अब ऋण मांगने पर टालमटोल कर भगा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि बैंक ऋण नहीं देना चाह रही है, तो मुख्यमंत्री की ओर से सौंपे गये स्वीकृति पत्र को वापस ले लें.

सिविल खराब नहीं होना चाहिए, ऋण मिल जायेगा : शाखा प्रबंधक

इस संबंध में भारतीय स्टेट बैंक कृषि विकास शाखा के प्रबंधक ने पूछने पर बताया कि लाभुकों का आवेदन रांची में स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है. कहा कि लाभुकों का यदि सिविल खराब नहीं होगा, तो उन्हें ऋण उपलब्ध करा दिया जायेगा.

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रिपोर्ट : पीयूष तिवारी, गढ़वा.

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