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विश्व रंगमंच दिवस : तनाव-अनिश्चितता के बीच मिस्र की अभिनेत्री सामिहा अयूब ने भेजा ये संदेश

रंगमंच मौलिक रूप से मानवता की सच्ची अभिव्यक्ति है. रंगमंच के महान शिल्पी कोंस्तानतीं स्तनिस्लावस्की के शब्दों में 'कीचड़ सने पैरों से कभी रंगमंच में प्रवेश मत करो. कीचड़, गंदगी, अपनी दुश्चिंताओं और छोटी-छोटी दिक्कतों को बाह्य आवरण के साथ बाहर छोड़ दो.'

परिचय

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विश्व रंगमंच दिवस : तनाव-अनिश्चितता के बीच मिस्र की अभिनेत्री सामिहा अयूब ने भेजा ये संदेश 2

सामिहा अयूब

  • मिस्र की अभिनेत्री

  • अब तक 170 से अधिक नाटकों में अभिनय

  • सुप्रसिद्ध नाटक: आगा मेम्नान, खड़िया का घेरा, अल-अदविया, काबा के पर्दों पर खून के छीटें आदि.

  • इसके अलावा, अनेक फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में अभिनय किया है.

Happy World Theater Day : विश्व रंगमंच दिवस हर साल 27 मार्च को मनाया जाता है. इस मौके पर मिस्र की अभिनेत्री सामिहा अयूब ने दुनिया भर के रंगमंच कलाकारों के लिए गंभीर शुभकामना संदेश भेजा है. रंगमंच कलाकारों के लिए लिखे गए संदेश में अभिनेत्री सामिहा अयूब ने लिखा है कि विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर पूरी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रंगमंच से जुड़े दोस्तों के लिए शुभकामना संदेश लिखते वक्त मैं बेहद अभिभूत हूं. मेरे वजूद का एक एक रेशा उस तनाव और अनिश्चितता को महसूस कर रहा है, जिससे दुनिया भर के आप सब रंगकर्मी गुजर रहे हैं. आपसी तनाव, युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं ने न केवल हमे भौतिक रूप से प्रभावित किया है, बल्कि हमारी आध्यात्मिक एवं मानसिक शांति को भी प्रभावित किया है.

खंडित द्वीपों में बदल गई दुनिया

विश्व रंगमंच दिवस पर मिस्र की अभिनेत्री सामिहा अयूब ने लिखा, ‘आज आपसे बात करते हुए लग रहा है कि जैसे दुनिया खंडित द्वीपों में बदल गई है या कि जैसे बहुत सारे दिशाहीन समुद्री जहाज सुरक्षित बंदरगाहों की तलाश में उम्मीद की यात्रा पर हैं. हमारी दुनिया आज पहले से कहीं ज्यादा आपस मे जुड़ी हुई है, लेकिन वहीं इस दुनिया में आज पहले से कहीं ज्यादा बेगानापन और बेसुरापन है. यह आज की नाटकीय विडंबना है, जो हमारे ऊपर थोप दी गई है. हालांकि, सूचना-संचार विस्फोट ने भौगोलिक सीमाओं को ढहा दिया है, लेकिन हमें तमाम देशों की सीमाओं पर कल्पनातीत तनाव और अशांति दिखाई दे रही है और हम मानवता से दूर होते जा रहे हैं.’

मानवता की सच्ची अभिव्यक्ति है रंगमंच

उन्होंने लिखा कि रंगमंच मौलिक रूप से मानवता की सच्ची अभिव्यक्ति है. रंगमंच के महान शिल्पी कोंस्तानतीं स्तनिस्लावस्की के शब्दों में ‘कीचड़ सने पैरों से कभी रंगमंच में प्रवेश मत करो. कीचड़, गंदगी, अपनी दुश्चिंताओं और छोटी-छोटी दिक्कतों को बाह्य आवरण के साथ बाहर छोड़ दो. जीवन को नष्ट करने वाली और तुम्हारी एकाग्रता को भंग करने वाली चीजों को कला से दूर बाहरी दरवाजे पर रखो.’ मंच पर एक व्यक्ति एक अभिनेता के रूप में चढ़ता है, लेकिन वह जीवन और लोगों के विविध रंगों और पक्षों की सुगंध को दूसरों तक पहुंचाता है.

‘जीवन’ को ही जीवंत करते हैं अभिनेता-निर्देशक

अभिनेत्री सामिहा अयूब ने आगे लिखा कि रंगमंच में नाटककार, निर्देशक, अभिनेता, कवि, दृश्यबंध निर्माता अन्य सभी सहयोगी ‘जीवन’ को ही जीवंत करते हैं. इस जीवंतता को एक दोस्ताना हाथ, एक प्यार से भरा सीना, नरम दिल और एक खुले दिमाग की जरूरत होती है, ताकि यह फले-फूले. यह अतिशयोक्ति नहीं है कि हम मंच पर जिंदगी को ही पेश करते हैं. जिंदगी जिसे हम शून्य से पैदा करते हैं, रात के अंधेरे को एक जलते हुए अंगारे की तरह चीरते हुए सर्द रातों को गरम करते हुए हम जिंदगी को भव्यता प्रदान करते हैं. हमीं हैं, जो जिंदगी को विविध रंगों में जीते हैं, उसे जीवंत और अर्थपूर्ण बनाते हैं तथा हम ही हैं, जो जीवन को समझने की दृष्टि प्रदान करते हैं. हम ही हैं, जो कला के रोशन चिराग से जहालत और चरमपंथ के अंधेरे को चीरते हैं. हम ही हैं जो जिंदगी को उत्सव में बदलते हैं. इस उत्सव के लिए हम अपना समय, श्रम, खून-पसीना, आंसू, दिल-दिमाग सब कुछ दांव पर लगाते हैं. हम सच्चाई, अच्छाई और जिंदगी के पक्षधर हैं.

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उन्होंने अपने शुभकामना संदेश में लिखा है कि आज जब मैं आप से मुखातिब हूं, तो विश्व रंगमंच दिवस का उत्सव मनाने के साथ-साथ आप सभी कलाकारों का आह्वाहन करती हूं कि आइए, हाथ में हाथ डालकर और कंधे से कंधा मिलाकर समूची दुनिया के विवेक को जागृत करने के लिए आवाज लगाएं. आइए, हर तरह के आतंक, नस्ल-भेद, खून-खराबा, एकपक्षीय सोच और भेदभाव को मिटाकर सभी के लिए एक सुंदर दुनिया के संकल्प के साथ आगे बढ़ें. तमाम बाधाओं के बाद भी मानवता इस पृथ्वी पर हजारों साल तक जीवित रही है. आइए, आज युद्धों की विभीषिका और रक्तपात से इसे बचाने के लिए रंगमंच के विवेक को जागृत करें. आइए, नकारात्मकता को रंगमंच के प्रवेश द्वार पर छोड़ कर मंच पर जिंदगी के गीत गाएं. रंगमंच की शुरुआत में मंच पर चढ़े पहले अनाम अभिनेता से आज तक रंगकर्मियों ने हर तरह की अमानवीयता को अस्वीकार करते हुए मानवीयता के गीत गाएं हैं. रंगमंच में ही जिंदगी के गीत गाने की सलाहियत है. आइए, हम एक साथ जिंदगी और मानवता के गीत गाएं.

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