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Maharani के मिश्राजी प्रमोद पाठक को सांवले रंग की वजह से टीवी में झेलना पड़ा है रिजेक्शन, खुद किया खुलासा

वेब सीरीज महारानी 2 में प्रमोद पाठक ने मिश्राजी का किरदार निभाया है. महारानी 2 में उन्होंने अपने रोल के बारे में बता किया. एक्टर ने अपने पर्सनल लाइफ और आनेवाले प्रोजेक्ट्स के बारे में बात की. वो रणदीप हुड्डा के साथ एक सीरीज कर रहे है.

सोनी लिव पर हालिया रिलीज हुई वेब सीरीज महारानी 2 में इनदिनों सुर्खियों में है. इस सीरीज में मिश्राजी के किरदार में नज़र आ रहे अभिनेता प्रमोद पाठक ने इस बार भी अपने किरदार को बखूबी जिया है. प्रमोद कहते हैं कि मैंने अक्सर देखा है कि पहले सीजन के मुकाबले दूसरे सीजन की राइटिंग थोड़ी डाउन होती है. इस शो के साथ उलट हुआ है. जो आप सोच भी नहीं सकते हैं. सेकेंड में वो होता है. यही महारानी 2 की खासियत है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

अपने बैकग्राउंड के बारे में बताइए?

उत्तर प्रदेश के अमेठी से हूं. परिवार काम के सिलसिले में कानपुर शहर आ गया था. जिस वजह से मेरी शुरुआती पढ़ाई वहीं से हुई है. उसके बाद आगे की पढ़ाई नैनीताल के होस्टल में हुई ,लेकिन पढ़ाई से ज़्यादा मेरा रुझान खेल की ओर था. मैंने यूनिवर्सिटीज के लिए मैचेस खेले हैं,लेकिन फिर समझ आया कि इसमें कोई भविष्य नहीं है. दरअसल मैं उस युवा की तरह था. जिसे समझ ही नहीं आ रहा था कि उसे करना क्या है. घरवालों ने बोला बिजनेस कर लो।वो भी नहीं करना था.

मुम्बई कैसे आना हुआ और एक्टिंग में रुझान कैसे हुआ?

बिजनेस करना नहीं था तो फरवरी 96 में मुम्बई आ गया. तय किया कि छह से सात दिन के अंदर पहली नौकरी जो भी मिलेगी वो कर लूंगा फिर सोचूंगा. जो नौकरी मिली वो मार्केटिंग रिसर्चर की थी. शाम के बाद खाली हो जाता था।सोचता था कि क्या करूँ. सिनेमा देखने का शौक हर भारतीय की तरह मुझे भी था. अब हर दिन तो फ़िल्म नहीं देख सकता था. नाटक देखना शुरू किया।उसी वक़्त महसूस हुआ कि ये रोचक है. डेढ़ साल में मार्केटिंग वाली नौकरी छोड़ दी. थिएटर करना शुरू कर दिया. थिएटर से गुजारा होना मुश्किल था. घरवालों से पैसे नहीं लेता था इसलिए और भी काम शुरू किया. चूंकि हिंदी भाषी क्षेत्र से हूं तो बच्चों के साथ वर्क शॉप करता था. एक लेखक थे उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया. स्वाभिमान सीरियल उन्होंने लिखा था.मैं स्क्रीन प्ले लिखने में उनकी मदद करता था. कई स्कूल कॉलेज के लिए नाटक भी डायरेक्ट किये थे। इसी तरह गुजारा हो जाता था.

टीवी में एक्टिंग करने का कभी क्यों नहीं सोचा?

जब मैं मुम्बई में संघर्ष कर रहा था. उस वक़्त टीवी अपने बूम पर था,लेकिन टीवी में उस वक़्त खूबसूरत चेहरों वालों को लिया जाता था. एक्टिंग बाद में देखते थे. मेरे रंग और शक्लसूरत की वजह से हमेशा ही मुझे रिजेक्ट कर दिया जाता था.

पहली बार कैमरे का सामना कब किया था?

मैंने कैमरे का सामना अजय देवगन की फ़िल्म लीजेंड ऑफ भगत सिंह के लिए पहली बार किया था. बहुत सारे क्रांतिकारियों में मैं भी था. पांच से छह सेकेंड के लिए ही नज़र आया था. जहां से लोगों ने मुझे पहचाना वो फ़िल्म थी गैंग्स ऑफ वासेपुर. महारानी के क्रिएटर सुभाष कपूर के साथ मैंने फ़िल्म फंस गए रे ओबामा की थी. एक ही सीन था लेकिन वो उन्हें याद रह गया था. जिसके बाद उन्होंने मुझे महारानी सीरीज ऑफर की. मैंने शाहरुख खान के साथ रईस, राजकुमार राव के साथ सिटीलाइट्स,जॉन के साथ बाटला हाउस जैसी फिल्में की हैं.

सीरीज में आपको चाणक्य कहा जा रहा है,निजी जिंदगी में राजनीति में कितनी रुचि रही है?

मैंने ज़्यादातर राजनीति बेस्ड ही किरदार किए हैं. इसके अलावा मैं यूपी से हूं तो वहां हर घर का बच्चा राजनीति की समझ रखता ही है.

आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स

रणदीप हुड्डा के साथ एक सीरीज कर रहा हूं. समीर कार्णिक की फ़िल्म सस्पेक्ट में भी दिखूंगा.इसके अलावा भी एक दो और प्रोजेक्ट्स हैं.

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